लाइफ स्टाइल; कुलदीप शुक्ला । monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : मानसून केवल मौसम का बदलाव नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर और मन की परीक्षा लेने वाला समय भी है। तेज़ गर्मी से राहत दिलाने वाली बारिश जहां धरती को हरियाली से भर देती है, वहीं यह मौसम स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियाँ भी लेकर आता है। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों इस बात पर सहमत हैं कि बरसात के दिनों में अनुशासित दिनचर्या और संतुलित खानपान बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
शरीर पर मानसून का प्रभाव
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु के समय हमारे शरीर के तीन मुख्य दोषों वात, पित्त और कफ का संतुलन बदल जाता है।वात दोष इस ऋतु में प्रमुख हो जाता है। इससे शरीर में सूजन, जोड़ों का दर्द, अकड़न और अपच जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। पित्त दोष गर्मी और चयापचय से जुड़ा है।
मानसून में इसके असंतुलन से एसिडिटी, त्वचा संबंधी रोग और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। पाचन तंत्र (पाचन अग्नि) कमजोर हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि भोजन ठीक से नहीं पचता और रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।
मानसून में आहार का महत्व
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा पद्धति भी इस मौसम में होने वाले शारीरिक बदलावों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाती है। दोनों ही मानते हैं कि वर्षा ऋतु में सावधानी, संतुलित आहार और जीवनशैली का पालन करना आवश्यक है। उच्च आर्द्रता (Humidity) पाचन को धीमा कर देती है, आंतों के बैक्टीरिया का संतुलन बिगाड़ देती है और संक्रमण का खतरा बढ़ा देती है।
गठिया के रोगियों को इस समय अधिक तकलीफ होती है, क्योंकि वायुमंडलीय दबाव (Barometric Pressure) में बदलाव उनके जोड़ों को प्रभावित करता है। डॉक्टर भी मानते हैं कि मानसून में जलजनित और मच्छर जनित रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया और हैजा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
बरसात के मौसम में सावधानी बरतने के उपाय
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : वर्षा ऋतु में पाचन और प्रतिरक्षा का संतुलन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद इसे ऋतुचर्या का मूल मानता है। बरसात के मौसम में खानपान और जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। उचित आहार ही ऋतु चक्र का मूल है और यही शरीर के संतुलन, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और स्वास्थ्य का आधार बनता है।
मानसून में पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है, जिसका सीधा प्रभाव भोजन के पाचन और पोषण तंत्र पर पड़ता है। इसलिए इस ऋतु में आहार और दिनचर्या का सावधानी पूर्वक चयन ही अच्छे स्वास्थ्य की सबसे बड़ी पूँजी है।
बरसात के मौसम में क्या खाना चाहिए
- अनाज : पुराने चावल, जौ, गेहूं जैसे हल्के और आसानी से पचने वाले अनाज।
- गर्म सूप : पोषण देने वाले और पचने में आसान।
- मसाले : अदरक, जीरा, धनिया, हल्दी जैसे मसाले भोजन को पचाने और संक्रमण रोकने में सहायक हैं।
- हर्बल पानी : अदरक या जीरा डालकर उबाला गया गुनगुना पानी पाचन को संतुलित करता है।
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : विशेष आहार
- मट्ठा (Buttermilk): प्रोटीन और प्रोबायोटिक्स से भरपूर, आंत के स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
- काला नमक : प्राकृतिक आयरन, पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरपूर, मट्ठा या सलाद में मिलाने से पाचन सुधरता है।
- शहद : ठंडे पानी में शहद घोलकर पीने से त्वरित ऊर्जा मिलती है, आंत के अच्छे बैक्टीरिया को सहारा मिलता है और शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स की आपूर्ति होती है।
- पंचकोला चूर्ण (पिप्पली, पिप्पलीमूल, चव्य, चित्रक और सोंठ से बना) : भूख बढ़ाता है, चयापचय को संतुलित करता है और आंत को शुद्ध करता है।
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : किन चीज़ों से बचना चाहिए?
