छत्तीसगढ़ राज्य को फाइलेरिया मुक्त बनाने हेतु प्रतिबद्ध….मीडिया का सहयोग अत्यंत आवश्यक – डॉ. सुभाष मिश्रा

आगामी 10 अगस्त से राज्य के फाइलेरिया प्रभावित 7 जिलों के 23 विकास खण्डों में शुरू हो रहा है सामूहिक दवा सेवन अभियान

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छत्तीसगढ़ राज्य को फाइलेरिया मुक्त बनाने हेतु प्रतिबद्ध....मीडिया का सहयोग अत्यंत आवश्यक - डॉ. सुभाष मिश्रा

रायपुर |  राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए लगातार सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के सफल किर्यन्वयन हेतु मीडिया सहयोगियों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए और आगामी 10 अगस्त से राज्य के फाइलेरिया प्रभावित 7 जिलों मेंके 23 विकास खण्डों की 67 लाख आबादी को फाइलेरिया मुक्त करने के लिए, शुरू होने वाले सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के प्रति जन-मानस में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने के लिए आज रायपुर स्थित पुराने डीएचएस भवन के डीकेएस परिसर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छतीसगढ़ द्वारा ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज संस्था के साथ समन्वय बनाते हुए जिले के प्रमुख मीडिया संस्थानों के सम्पादकों , उप-सम्पादकों एवं ब्यूरो चीफ को फाइलेरिया रोग के प्रति और अधिक संवेदनशील करने के लिए एडिटर्स मीट का आयोजन किया गया ।

डॉ. सुभाष मिश्रा : राज्य सरकार फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध

इस अवसर पर संचालक महामारी नियंत्रण, संचालनालय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छतीसगढ़, डॉ. सुभाष मिश्रा ने उपस्थित मीडिया सहयोगियों से संवाद करते हुए कहा कि राज्य सरकार फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के दिशा-निर्देश के अनुसार लोगों को इस रोग से सुरक्षित रखने के लिए साल में 1 बार सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम आयोजित कर रही है ।

उन्होंने बताया कि संक्रमित क्युलेक्स मच्छर के काटने से फैलेने वाला यह एक भयावह रोग है जिसमें एक बार शारीरिक अंगों में सूजन आ जाये तो कोई उपचार या ऑपरेशन सफल नहीं होता । चूँकी इसकी पहचान सूजन आने से होती है , जिसका उपचार नहीं हो पाता , अतः बचाव ही इसका एकमात्र उपचार है । इसके लिए जिन स्थानों पर इस बीमारी के रोगी हैं , वहाँ सभी व्यक्ति एकसाथ , प्रतिवर्ष एक बार दवा खा लें , तो ५ वर्षों में यह बीमारी समाप्त हो जाएगी । यह मच्छर से फैलती है , अतः मच्छरदानी का उपयोग करे , घर के आसपास पानी जमा न होने दें, साफ़ सफ़ाई रखें तो फ़ाइलरिया के साथ मलेरिया और डेंगू से भी बचा जा सकता है ।

किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उन्होंने यह भी कहा कि सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान, फाइलेरिया रोधी दवाएं स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी |

ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं | किसी भी स्थिति में, दवाओं का वितरण नहीं किया जायेगा । दवायें खाली पेट नहीं खाना है । 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं नहीं खिलाई जाएगी ।

डॉ. नूपर रॉय : फ़ाइलेरिया एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्या है, फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से सम्पूर्ण उन्मूलन किया जा सकता

अपर निदेशक, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र, भारत सरकार, डॉ. नूपर रॉय ने कहा कि फ़ाइलेरिया, भारत की एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्या है। यह बीमारी देश के 16 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों के 328 जिलों में फैली हुई है। इस समय भारत में लगभग 65 करोड़ लोग इस रोग से संक्रमित होने के जोखिम में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी पात्र लाभार्थियों द्वारा साल में केवल एक बार, 5 साल तक लगातार फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से फ़ाइलेरिया का सम्पूर्ण उन्मूलन किया जा सकता है |

डॉ. जगन्नाथ राव : फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं

राज्य नोडल अधिकारी, फाइलेरिया डॉ. जगन्नाथ राव ने कहा कि सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के प्रति लोगों में आवश्यक जानकारी और जागरूकता फैलाने में मीडिया का हमेशा सहयोग रहता है । उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवाएं खाने के बाद उन परजीवियों के मरने के उपरान्त दिखाई देते हैं |

सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते है । उन्होंने मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि जब भी मीडिया के पास फाइलेरिया या सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम से सम्बंधित कोई समाचार या जानकारी पहुंचे तो उसे समाचार पत्रों और चैनेल में प्रमुखता से स्थान दें और यदि आपके कोई सुझाव हैं तो तो कृपया उसको स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों से साझा करें, साथ ही कार्यक्रम से सम्बंधित सही आंकड़े और जानकारी प्राप्त कर लें, उसके बाद ही समाचार प्रकाशित करें ।

मीडिया संवाद सत्र के दौरान, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज संस्था के सीनियर डायरेक्टर अनुज घोष ने फाइलेरिया रोग के उन्मूलन में मीडिया सहयोगियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में मीडिया के ही माध्यम से लोगों को जानकारी प्राप्त होती है । इसी प्रकार सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के महत्व के बारे में आपके माध्यम से सभी लाभार्थियों को फाइलेरियारोग से सुरक्षित रहने की जानकारी मिलेंगी और इससे फाइलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ का सपना साकार होगा । इस अवसर पर जिले के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, अन्य सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं स्थानीय मीडिया सहयोगी उपस्थित थे ।

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