भारत सोने की रिसाइक्लिंग करने वाला चौथा बड़ा देश

 नई दिल्ली
भारत सोने की रिसाइक्लिंग करने वाला चौथा बड़ा देश बन गया है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में भारत ने विश्व में सोने की कुल रिसाइक्लिंग का 6.5 प्रतिशत या 75 टन सोने की रिसाइक्लिंग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल से भारत में सोने की कुल आपूर्ति में से 11 प्रतिशत पुराने सोने से होती है, जो सोने की कीमत, भविष्य में सोने के भाव की उम्मीद और व्यापक आर्थिक परिदृश्य से संचालित है।
सोने की रिसाइक्लिंग (आभूषण, विनिर्माण स्क्रैप और एंड- आफ-लाइफ इंडस्ट्रियल स्क्रैप) इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव, मौजूदा और भविष्य की उम्मीदों और आर्थिक स्थितियों के मुताबिक तय होती है।

 

डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जब सोने की कीमत चढ़ती है, लोग अपने सोने की बिक्री करते हैं। या तो वे कीमतों में बढ़ोतरी से लाभ उठाना चाहते हैं या सोने के नए आभूषणों पर खर्च करने से बचते हैं। मेटल फोकस फंड के शोध के मुताबिक जब सोने की कीमत बढ़ती है तब पुराने आभूषण बदलने वालों की संख्या बढ़ जाती है और जब अर्थव्यवस्था पर दबाव होता है, जैसा कोविड-19 के दौरान देखा गया, रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए सोना बेचा जाता है।’

संक्षेप में कहें तो जब सोने की कीमत में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है  तो रिसाइक्लिंग 0.6 प्रतिशत बढ़ जाता है। वहीं जब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि इस साल और उसके पहले के साल में हुई तो रिसाइक्लिंग में 0.3 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत की कमी आई। डब्ल्यूजीसी ने कहा, ‘इसके साथ ही अगर आभूषण की मांग 1 प्रतिशत बढ़ती है तो इससे रिसाइक्लिंग 0.1 प्रतिशत कम हो जाती है।’

सोने की रिफाइनिंग की क्षमता

कई साल से भारत की सोने की रिफाइनिंग की क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है। यह 2013 में जहां 300 टन था, 2021 में बढ़कर 1,800 टन हो गया। इसमें अहम भूमिका 2013 में अपनाई गई समावेशी भूमिका ने निभाई है,  जब रिफाइंड गोल्ड बुलियन और डोर के बीच शुल्क के अंतर को लेकर नीति लाई गई थी।

डब्ल्यूजीसी ने कहा, ‘अगस्त 2013 से जनवरी 2016 के बीच गोल्ड बुलियन पर शुल्क 10 प्रतिशत था, जिसमें शुल्क अंतर 1 से 2 प्रतिशत था, जो जोन पर निर्भर था। 2016 के बजट के बाद उत्पाद शुल्क मुक्त (ईएफजेड) क्षेत्र और घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) की रिफाइनरीज के लिए गोल्ड डोर आयात पर शुल्क क्रमशः 8.75 प्रतिशत और 9.35 प्रतिशत हो गया। वहीं बुलियन पर सीमा शुल्क 10 प्रतिशत बरकरार रखा गया।  इससे रिफाइनरीज के लिए अंतर कम होकर 0.65 प्रतिशत औऱ 1.25 प्रतिशत हो गया। इन कर प्रोत्साहनों के कारण 2014 के बाद से खुले ईएफजेड में ज्यादातर उत्तराखंड में हैं।’

विश्व स्वर्ण परिषद के भारत के रीजनल सीईओ सोमसुंदरम पीआर के मुताबिक भारत में प्रतिस्पर्धी रिफाइनिंग केंद्र बनने की क्षमता है, अगर अगले चरण के बुलियन बाजार के सुधारों को प्रोत्साहन दिया जाए।

उन्होंने कहा, ‘घरेलू रिसाइक्लिंग बाजार स्थानीय रुपये की कीमत और आर्थिक चक्र से संचालित होता है। यह तुलनात्मक रूप से कम संगठित है, लेकिन परिवर्तित स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) जैसी कुछ पहल से इसे लाभ हो सकता है। विभिन्न नीतिगत कदम अतिरिक्त सोने को मुख्यधारा में लाने को आकर्षक बना सकते हैं।

पुनीत वाधवा/ बिज़नेस स्टैण्डर्ड

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