परम् पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी की संगीतमयी कथा सुनकर भक्त भाव विभोर हुए

श्रीराम कथा के दूसरे दिन शिव विवाह का प्रसंग सुनायें

Gurudev Shri Sankarshan Sharan
Gurudev Shri Sankarshan Sharan

रायपुर; हिन्द मित्र | Gurudev Shri Sankarshan Sharan : आनंद नगर के दुर्गा मंदिर में में चल रही श्री राम कथा के दूसरे दिन बुधवार को कथा व्यास प्रयागराज वाले परम् पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (Sankarshanji ) (Guruji) @SANKARSHANSHARAN (गुरु जी) ने श्रोताओं को कथा का सार बताने के साथ ही शिव और पार्वती विवाह का सुंदर वर्णन सुनाया। संगीतमयी कथा को सुनकर भक्त भाव विभोर हुए ।

ram katha
परम् पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी की संगीतमयी कथा सुनकर भक्त भाव विभोर हुए

Table of Contents

जिस तरह के बीज बोते हैं वैसा ही फल प्राप्त होता है

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : परम् पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने कथा के माध्यम से यह बताए कि हम जिस तरह के बीज बोते हैं वैसा ही फल प्राप्त होता है कोई ना कोई रूप में, हम किसी के साथ करते हैं हमारे साथ कोई और कर लेता है, हमारे द्वारा ही बोया गया बीज हमे फल के रूप में प्राप्त होता है , पिछले जन्म में माता सती भगवान राम की परीक्षा ली थी,इस जन्म में सप्तऋषि माता पार्वती की परीक्षा लेने चले जाते है ।


Read More : जो श्रद्धा और विश्वास को छोड़कर बुद्धि पर चलता है उसको नष्ट होना पड़ता है – श्री संकर्षण शरण जी  (गुरु जी)


 

जय विजय की कथा के माध्यम से यह बताए किस कारण इंसान का पतन हो जाता

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : जय विजय की कथा के माध्यम से यह बताए कि किस कारण इंसान का पतन हो जाता है, जब धर्म के कार्य में ,अच्छे कार्य मे रूकावट बन जाए वह राक्षस ही होता है उसका पतन होता है , भगवान विष्णु की द्वारपाल के रूप में जय विजय भी यही कार्य करते है, सप्तऋषि भगवान के दर्शन करने जाते है,जय,विजय भगवान के दर्शन के लिए मना कर दिए,जो भक्त और भगवन के मिलने में रुकावट हो वह राक्षस ही होरा है, अगले तीन जन्म तक राक्षस होने का श्राप दे देते हैं। कल रामावतार की कथा बताई जाएगी।

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : ताड़का अर्थात अवसरवादी

ताड़का अर्थात अवसरवादी लोग अक्सर या देखने को मिलता है कि अपना ही लाभ उठाना और यह प्रत्येक युग में देखने को मिलता है अवसर की तलाश में सभी रहते हैं

परहित सरस् धर्म नही भाई..
परम् पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने कथा के माध्यम से यह बताए कि “परोपकार ही सबसे बड़ा धन होता है,दुसरो के भलाई करके प्रसन्न होना,परोपकार में स्वयं का बलिदान कर देना, कामदेव की कथा के माध्यम से यह बताए कि कामदेव भगवान शिव के समाधि भंग करने जाते हैं उसे पता है कि मेरी मृत्यु निश्चित है लेकिन सबकी भलाई के लिए कामदेव तैयार हो जाते है ” हमारी भारतीय सेना भी हम सबकी रक्षा करने के लिए 24 घंटे परोपकार की भावना से तैनात रहती है, देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं परोपकार में ही अपना बलिदान करने के लिए तैयार है ऐसे लोगों की भगवान भी प्रशंसा करते हैं कामदेव भगवान की समाधि भंग करने जाते हैं उसे पता है कि मेरी मृत्यु निश्चित है फिर भी परोपकार के लिए जाते हैं। हमारी भारतीय सेना के कारण ही हम सब सुरक्षित है । युगो -युगो तक ये अमर रहते हैं ।

