प्रयागराज में प्रधानमंत्री मोदी बोलें: प्रयागराज महाकुम्भ 2025 धर्म, संस्कृति और आस्था का अद्वितीय संगम

PM Modi's Speech at Prayagraj
PM Modi's Speech at Prayagraj

प्रयागराज: PM Modi’s Speech at Prayagraj: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रयागराज और महाकुंभ की महिमा को वेद-पुराणों, ग्रंथों के आख्यानों के जरिए परिभाषित किया। महाकुंभ के संगम स्नान को लेकर तुलसी की चौपाई भी पढ़ी और वेद ऋचाओं के रूप में संस्कृत के तीन श्लोकों की व्याख्या कर महाकुंभ के महात्म्य और आध्यात्मिक अनुभव को समझाया।

पीएम मोदी ने महाकुंभ और प्रयागराज के आध्यात्मिक अनुभव को व्यक्त करने की शुरुआत बाबा तुलसी की चौपाई से की –

“माघ मकरगत रवि जब होई/ तीरथपतिहिं आव सब कोई..” से की।

उन्होंने बताया कि जब सूर्य मकर में प्रवेश करते हैं, तब सभी दैवीय शक्तियां, सभी तीर्थ, सभी ऋषि, महर्षि, मनीषी प्रयाग में आ जाते हैं। यह वह स्थान है जिसके प्रभाव के बिना पुराण पूरे नहीं होते। यह वह स्थान है, जिसकी प्रशंसा वेद की ऋचाओं ने की है। प्रयाग वह है जहां पग-पग पर पवित्र स्थान है, जहां पग-पग पर पुण्य क्षेत्र है।

PM Modi’s Speech at Prayagraj: मोदी ने प्रयागराज में स्थित सात तीर्थ नायकों का भी जिक्र किया। कहा कि –

“त्रिवेणी माघवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्/ वंदे’क्षयवटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम्।”

मोदी ने बताया कि त्रिवेणी का त्रिकाल प्रभाव, वेणी माधव की महिमा, सोमेश्वर के आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि, नागराज वासुकि का विशेष स्थान, अक्षय वट की अमरता और शेष की अशेष कृपा ही हमारा तीर्थराज प्रयाग है। तीर्थराज प्रयाग यानी चारि पदारथ भरा भंडारू, पुण्य प्रदेस देस अति चारू। पीएम ने इसका भी अर्थ बताया कि जहां धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पदार्थ सुलभ हैं, वहीं प्रयाग है।

PM Modi’s Speech at Prayagraj: उन्होंने कहा कि महाकुंभ हजारों वर्ष पहले से चली आ रही हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक यात्रा का पुण्य और जीवंत प्रतीक है। एक ऐसा आयोजन जहां हर बार धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला का दिव्य समागम होता है। संगम में स्नान से करोड़ तीर्थ के बराबर पुण्य मिल जाता है। जो व्यक्ति प्रयाग में स्नान करता है, वह हर पाप से मुक्त हो जाता है। राजा-महाराजाओं का दौर हो या फिर सैकड़ों वर्षों की गुलामी का कालखंड, आस्था का यह प्रवाह कभी नहीं रुका।

PM Modi’s Speech at Prayagraj:महाकुंभ: आस्था का जागृत स्वरूप

पीएम मोदी ने कहा कि इसकी एक बड़ी वजह यह रही है कि कुंभ का कारक कोई बाहरी शक्ति नहीं है। किसी बाहरी व्यवस्था के बजाय कुंभ मनुष्य के अंतर्मन की चेतना का नाम है। यह चेतना स्वतः जागृत होती है। यही चेतना भारत के कोने-कोने से लोगों को संगम के तट तक खींच लाती है।

गांव, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकल पड़ते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि प्रयागराज केवल एक भौगोलिक भूखंड नहीं है, यह एक आध्यात्मिक अनुभव का क्षेत्र है। करोड़ों लोगों का एक ध्येय-एक विचार से जुड़ाव।

PM Modi’s Speech at Prayagraj: महाकुंभ में सामूहिकता और एकता का दर्शन

महाकुंभ के महत्व पर पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ जैसी सामूहिकता की शक्ति, समागम शायद ही कहीं और देखने को मिले। यहां आकर संत-महंत, ऋषि-मुनि, ज्ञानी-विद्वान, जन सामान्य सभी एक हो जाते हैं। सब एक साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है, संप्रदायों का टकराव मिट जाता है।

PM Modi’s Speech at Prayagraj: करोड़ों लोग एक ध्येय, एक विचार से जुड़ जाते हैं। इस बार भी महाकुंभ के दौरान यहां अलग-अलग राज्यों से करोड़ों लोग जुटेंगे। उनकी भाषा अलग होगी, जातियां अलग होंगी, मान्यताएं अलग होंगी, लेकिन संगमनगरी में आकर वह सब एक हो जाएंगे।

इस कुंभ में हर तरह के भेदभाव की आहुति दी जाती है। पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ में देश को दिशा मिलती है। कुंभ के दौरान संतों के वाद में, संवाद में, शास्त्रार्थ में, शास्त्रार्थ के अंदर देश के सामने मौजूद विषयों पर, देश के सामने मौजूद चुनौतियों पर व्यापक चर्चा होती है और फिर संत जन मिलकर राष्ट्र के विचारों को एक नई ऊर्जा देते हैं, नई राह भी दिखाते हैं।

PM Modi’s Speech at Prayagraj: संत महात्माओं के निर्णय और समाज में सकारात्मक बदलाव

संत महात्माओं ने देश से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय कुंभ जैसे आयोजन स्थल पर ही लिए हैं। जब संचार के आधुनिक माध्यम नहीं थे, तब कुंभ जैसे आयोजनों ने बड़े सामाजिक परिवर्तन का आधार तैयार किया था। कुंभ में संत और ज्ञानी लोग मिलकर समाज के सुख-दुख की चर्चा करते हैं, वर्तमान और भविष्य को लेकर चिंतन करते हैं।

ऐसे आयोजनों से देश के कोने-कोने में समाज में सकारात्मक संदेश जाता है, राष्ट्र चिंतन की यह धारा निरंतर प्रवाहित होती है। इस आयोजन के नाम अलग-अलग होते हैं, पड़ाव अलग-अलग होते हैं, मार्ग अलग-अलग होते हैं, लेकिन यात्री एक होते हैं, मकसद एक होता है।

PM Modi’s Speech at Prayagraj: श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाना डबल इंजन सरकार का दायित्व

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुंभ और धार्मिक यात्राओं का इतना महत्व होने के बावजूद पहले की सरकारों के समय इन पर ध्यान नहीं दिया गया। श्रद्धालु ऐसे आयोजनों में कष्ट उठाते रहे, लेकिन तब की सरकारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था।

PM Modi’s Speech at Prayagraj: इसकी वजह थी भारतीय संस्कृति से भारत की आस्था से उनका लगाव नहीं था, लेकिन आज केंद्र और राज्य में भारत के प्रति आस्था, भारतीय संस्कृति को मान देने वाली सरकार है। इसलिए कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाना डबल इंजन की सरकार अपना दायित्व समझती है।


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