भुवनेश्वर,
ओडिशा के सोनपुर जिले में बिनिका का यह महिला स्वयं सहायता समूह गत लगभग 26 महीनों में सफलता की प्रेरक कहानी बनकर उभरा है। सफलता के ज्वलंत उदाहरण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मार्च, 2020 के महज दो महीने बाद उन्हें 5.94 लाख रुपये और मिले। खरीफ सीजन में धान की खरीद से जय मां तुलसी ग्रुप 11.24 लाख रुपये की कमाई करने वाला महिलाओं का पहला समूह बन गया।
आर्थिक क्रांति का एहसास – रबी सीजन के दौरान जय मां तुलसी ग्रुप को 24.32 लाख रुपये का कमीशन मिला। इस ग्रुप ने ओडिशा में टॉप पोजिशन हासिल की। यह समूह खरीफ सीजन में 3,597 टन धान और रबी सीजन में 7,784 टन धान की खरीद कर चुका है। सफलता की इस कहानी से ये चरितार्थ होता है कि ओडिशा में महिला SHG अब धान खरीद में न केवल सक्रिय रूप से भाग ले रहा है, बल्कि लाखों रुपये की आमदनी भी हो रही है। यह एक तरीके की आर्थिक क्रांति से कम नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं के जीवन को उस क्षेत्र में नया आकार मिल रहा है, जिसमें कभी पुरुषों का वर्चस्व माना जाता था।
सधी हुई शुरुआत के बाद हौसले की उड़ान – कुछ साल पहले तक धान के व्यापार में इन महिलाओं को कोई जानता तक नहीं था, लेकिन अब अन्य राज्यों में इन्हें आदर्श के रूप में देखा जा रहा है। 2008 में पंजीकृत हुआ जय मां तुलसी सेल्फ हेल्प ग्रुप शुरुआती दिनों में घर में तैयार किए जाने वाले सेमी प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का काम देखता था। इसमें बड़ी, पापड़ और अचार जैसी चीजें शामिल थीं। इसके अलावा यह ग्रुप सिलाई की वस्तुओं और सिलाई के काम तक सीमित था। जय मां तुलसी समूह की अध्यक्ष जयश्री बब्बू बताती हैं कि शुरुआती दिनों में कमाई कभी भी 5000 रुपये से अधिक नहीं हुई। धान खरीद से जुड़ने के बाद हमारा दल पूरी तरह बदल गया। जयश्री बताती हैं कि अब इस ग्रुप से जुड़े लोग न केवल अच्छा जीवन जी रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए आय के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान – धान की खरीद से जय मां तुलसी समूह तब जुड़ा जब 29 मई, 2019 को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने ऐतिहासिक निर्णय लिया। इसमें महिला स्वयंसहायता समूह (WSHGs) को विभिन्न विभागों के साथ जोड़ने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसका मकसद सरकारी सेवाओं का प्रावधान करना और पांच वर्षों की अवधि में 5,000 करोड़ रुपये की योजनाबद्ध खरीदारी करना था।
धान खरीद में गाड़े सफलता के झंडे – ओडिशा में रबी सीजन 2018-19 के दौरान कालाहांडी की 17 ग्राम पंचायतों में धान खरीद शुरू की गई। 17 स्वयंसहायता समूह SGH की ओर से 24.71 लाख क्विंटल से अधिक धान की खरीद की गई। इसका नतीजा ऐसा हुआ कि कुल कारोबार 43.26 करोड़ रुपये का हुआ और स्वयंसहायता समूहों को 77.25 लाख रुपये का कमीशन मिला। एक ग्रुप को औसत 4.5 लाख रुपये मिले। इस उल्लेखनीय सफलता से प्रेरित होकर, राज्य सरकार ने योजना को बढ़ावा देने का फैसला लिया। खरीफ वर्ष 2019-20 में 11 जिलों में 199 महिला स्वयंसहायता समूहों (WSHGs) को धान की खरीद से जोड़ा गया। इन जिलों में 419 करोड़ रुपये की लागत से 23.07 लाख क्विंटल धान खरीदा गया। इससे WSHGs को 7.2 करोड़ रुपये का कमीशन प्राप्त हुआ। 20 जिलों में खरीफ वर्ष 2021-22 के दौरान धान खरीद से जुड़े WSHGs की कुल संख्या 562 तक पहुंच गई।
