रायपुर | Daughter gave light : यह कहानी वास्तव में स्नेह, बलिदान और परिवार के बंधन का अद्वितीय उदाहरण है। अनिल कुमार यादव की बेटी वदना यादव ने अपने पिता के प्रति जो समर्पण दिखाया, वह एक प्रेरणादायक घटना है। लीवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे अनिल को उनकी बेटी द्वारा पार्शियल लीवर डोनेट करना न केवल उनकी ज़िंदगी बचाने वाला कदम था, बल्कि यह एक गहरी भावनात्मक और साहसी पहल भी थी।
लीवर सिरहोसिस में लीवर की कार्यक्षमता धीरे-धीरे घट जाती
Daughter gave light : लीवर सिरोसिस में लीवर की कार्यक्षमता धीरे-धीरे घट जाती है, जिससे शरीर में कई तरह की जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे बार-बार पीलिया, पेट में पानी भरना, खून की उल्टियां, और शरीर की कमजोरी। अनिल की स्थिति इसी प्रकार से गंभीर होती जा रही थी, लेकिन उनकी बेटी का ये निर्णय उन्हें एक नया जीवन देने जैसा था।
इस घटना में वदना की हिम्मत और अपने पिता के प्रति प्रेम और कर्तव्य की भावना विशेष रूप से सराहनीय है। यह दीपावली उनके जीवन में उम्मीद और खुशी की नई रौशनी लेकर आई, जो इस त्यौहार की असली भावना को दर्शाती है।
Daughter gave light : श्री नारायणा हॉस्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांट और जी.आई. सर्जन डॉ. हितेश दुबे की विशेषज्ञता और अनिल कुमार यादव की स्थिति का सही तरीके से आकलन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि अनिल का लीवर पूरी तरह से फेल हो चुका था, जिसे चिकित्सा की भाषा में “डीकंपेन्सेटेड लीवर सिरहोसिस” कहा जाता है। इस स्थिति में लीवर अपने आवश्यक कार्यों को पूरी तरह से करना बंद कर देता है, जिससे मरीज के जीवन पर गंभीर संकट आ जाता है। इसके चलते मरीज को संक्रमण और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का उच्च जोखिम होता है।
अनिल की ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई
Daughter gave light : डॉ. दुबे और उनकी टीम ने अनिल की स्थिति का सघन परीक्षण करने के बाद पाया कि लीवर ट्रांसप्लांट ही उनकी जान बचाने का एकमात्र उपाय था। 6 अक्टूबर को श्री नारायणा हॉस्पिटल में वदना यादव द्वारा दान किए गए पार्शियल लीवर के माध्यम से अनिल की ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। यह सर्जरी न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि परिवार के प्रेम और बलिदान का एक आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।
इस सफल ट्रांसप्लांट सर्जरी ने अनिल को एक नया जीवन दिया, और यह पूरी प्रक्रिया डॉक्टरों की कुशलता, आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और परिवार के अटूट प्रेम के कारण संभव हो सकी।
Daughter gave light : चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि
यह सर्जरी वास्तव में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए ऐतिहासिक क्षण था। दो अलग-अलग ऑपरेशन थिएटरों में 12 घंटे तक लगातार चली इस जटिल प्रक्रिया में एक ओटी में डोनर का लीवर निकाला जा रहा था, जबकि उसी समय दूसरे ओटी में मरीज के क्षतिग्रस्त लीवर के हिस्से को हटाया जा रहा था। इस प्रकार की समांतर सर्जरी अत्यधिक योजना और विशेषज्ञता की मांग करती है, और इसे एक ही समय में दोनों ओटी में अंजाम देना एक बड़ा चिकित्सीय कदम था।
Daughter gave light : डॉक्टरों की विशेषज्ञता और टीमवर्क ने इस जटिल प्रक्रिया को सफल बनाया