- कच्ची पत्तेदार सब्जियाँ (संक्रमण का खतरा)
- स्ट्रीट फूड और तैलीय भोजन
- अत्यधिक शराब और भारी मांस
- ठंडा, बासी या फ्रिज में रखा भोजन
आधुनिक चिकित्सक भी इन सुझावों से सहमत हैं। उनका कहना है कि ताज़ा, हल्का और घर का बना भोजन ही इस मौसम में सुरक्षित है।
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : फिटनेस और जीवनशैली के नियम
बरसात का मौसम जहाँ वातावरण को ठंडक और सुकून देता है, वहीं शरीर के लिए कई तरह की चुनौतियाँ भी लेकर आता है। इस समय नमी, आर्द्रता और वातावरण में असंतुलन के कारण पाचन कमजोर , जोड़ों में दर्द बढ़ सकता है और संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है। ऐसे में जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।
बरसात में योग, मालिश, स्वच्छता और अनुशासित जीवनशैली अपनाकर न केवल रोगों से बचा जा सकता है, बल्कि मन और शरीर दोनों को स्वस्थ व संतुलित रखा जा सकता है। बरसात के मौसम में नियमित योगाभ्यास और प्राणायामशरीर को स्फूर्ति देते हैं, रक्तसंचार को संतुलित रखते हैं और प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाते हैं। हल्के-फुल्के आसन जैसे ताड़ासन, भुजंगासन, वज्रासन और anulom-vilom प्राणायाम विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं।
बरसात में क्या करना चाहिए?
- अभ्यंग (तेल मालिश) : स्नान से पहले गर्म तेल से मालिश वात दोष को शांत करती है और जोड़ों की अकड़न कम करती है।
- बस्ती थेरेपी : औषधीय एनीमा बड़ी आंत को शुद्ध करता है और रोगाणुओं के असर को कम करता है।
- मध्यम व्यायाम : योग और हल्की स्ट्रेचिंग शरीर को सक्रिय रखते हैं, लेकिन थकान से बचाते हैं।
- सुगंध चिकित्सा : चंदन, केसर और अगरवुड जैसे तेल तनाव कम करते हैं, नींद सुधारते हैं और मन को शांत करते हैं।
क्या नहीं करना चाहिए?
- दिन में सोना (पाचन कमजोर करता है)
- अत्यधिक व्यायाम या भारी मेहनत
- लगातार बारिश में भीगना
- अत्यधिक यौन गतिविधि
- गीले और नम स्थानों पर अधिक समय बिताना
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : आधुनिक विज्ञान भी इन सावधानियों का समर्थन करता है। अध्ययनों के अनुसार, नम वातावरण में फंगल संक्रमण और मच्छर जनित बीमारियाँ तेजी से बढ़ती हैं। वहीं, पर्याप्त नींद, तनाव नियंत्रण और स्वच्छता मौसमी रोगों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।
समग्र परिप्रेक्ष्य
बारिश केवल मौसम के बदलाव का संकेत नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर और मन के लिए एक चुनौती भी प्रस्तुत करती है। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि मानसून के दौरान संतुलित आहार, अनुशासित दिनचर्या और परिवेश पर सावधानी पूर्वक ध्यान देना अनिवार्य है।
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : गर्म एवं सुपाच्य भोजन, सुरक्षात्मक आदतें, स्वच्छता और मन को शांत रखने वाले अभ्यास इस ऋतु में हमारे सबसे बड़े सहायक बन सकते हैं। इन सरल मौसमी प्रथाओं का पालन करके हम न केवल अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि प्रतिरक्षा को भी सुदृढ़ बनाते हैं। इस प्रकार, वर्षा ऋतु को हम कमजोरी या रोगों का कारण मानने के बजाय, नवीन ऊर्जा, संतुलन और जीवन शक्ति को ग्रहण करने का अवसर बना सकते हैं।
निष्कर्ष
मानसून हमें केवल ठंडी बौछारों और हरियाली का आनंद ही नहीं देता, बल्कि यह हमारे शरीर को कई स्वास्थ्य चुनौतियों से भी रूबरू कराता है। आयुर्वेदिक ऋतुचर्या और आधुनिक चिकित्सा दोनों इस बात पर जोर देते हैं कि इस समय आहार, दिनचर्या और स्वच्छता में संतुलन आवश्यक है।
monsoon wellness aahar jeevanshaili fitness : ताज़ा और हल्का भोजन, नियमित व्यायाम, तेल मालिश, पर्याप्त नींद और मन को शांत रखने वाली गतिविधियाँ ये सब मिलकर मानसून को स्वास्थ्य के लिहाज से सुखद बना सकती हैं। सही सावधानियों और संतुलित जीवनशैली से हम इस मौसम का आनंद लेते हुए बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं।
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