क्या भारत को मिलेगी परमाणु पनडुब्‍बी???? पीएम मोदी की शरण में आया फ्रांस

नई दिल्ली:

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्‍ट्रेलिया से 40 अरब डॉलर का पनडुब्‍बी सौदा रद होने के ठीक बाद बेहद नाराज चल रहे फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुअल मैक्रां ने अपने ‘मित्र’ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। पीएम मोदी और फांसीसी राष्‍ट्रपति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और फ्रांस के बीच सहयोग को लेकर बात हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऑस्‍ट्रेलिया के ऑकस समझौते का असर यह हो सकता है कि फ्रांस भारत को अत्‍याधुनिक परमाणु पनडुब्‍बी बनाने में मदद कर सकता है जो चीन की नौसेना से टक्‍कर ले सकेगी।

पीएम मोदी और मैक्रां ने मंगलवार को आपस में फोन पर बात की। इस दौरान मैक्रां ने भारत को आश्‍वासन दिया कि वह भारत की रणनीतिक स्‍वायत्‍तता को मजबूत करने के लिए काम करता रहेगा। इसमें उद्योग और अत्‍याधुनिक तकनीक शामिल है। यह विश्‍वास और आपसी सम्‍मान पर आधारित है। फ्रांसीसी राष्‍ट्रपति के कार्यालय ने कहा कि भारत और फ्रांस दोनों का उद्देश्‍य क्षेत्रीय स्थिरता और कानून का शासन है। उन्‍होंने किसी भी प्रकार के एकाधिकार को खारिज कर दिया।

फ्रांस को ऑस्‍ट्रेलिया से 40 अरब डॉलर का झटका लगा

मैक्रां ने यह बातचीत ऐसे समय पर की है जब पीएम मोदी आज अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन से अमेरिका में मुलाकात करने वाले हैं। बाइडन ने भी कहा है कि वह फ्रांस से बातचीत करेंगे, लेकिन उन्‍होंने अभी तक डेट निर्धारित नहीं किया है। इससे पहले ऑस्‍ट्रेलिया ने अमेरिका-ब्रिटेन के साथ परमाणु सबमरीन का समझौता करने के बाद फ्रांस के साथ परंपरागत पनडुब्‍बी के समझौते को रद कर दिया था। इससे फ्रांस को 40 अरब डॉलर का झटका लगा था और उसने इसे पीठ में छूरा भोंकना करार दिया था।

इस पूरे घटनाक्रम से भारत को बड़ा सबक मिला है जो सतत तरीके से अपनी क्षमताओं का विकास करने में लगा हुआ है ताकि वह हिंद महासागर में आने वाले समय में चीनी नौसेना की किसी चुनौती से निपट सके। भारत अब अपने दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की जगह पर 6 परमाणु पनडुब्‍बी बनाना चाहता है। अभी भारत ने इस तरह की पनडुब्‍बी को रूस से लीज पर लिया हुआ है। यही नहीं भारत ने अभी अरिहंत परमाणु सबमरीन बनाई है जिसमें रूस ने काफी मदद की है। यह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बलिस्टिक मिसाइल सबमरीन पानी में धीमे चलती है।

भारत के लिए अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है फ्रांस

इस वजह से भारत को अब ऐसी अटैक परमाणु सबमरीन की तलाश है जो प्रतिघंटे 30-35 नॉट की स्‍पीड से चल सके। इसके लिए भारत को एक शक्तिशाली रिएक्‍टर और ज्‍यादा दबाव झेलने वाले हल की जरूरत है। भारत की इस जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरी तकनीक को न तो अमेरिका और न ही ब्रिटेन पूरा करेगा, ऐसे में फ्रांस भारत के लिए अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब फ्रांस भारत को रक्षा के क्षेत्र में अत्‍याधुनिक तकनीक मुहैया करा सकता है। ऐसी तकनीक जिसे अमेरिका देने से हमेशा इनकार करता रहा है।

पिछले कुछ सालों में भारतीय नौसेना के शीर्ष अधिकारियों ने विभिन्‍न विकल्‍पों की तलाश की है जिसमें फ्रांस की ओर से बरकूडा क्‍लास की परमाणु सबमरीन की तकनीक शामिल है। फ्रांस पहले से ही कलावरी श्रेणी की स्‍कॉर्पिन पनडुब्‍बी बनाने में मदद कर रहा है। भारत के लिए एक विकल्‍प रूस का भी जो अभी अरिहंत प्रॉजेक्‍ट पर मदद कर रहा है। इन सबमें ‘क्‍वॉड’ का कहीं अता-पता नहीं है जिसे चीन की चुनौती से निपटने के लिए बनाया गया है। पीएम मोदी अमेरिका जा रहे हैं और इस दौरान यह स्‍पष्‍ट हो जाएगा कि भारत को चीन से निपटने के लिए अमेरिकी तकनीक की मदद मिलेगी या उसे रूस और फ्रांस के सहारे ही चलना होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here