साहित्य,
सामाजिक समरूपता, सांसारिक सद्भाव।
कुलगुरु घांसीदास में ,रहा सदा ये भाव।।
श्वेत-वसन,सद-आचरण,दया,धर्म,सतनाम।
गुरुजी इनकी साधना ,करते आठों याम।।
अन्तर्गते बिलासपुर, इक गिरौदपुर गाँव।
गुरु ने की तप-साधना,औंरा- धौंरा छाँव।।
एक- रूप,इक -अंग है, एक लहू के रंग।
फिर क्यों मानव पी रहे,जाति-जाति के भंग।।
सहज,सुबोध,सुयोगमय,सरल,सुकोमल नाम।
कुलगुरु घांसीदास को,कर लो आज प्रणाम।।
-: बल्लू-बल