किसानों के हित में फैसले – 1,452 करोड़ रुपये में 74.85 लाख क्विंटल धान की खरीद के बाद सेल्फ हेल्प ग्रुप को कमीशन के रूप में 23.39 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। महिलाओं के इन समूहों ने पिछले चार वर्षों में सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन की उल्लेखनीय मदद की जिससे 187.89 लाख टन धान की खरीद की जा सकी। इस काम से महिलाओं के समूहों को 58.69 करोड़ रुपये की कमाई हुई। महिलाओं का यह समूह खरीद स्वचालन प्रणाली (procurement automation systems) के माध्यम से किसानों का पंजीकरण करा रहा है। बायो-मीट्रिक डेटा के रूप में आंखों की पुतली स्कैन कर पहचान सुनिश्चित की जा रही है। सेल्फ हेल्प ग्रुप के प्रशिक्षित सदस्य धान की खरीद के दौरान किसानों के हित में हर जरूरी कदम उठा रहे हैं। सुचारू व्यवस्था बनने के कारण ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (Odisha State Civil Supplies Corporation) से जारी होने वाले पैसे (धान की कीमत) सीधे किसानों के खातों में जमा हो रहे हैं। इसके बाद इन समूहों को धान खरीद के लिए 31.25 रुपये प्रति क्विंटल का कमीशन मिल रहा है।
जयंती ने दिया ओजस्वी भाषण, सम्मान में खड़े हुए सीएम पटनायक – कभी अपने परिवार के पुरुष सदस्यों पर निर्भर रहने वाली ये महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप की सदस्य बनने के बाद अन्य ग्रामीण लोगों को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखा रही हैं। ये महिलाएं ग्रामीणों को स्थायी आजीविका सुरक्षित करने, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए प्रेरित कर रही हैं। सुंदरगढ़ जिले की जयंती एक्का ऐसी ही एक महिला हैं। जयंती ओडिशा में महिला सशक्तिकरण का आइकॉन हैं। उन्होंने मेक-इन-ओडिशा कॉन्क्लेव के दौरान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के समक्ष ओजस्वी भाषण दिया था। जयंती ने सभी का ध्यान तो आकर्षित किया ही, खुद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी जयंती के सम्मान में खड़े होकर उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दिया था।
कल्याणी ग्रुप से मिल रही महिलाओं को मदद – जयंती का जन्म एक गरीब किसान के घर हुआ। वे पढ़ाई में अच्छी नहीं थीं। साल 2003 में उन्होंने 15,000 रुपये के मामूली ऋण के साथ कल्याणी समूह शुरू करने का साहस जुटाया और इसके बाद जयंती को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। फ्लाई-ऐश ईंट बनाने के काम में कल्याणी ग्रुप विविधता लेकर आया है। लगभग एक दर्जन महिलाओं को रोजगार देने वाला कल्याणी ग्रुप 50 परिवारों का सहारा है। सुंदरगढ़ जिले में कल्याणी समूह से 15,000 से अधिक सेल्फ हेल्प ग्रुप जुड़े हैं।
पहले एक कार्यक्रम, फिर निदेशालय और वर्तमान में समर्पित ‘मिशन शक्ति विभाग’ (Department of Mission Shakti) ओडिशा में महिला सशक्तिकरण का प्रमाण है। 15 विभागों के साथ मिलकर, मिशन शक्ति ने 300 करोड़ रुपये की आय अर्जित करने वाले एक लाख से अधिक सेल्फ हेल्प ग्रुप को 1,200 करोड़ रुपये का व्यवसाय प्रदान कर रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद के कालखंड में नवाचार, प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भरता को अधिक महत्व दिया जा रहा है। ऐसे समय में जब देश-दुनिया में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग नौकरियां खोने और आय में कटौती