फिर धमाके हो रहे परिवेश में, आप भी करिए सियासत देश में….राजेश जैन ‘राही’

साहित्य,
फिर धमाके हो रहे परिवेश में,
आप भी करिए सियासत देश में।

आप परिवर्तित नहीं होंगे कभी,
आपका जीवन कटा उपदेश में।

प्रेम से जो हो सके वो ठीक है,
आजकल कोई नहीं आदेश में।

हल निकल जाता अगर वो चाहते,
मामला बिगड़ा क्षणिक आवेश में।

साधना माँ-बाप की पूरी अगर,
लाड़ला रहने लगे निर्देश में।

हो सके तो झील के तट पर मिलो,
अब मजा आता नहीं संदेश में।

आप तो भीतर कदम रखते नहीं,
प्रेम का झरना बहे ‘राजेश’ में।

-:राजेश जैन ‘राही’                                                                                                                       रायपुर