अपनी दलित सहयोगी का भरोसा तोड़ने वाली प्रियंका पर महिलाएं क्यों करें भरोसा – सरोज पांडेय

सरोज
राज्यसभा सांसद व पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडेय
  • श्रीमती वाड्रा के सचिव को गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाएं भूपेश

रायपुर राज्यसभा सांसद व भारतीय जनता पार्टी की पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडेय ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के छत्तीसगढ़ दौरे के संदर्भ में कहा है कि वे किसका भरोसा जीतना चाहती हैं? कांग्रेस तो महिलाओं का भरोसा तोड़ रही है। खुद प्रियंका ने अपनी ही पार्टी की दलित समाज की महिला नेता का भरोसा तोड़ दिया। कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन के दौरान प्रियंका के सचिव ने अर्चना गौतम नाम की दलित महिला नेता से बदसलूकी की। इसकी शिकायत की गई लेकिन भूपेश बघेल सरकार ने प्रियंका के सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। भूपेश बघेल के राज में छत्तीसगढ़ में महिलाओं के उत्पीड़न की खुली छूट है।

राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने कहा कि प्रियंका बस्तर आ रही हैं। तैयारियों में पूरी सरकार लगी हुई है। तब हमारा सवाल है कि लड़की हूं लड़ सकती हूं, का नारा देने वाली प्रियंका गांधी अपनी ही पार्टी की नेत्री और कांग्रेस उम्मीदवार रही दलित बेटी अर्चना गौतम की लड़ाई में क्यों साथ नहीं दे रही हैं? अर्चना गौतम के पिता ने अपनी बेटी के साथ प्रियंका गांधी के सचिव संदीप कुमार द्वारा किये गए दुर्व्यवहार, जातिसूचक गाली देने और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा बाकायदा दर्ज कराया है।

यह शर्मनाक घटना रायपुर में ही कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान हुई थी। अपनी ही पार्टी की महिला नेता के खिलाफ अपने नजदीकी सचिव द्वारा किये गए इस दुर्व्यवहार पर, दलित महिला के साथ हुए अन्याय पर प्रियंका गांधी क्यों चुप हैं? क्या उनकी सहमति से उनके सचिव ने यह अपराध किया है? क्या प्रियंका वाड्रा को अपनी दलित महिला नेता को संरक्षण देते हुए अपने सचिव पर कार्रवाई करने भूपेश बघेल से नहीं कहना चाहिए था? कांग्रेस की खानदानी विरासत से जुड़ी जो नेता अपनी महिला सहयोगी का भरोसा तोड़ सकती है, उस पर  छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के राज में शोषित, पीड़ित, वंचित महिलाएं कैसे भरोसा कर सकती हैं? क्या दलित महिला अर्चना गौतम को न्याय दिला कर प्रियंका महिलाओं का भरोसा बहाल करेंगी? उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल में हिम्मत है तो श्रीमती वाड्रा के सचिव को गिरफ्तार करके दिखाएं। अन्यथा महिलाओं का भरोसा जीतने का ढोंग बंद करें।

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