इस सर्जरी को सफल बनाने में हैदराबाद से आए लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सचिन वी. डागा और उनकी टीम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। उनके साथ श्री नारायणा हॉस्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. हितेश दुबे, लीवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. भाविक शाह, एनेस्थेटिस्ट डॉ. सी.पी. वट्टी और डॉ. निशांत त्रिवेदी, और हैदराबाद से आई एनेस्थेटिक टीम के डॉ. रवि चंद सी.एस., डॉ. राघवेंद्र रेड्डी, डॉ. प्रमेश, डॉ. प्रवीण, और डॉ. मनोज का योगदान उल्लेखनीय था। इन सभी डॉक्टरों की विशेषज्ञता और टीमवर्क ने इस जटिल प्रक्रिया को सफल बनाया।
Daughter gave light : मेजर सर्जरी ने चिकित्सा जगत में छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दिलाई
इस मेजर सर्जरी ने चिकित्सा जगत में छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दिलाई और यह साबित किया कि हमारे राज्य में भी अब इतने जटिल और संवेदनशील ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए जा सकते हैं। यह सर्जरी अनिल कुमार यादव और उनके परिवार के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई, और इसने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की।
डॉ हितेश ने बताया कि वर्तमान में लीवर ट्रांसप्लांट करने की दो ही प्रमुख तकनीके हैं, जिनमें से एक है, डीडीएलटी यानी डिजीज डोनर लीवर ट्रांसप्लांट जिसमें किसी ब्रेन डेड व्यक्ति का पूरा का पूरा ही लीवर निकाल कर वांछित व्यक्ति में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है और दूसरी तकनीक है, एलडीएलटी यानी लिविंग डोनर लीवर ट्रांसप्लाट, इसमें ऐसे डोनर की जरूरत पड़ती है ।
Daughter gave light : डॉ. भाविक शाह ने बताया कि लीवर ट्रांसप्लांट के लिए जीवित डोनर का चयन
ट्रांसप्लाट फिजिशियन डॉ. भाविक शाह ने बताया कि लीवर ट्रांसप्लांट के लिए जीवित डोनर का चयन कुछ महत्वपूर्ण मानकों पर आधारित होता है। सबसे पहले, डोनर का मरीज का करीबी रिश्तेदार होना आवश्यक है, जैसे भाई-बहन, पति-पत्नी, माता-पिता या कोई अन्य निकट संबंधी। डोनर को यंग और पूरी तरह से स्वस्थ होना चाहिए, ताकि सर्जरी के दौरान और बाद में उसके स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके साथ ही, सबसे अहम बात यह है कि डोनर को स्वेच्छा से अपनी मर्जी से लीवर डोनेट करने का इच्छुक होना चाहिए।
Daughter gave light : लीवर से संबंधित बीमारियाँ, जैसे लीवर सिरहोसिस, फैटी लीवर
डॉ. शाह ने यह भी बताया कि आजकल लीवर से संबंधित बीमारियाँ, जैसे लीवर सिरहोसिस, फैटी लीवर और हेपेटाइटिस, काफी सामान्य हो गई हैं। आधुनिक जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर खानपान, शराब का सेवन और मोटापा लीवर की बीमारियों के प्रमुख कारणों में से हैं। ऐसे में लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता भी बढ़ रही है, और यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए एक जीवनरक्षक साबित हो रही है, जिन्हें गंभीर लीवर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
Daughter gave light : डॉ. भाविक शाह ने विशेष रूप से क्रॉनिक लीवर डिजीज के बारे में बताया
डॉ. भाविक शाह ने विशेष रूप से क्रॉनिक लीवर डिजीज के बारे में बताया कि इसका सबसे सामान्य कारण अत्यधिक अल्कोहल का सेवन है। पहले, अल्कोहल से संबंधित बीमारियों में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी काफी आम थे। ये वायरस लीवर की गंभीर बीमारियों का कारण बनते थे, जिससे सिरहोसिस और लीवर फेल्योर की स्थिति उत्पन्न होती थी।
