ग्रामीण अंचल में रेशम विभाग द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा

वित्तीय वर्ष 2022-23 में टसर खाद्य पौध संधारण एवं कृमिपालन कार्य पर कुल 19317 रोजगार मानव दिवसों का सृजन कर 244 हितग्राही को किया लाभान्वित

रेशम
ग्रामीण अंचल में रेशम विभाग द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा

बीजापुर,नवीन कुमार लाटकर |  ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभाग द्वारा संचालित रोजगार मूलक योजनाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अंचल में निवास कर रहे स्थानीय निर्धन विशेषकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के गरीब परिवारों को स्व रोजगार उपलब्ध कराना है। जिला-बीजापुर में टसर खाद्य वृक्ष प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, जिससे वृहद् संख्या में कोसा उत्पादन की प्रबल संभावनाये मौजूद है, टसर रेशम उत्पादन के माध्यम से वनांचल के आसपास रहने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं अन्य वर्ग के लोगों को अपने मूल कार्यों के अतिरिक्त पूरक रोजगार प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।

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टसर कृमिपालन योजना – हितग्राही रोजगार मूलक योजनांतर्गत जिला बीजापुर में उपलब्ध टसर खाद्य पौधों पर टसर कीटपालन किया जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां वनखण्डों पर अथवा शासकीय टसर केन्द्रों में उपलब्ध खाद्य पौधों पर टसर कीटपालन योजना के माध्यम से पालित डाबा ककून उत्पादित किया जाकर कृषक हितग्राहियों को स्व रोजगार उपलब्ध कराया जाता है, इसी उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2022-23 में 50900 स्व.डिम्ब समूह के लक्ष्य के विरूद्ध 78705 स्व.डिम्ब समूह का कृमिपालन किया गया है। जिले में 17.82 लाख नग कोसा उत्पादन के लक्ष्य के विरूद्ध 17.92 लाख नग कोसे का उत्पादन किया गया है। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2022-23 में टसर खाद्य पौध संधारण एवं कृमिपालन कार्य पर कुल 19317 रोजगार मानव दिवसों का सृजन किया गया है, जिसमें 244 हितग्राही/श्रमिक लाभान्वित हुए है।

टसर धागाकरण योजना – कुछ माह पुर्व ग्राम-तुरनार के महिलाओं द्वारा अपने गांव में रिलींग कार्य शुरू करवाने हेतु इस कार्यालय में इच्छा जाहिर कि थी समीपवर्ती जिला-दन्तेवाड़ा के गीदम में समूहओं का कार्य व लाभ को देख कर प्रभावित हो कर अपने गांव में भी इस कार्य को करने की सोची। जिला कार्यालय रेशम में संर्पक किया गया। 20 नग रिलींग-सिपिंग मशीने प्रदाय किया गया था साथ में कोसे की व्यवस्था की गई जिसके लिये जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ मद से 338000/- रूपये उक्त कार्य हेतु स्वीकृत किये गये थे 7 दिवस के आधार भूत प्रशिक्षण बाद ही समूह के महिलाओं द्वारा मात्र दो माह में ही 22500 नग मृत कोसे से (C ग्रेड व D  ग्रेड) 15 किग्रा धागा व 23000 नग पोली कोसे से ( C ग्रेड व D ग्रेड) 16 किग्रा. घिंचा धागा निकाला गया। जिसका बाजार मूल्य रू. 107000 है। तथा इस सफलता से वो खुश है इस कार्य को आगे भी करना चाहती है उक्त कार्य में सहयोग करने हेतु जिला प्रशासन बीजापुर एवं रेशम विभाग के शुभ आभारी है।

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