बिहार| Shrimad Bhagwat Katha DAY 6 : डेहरी ऑन सोन में चल रही भागवत कथा के दौरान परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने आज राधा कृष्ण और गोपियों की प्रेम कथा बताए, राधा का अर्थ बताते हुए परम पूज्य गुरुदेव यह बताएं कि किस तरह राधा रानी और गोपियों भगवान कृष्ण से प्रेम करते हैं और भगवान कृष्ण भी अलग-अलग रूप में राधा रानी से मिलने आते हैं आज हम जिसको प्रेम के नाम से परिभाषित करते हैं वह मोह से ग्रसित होता है, गुरुदेव प्रेम का अर्थ यह बताएं कि प्रेम मार्ग भी है प्रेम मंजिल भी है l
प्रेम से सबको प्राप्त किया जा सकता है सबको जोड़ा जा सकता है और प्रेम से सबसे जीत भी सकते है,एक-एक बूंद प्रेम से परमात्मा को भी प्राप्त किया जा सकता है जैसे एक -एक बूंद जल से समुद्र बन जाता है इस तरह एक-एक बूंद प्रेम से परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं प्रेम में ही परमात्मा प्रकट होते हैं द्रौपदी प्रेम से कृष्ण को याद करती है कृष्ण वस्त्र अवतार के रूप में प्रकट हो जाते हैं हम लोग जो भी व्यवहार करते हैं वह मोह है तो जब प्रेम में मोह आ जाए,दूरी बन जाती है, लोगों को समझ में नहीं आता अंतर किंतु परमात्मा को समझ में आता है।
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Shrimad Bhagwat Katha DAY 6: प्रेम तो कोई कहीं भी रहे कहीं से भी किया जा सकता है रुक्मणी ने तो कृष्ण से मिली भी नहीं थी किंतु कृष्ण से प्रेम करती है,बिना पास रहे ही होता है और जब हो जाता है तो कभी समाप्त भी नहीं होता किंतु मोह जो है वह हमेशा पास रहने को कहता है ,रामायण में रावण ही मोह का प्रतीक है
महाभारत में दुर्योधन को मोह कहा गया,मोह में एक गलती पर इतना बड़ा दंडित कर देगा कि जीवन भर बात नहीं करेगा किंतु वास्तविक जो प्रेम होगा वह अपनी प्रेमिका या अपने प्रेमी से हजारों गलतियों को क्षमा करके नजर अंदाज करके हमेशा उससे प्रेम ही करेगा।
Shrimad Bhagwat Katha: प्रेम क्षणिक नहीं होता है, प्रेम सदैव अनंत होता है
आजकल जो प्रेम की परिभाषा चल रही है वह कुमार्ग की प्रेम है वह प्रेम नहीं है शरीर के प्रति आकर्षण चेहरा के प्रति सुंदरता के प्रति स्टाइल के प्रति अदाओं के प्रति आकर्षण को अब प्रेम कहते हैं वह प्रेम समाप्त हो जाता है कमजोर पड़ जाता है ,प्रेम क्षणिक होता ही नहीं हमेशा बना रहेगा कभी कमजोर होगा भी नहीं हमेशा उतना ही रहेगा कभी कम भी नहीं है इसको प्रेम कहते हैं ।
Shrimad Bhagwat Katha: दशरथ जी को मोह हो गया देवकी को वासुदेव जी को प्रेम के संग संग मोह हुआ गोपियों को वह भी हुआ राधा रानी को भी मोह हुआ इसलिए भगवान से प्रेम कम नहीं हुआ दूरी बन गई शरीर से दूरी बन गई प्रेम अपनी जगह पर यथावत बना रह गया ,लेकिन मोह आएगा वह दूरी बना देगा, वह घृणा पैदा करवा देता है।
प्रेम अकारण होता है प्रेम का कोई कारण भी नहीं होता कि मैं तुम्हें इसलिए प्रेम करता हूं इसलिए तो होता ही नहीं ना कुछ कारण होता है प्रेम में ,इसलिए और कारण तो मोह में होता है प्रेम सीमाओं में बांधता नहीं है प्रेम तो सीमाओं को तोड़ता है और उन्मुक्त गगन में गुजरने को कहता है प्रेम तो हमेशा सार्थक होता है।
Shrimad Bhagwat Katha DAY 6: प्रेम कभी गुमराह नहीं करता कभी भ्रमित नहीं है हमेशा सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, जो दूषित प्रेम होता है वह केवल कहा जाता है कि उनसे उनका प्रेम है उनसे उनका अफेयर है तो अटैचमेंट है और उसके बाद भी विवाह हो जाता है फिर विवाह की स्थिति देखते हैं। काफी संख्या में लोगों की भीड़ रही अलग-अलग स्थान से लोग यूट्यूब पर भी कथा सुन रहे हैं।
26/09/2024 यानि DAY 7 की कथा इस लिंक पर देखें: Tap Here