हालांकि, अब हालात बदल गए हैं। वर्तमान में हेपेटाइटिस बी और सी से ज्यादा, फैटी लीवर और लीवर से संबंधित मेटाबोलिक बीमारियों ने इनका स्थान ले लिया है। फैटी लीवर (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease – NAFLD) और अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (Alcoholic Fatty Liver Disease – AFLD) आज की आधुनिक जीवनशैली के कारण तेजी से बढ़ रहे हैं। अधिक वसा, शुगर और अनियमित खानपान के कारण फैटी लीवर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, मोटापा, डायबिटीज और अन्य मेटाबोलिक सिंड्रोम भी लीवर की बीमारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
Daughter gave light : लीवर की कोई भी बीमारी जब शुरू होती है फैटी लीवर होना ही पाया जाता
लीवर की कोई भी बीमारी जब शुरू होती है, तो उसमें प्रारंभ में केवल फैटी लीवर होना ही पाया जाता है. जो आगे चलकर फाइब्रोसिस और फिर उसके बाद लीवर सिरहोसिस में तब्दील हो जाता है, फैटी लीवर और फाइब्रोसिस को तो दवाइयों, परहेज तथा एक्सरसाइज आदि से रिवर्स किया जा सकता है।
Daughter gave light : लीवर सिरहोसिस को रिवर्स करना अत्यत ही मुश्किल काम
लेकिन लीवर सिरहोसिस को रिवर्स करना अत्यत ही मुश्किल काम होता है, लीवर सिरहोसिस होने के कारण ही खून की उल्टी, पीलिया, पेट में पानी भरना, ब्रेन में इफेक्ट और लीवर कैंसर हो सकता है, ऐसी स्थिति बन जाने के बाद दवाइया से इन बीमारियों को कुछ सिर्फ कुछ समय तक के लिए ही रोका जा सकता है, लेकिन अततोगत्वा केवल लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी कराना ही इस बीमारी का एकमात्र परमानेंट इलाज है।
अपोलो मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कोलकाता में 6 साल काम करने के बाद श्री नारायणा हॉस्पिटल में विगत 4 सालो में हमने यहाँ पर एक ‘स्टेट ऑफ आर्ट गैस्ट्रो एडवास्ड एंडोस्कोपिक और हैपेटोलॉजी सेंटर इस्टैबलिश्ड किया है, जिसमें लीवर की मामूली सी मामूली बीमारियों से लेकर एडवांस लीवर ट्रांसप्राट सर्जरी जैसी अति आधुनिक सुविधाए एक ही छत के नीचे इस हास्पिटल में उपलब्ध है।
Daughter gave light : डॉ सुनील खेमका ने बताया कि “लीवर की बीमारी आम बीमारी बन गई
श्री नारायणा हास्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ सुनील खेमका ने इस अवसर पर बताया कि “लीवर की बीमारी अब वर्तमान में एक बहुत ही आम सी बीमारी बन गई है, लीवर की विभिन्न प्रकार की बीमारिया जैसे हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी. लिवर सिरोसिस एवं लीवर कैंसर के पेशेट वर्तमान में लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं।
जिसकी मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों में मिलावट होना, पपस्ट फूड या बेवरेज में आर्टिफिशियल रग, प्रिजर्वेटिव्स या स्वाद बढ़ाने वाले विभिन्न हानिकारक केमिकल आदि का ज्यादा उपयोग होना है, जो कि लीवर कैंसर होने का प्रमुख कारक है।
Daughter gave light : इन सभी वजहों से भविष्य में लीवर ट्रांसप्लान्ट जैसी जटिल सर्जरी कराने की आवश्यकता कुछ ज्यादा ही होने की संभावना है, इस समय मध्य भारत में छत्तीसगढ़ एक प्रमुख मेडिकल हब के रूप में उभर रहा है। यहां पर किडनी ट्रांसप्लांट और लीवर ट्रांसप्लांट आदि तो कॉमनली हो ही रहे हैं।
परतु भविष्य में यहाँ पर कैडवरिक लिंब ट्रांसप्लांट ( हाथ पैर एवं अन्य ऑर्गन्स का ट्रांसप्लांट) तथा हार्ट ट्रांसप्लाट भी अतिशीघ्र ही पारंभ होगा, केंद्र शासन यदि रायपुर को इंटरनेशनल हवाई सेवाओं से डायरेक्ट जोड देता है, तो हमारा छत्तीसगढ़ मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में निश्चित रूप से अपना स्थान बनाने में कामयाब होगा, क्योंकि यहाँ रायपुर में मेडिकल एक्सप्रेस, मेट्रो शहरो के कम्पेरीजन में आधे से भी कम है l
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