नई दिल्ली,
कॉलेजियम प्रणाली, न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली एक बार फिर सुर्खियों में है. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता बताई है और कहा है कि जज के माध्यम से जज के चयन की प्रणाली में अब बदलाव की आवश्यकता है. राष्ट्रपति ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया मे बदलाव लाते हुए ऑल इंडिया परीक्षा के माध्यम से उच्च पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति की जा सकती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपेार्ट के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि न्यायाधीशों का चयन एक प्रासंगिक मुद्दा है और बिना किसी दुविधा के एक स्वतंत्र लोकतंत्र के लिए बदलाव जरूरी है. उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में दृढ़ दृष्टिकोण रख्ता हूं कि न्यायालय की स्वतंत्रता आवश्यक है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोई और बेहतर तरीका भी खोजा जा सकता है.
भारतीय न्यायिक सेवा से किया जा सकता है न्यायाधीशों का चयन
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि निम्न से लेकर उच्च पद तक न्यायाधीशों के चयन और प्रोमोशन अखिल भारतीय न्यायिक सेवा से हो सकती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि यह विचार कोई नया नहीं है. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया के इससे भी बेहतर सुझाव हो सकते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य सिर्फ यह होना चाहिए कि न्याय वितरण के लिए स्वतंत्र व मजबूत न्याय व्यवस्था होनी चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा-अपने विवेक का प्रयोग करें न्यायाधीश
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में न्यायाधीशों को याद दिलाया कि अदालत कक्षों के अंदर बोलने में अत्यधिक विवेक का प्रयोग करना चाहिए और ये उनपर ही निर्भर करता है. उन्होंने न्यायधीशों व वकीलों को संबोधित करते हुए कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपने अपने लिए एक उच्च ‘बार’ निर्धारित किया है. इसलिए यह न्यायाधीशों पर भी निर्भर करता है कि वे अदालतों में बोलने में अत्यधिक विवेक का प्रयोग करें.अविवेकी टिप्पणी भले ही वह अच्छे इरादे से किया गया है लेकिन वह न्यायपालिका को नीचा दिखाने के लिए संदिग्ध व्याख्याओं की जगह बनाता है.