भगवान उसके भस्म का लेप कर लेते

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : चिता भस्म का अर्थ बताते हुए गुरुदेव यह बताएं कि जब मनुष्य मृत्यु को प्राप्त करता है तो उसके कारण नहीं या कहा जाता है कि राम का नाम सत्य है यह सुनने को मिल जाता है जीवित मनुष्य चाहते तो शिव को है लेकिन अपने अंदर की विकृतियां बुराई के कारण प्राप्त नहीं कर पाते है, जल जाने के बाद वह निर्मल हो जाता है समस्त विकृति बुराई समाप्त हो जाती है भगवान उसके भस्म का लेप कर लेते हैं।

बुद्धि में भटकाव हो तब भगवान का दर्शन नहीं होता

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : आगे गुरु जी बताएं जब बुद्धि में भटकाव हो जब मन इधर-उधर हो जाते हैं तब भगवान का दर्शन नहीं कर पाते चूक जाते है, मैना के साथ भी यही हुआ भगवान शिव उसके सामने से चले जाते हैं और वह दर्शन नहीं कर पाती है , अधिकतर बुद्धि से ही पूजा होती है हम बुद्धि में ही पूजा करते हैं मन हमारा भटकते रहता है और जो मन एकाग्र ना कर सके , इस श्लोक का पाठ ना कर सके ,मन को संतुलित नहीं कर सके, मंत्र ना बोल सके ,उनको यंत्र की पूजा करना चाहिए।

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : काल बेदी पूजा अवश्य करनी चाहिए

बेदी की पूजा का महत्व बताते हुए गुरु जी यह बताएं कि प्रातः काल विधि पूजा करने से यंत्र का पूजा करने से सब प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है ,हम सबको बेदी पूजा करनी चाहिए । कमलात्मिका यंत्र, सप्तमातृका यंत्र,षोडसी यंत्र अनेक प्रकार के बने हुए हैं कथा के पहले प्रातः काल बेदी पूजा अवश्य करनी चाहिए कामना पूर्ण होती है।

भगवान शिव अपने विवाह से प्रत्येक व्यक्ति को संकेत दिया

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : भगवान शिव अपने विवाह से प्रत्येक व्यक्ति को यह संकेत दिया कि हमें सब के लिए सोचना चाहिए, सबके चिंता करनी चाहिए, विवाह के उपरांत भगवान शिव 5 दिन हिमालय पर्वत में रहते हैं माता पार्वती मां को देखकर बार-बार वापस चली जाती है भगवान वहीं रुक जाते हैं यह 5 दिन का मतलब पांच इंद्रियां जब ज्ञान और कर्म इंद्रियां एक हो जाए तब शिव पार्वती एक हो जाते हैं शिव पार्वती का मिलन होता है।

अन्नपूर्णा रूप में प्रकट होकर फिर से भंडार भर दीजिए

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : 5 दिन में जब भंडार खाली हो जाता है, तब पार्वती जी जाने के लिए तैयार हो जाती हैं, भगवान शिव पार्वती जी से कहते हैं कि आप अन्नपूर्णा रूप में प्रकट होकर फिर से भंडार भर दीजिए, आप का एक रूप अन्नपूर्णा है , और यह शिक्षा देते हैं कि हमें सबके लिए चिंता करनी चाहिए। माता पार्वती उसी समय अन्नपूर्णा माता के रूप में मुट्ठी भर चावल लेकर पीछे की ओर फेंक देती है और हिमालय राज का भंडार भर जाता है ।

Gurudev Shri Sankarshan Sharan : विवाह के उपरांत हम कुछ लेकर नही जा रहे हैं आपकी भंडार भरी रहे, और जब ससुराल जाती है तो सामने से चाँवल ढकेलती है यहाँ भी समृद्धि बना रहे , बेटियां अन्नपूर्णा का ही रूप होती है ।

आज कथा दोपहर 2: 00 बजे से कथा प्रारंभ की गई । कथा का प्रारंभ यजमान डॉ.नीता प्राणेश गुरूगोस्वामी और परिवार ने गुरु पूजन कर किया। आज की कथा में शिव और पार्वती विवाह का सुंदर की कथा बताई गई , कल गुरुवार 23 फरवरी को भगवान राम अवतार कथा बताई जाएगी।