जैसे नुकसान से दो-चार हो रहा है, ओडिशा में सेल्फ हेल्प ग्रुप आंदोलन का रुप ले चुका है। राज्य में कई परिवार गरीबी से बाहर निकले हैं। इन समूहों ने एक लंबा सफर तय किया है। बैंकिंग के अंतर को पाटते हैं सेल्फ हेल्प ग्रुप ओडिशा के ऐसे क्षेत्रों में जहां बैंक नहीं हैं या जिन ग्राम पंचायतों में बैंकिंग सुविधा कम है, ऐसे इलाकों में समाज के अंतिम व्यक्ति तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने सेल्फ हेल्प ग्रुप सदस्यों को बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट एजेंट (बीसीए) के रूप में नियुक्त किया है। बीसीए के रूप में 2,203 सेल्फ हेल्प ग्रुप सदस्य बोर्ड में हैं। तमाम बीसीए की ओर से 880.84 करोड़ रुपये का लेनदेन किया जा चुका है।
बेटी की शादी और बेटे की पढ़ाई में मदद – सिंगल मदर ज्योत्सनामयी दंडसेना (Jyotsnamayi Dandasena) ओडिशा के कालाहांडी जिले के मदनपुर में मां सरस्वती सेल्फ हेल्प ग्रुप (Maa Saraswati SHG Kalahandi) की अध्यक्ष हैं. वे बताती हैं कि समूह के विभिन्न कार्यों से होने वाली आय की मदद से वे अपनी बेटी की शादी कर सकीं। उन्होंने अपने इकलौते बेटे को उच्च शिक्षा भी दिलाई। दंडसेना सरकार को सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी पहल के लिए धन्यवाद देते हुए कहती हैं कि वे अब सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जी रही हैं, जो बहुत संतोषजनक है। बकौल दंडसेना, मिशन शक्ति की ओर से अपनाया गया अद्वितीय आजीविका मॉडल WSHG को न केवल बड़ा व्यवसाय प्रदान करता है, बल्कि यह समूह सामाजिक-आर्थिक क्रांति (socio-economic revolution) का पथ प्रदर्शक बन गया है।
अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने का संकल्प – ओडिशा सरकार की ओर से महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप (WSHG) के सदस्यों की ओर दिए जा रहे निस्वार्थ योगदान और सेवाओं को ध्यान में रखते हुए, प्रति वर्ष 217 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। WSHG के कार्यकारी समिति के सदस्यों को इसके तहत बैठक शुल्क और निश्चित यात्रा भत्ता दिया जाता है। इसी तर्ज पर राज्य भर में प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय में एक मिशन शक्ति गृह का निर्माण कराया जा रहा है। इन केंद्रों पर सेल्फ हेल्प ग्रुप की नियमित बैठक की सुविधा और खुदरा दुकानें खोली जा सकेंगी। इस तर्ज पर अब तक 7,877 गृह स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से 3,796 गृहों को शौचालय और जलापूर्ति सुविधाओं से लैस किया जा चुका है।
वैश्विक स्तर पर मिल रही पहचान – सुजाता कार्तिकेयन बताती हैं कि सरकार मिशन शक्ति का विस्तार करेगी। इस योजना के तहत और अधिक SHG को शामिल किया जाएगा। उन्होंने चुनौतियों के बारे में बताया कि मिशन शक्ति के तहत बड़ी मात्रा में धन का लेनदेन होता है, ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि बिचौलिए इसमें शामिल हों। उन्होंने कहा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाले वास्तविक सेल्फ हेल्प ग्रुप तक लाभ पहुंचना चाहिए। सरकार ने SHG उत्पादक समूहों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विभिन्न व्यापारिक संगठनों के साथ जोड़ना शुरू कर दिया है। इसका मकसद उन्हें उत्पादों का बाजार मूल्य दिलाना है। इससे वैश्विक स्तर पर भी उन्हें पहचान मिलेगी जो सभी के लिए फायदे की स्थिति होगी।