हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित किया इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर, डीजल विकल्प तलाशना शुरू

 हरियाणा

डीजल की कीमतों में रोजाना हो रही वृद्धि के बीच कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए सस्ता विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. खेती-किसानी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली मशीनरी ट्रैक्टर इंडस्ट्री में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. इसी परिवर्तन में से एक है इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर. जिस पर कई कंपनियां इन दिनों काम कर रही हैं. इसी कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) हिसार के वैज्ञानिकों ने भी इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर (Electric Tractor) विकसित किया है. दावा है कि यह डीजल वाले ट्रैक्टर के मुकाबले 25 फीसदी तक सस्ता पड़ेगा.

विश्वविद्यालय के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज ने इस ई-ट्रैक्टर को तैयार किया है. यह टैक्टर 16.2 किलोवॉट की बैटरी से चलता है और डीजल ट्रैक्टर की तुलना में इसकी संचालन लागत बहुत कम है. कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज ने कहा कि इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पर रिसर्च करने वाला यह देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है. डीजल के बढ़ते हुए दामों (Diesel price) को देखते हुए यह ट्रैक्टर किसानों के लिए किफायती साबित होगा, जिससे उनकी कृषि लागत (Agriculture cost) अपेक्षाकृत घटेगी.

एक बार में 80 किलोमीटर का सफर

यह ई-ट्रैक्टर 23.17 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है. यही नहीं 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है. इस ट्रैक्टर के प्रयोग से किसानों की आमदनी (Farmers Income) में काफी भी इजाफा होगा. यह रिसर्च उपलब्धि कृषि मशीनरी और फार्म इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक मुकेश जैन के मार्गदर्शन में प्राप्त की गई है. कुलपति ने वैज्ञानिकों की इस नई खोज की प्रशंसा की और भविष्य में इसी प्रकार किसान हितैषी अनुसंधान करने पर जोर दिया.

ये है ट्रैक्टर की खासियत

बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर में 16.2 किलोवाट आवर (kWh) की लिथियम आयन बैटरी दी गई है. इसमें 12 किलोवाट (kW) का इलेक्ट्रिक ब्रशलेस डीसी मोटर है जो 72 वोल्टेज और 2000 चक्कर प्रति मिनट पर संचालित होता है. इस बैटरी को 09 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है. इस दौरान 19 से 20 यूनिट बिजली की खपत होती है. इसमें फास्ट चार्जिंग का भी विकल्प है. जिसकी मदद से ट्रैक्टर महज 4 घंटे में चार्ज कर सकते हैं. बैटरी को पूरी तरह चार्ज करने की लागत लगभग 160 रुपये है.

शोर और कंपन भी है कम

डॉ. कांबोज ने बताया कि ट्रैक्टर 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किमी तक का सफर कर सकता है. ट्रैक्टर में 23.17 किमी प्रति घंटे की टॉप स्पीड मिलेगी. इसमें शानदार 77 फीसदी का ड्राबार पुल है, इसका मतलब है कि ट्रैक्टर 770 किलो वजन खींचने में सक्षम है. ट्रैक्टर में कंपन और शोर की बात की जाए तो इसमें 52 प्रतिशत कंपन और 20.52 प्रतिशत शोर बीआईएस कोड की अधिकतम अनुमेय सीमा से कम पाया गया. ट्रैक्टर में ऑपरेटर के पास इंजन न होने के कारण तपिश भी पैदा नही होती जो ऑपरेटर के लिए बिल्कुल आरामदायक साबित होगा.

किसानों के लिए कितना सस्ता

बैटरी चालित ट्रैक्टर के संचालन की प्रति घंटा लागत रोटावेटर के साथ 332 और मोल्ड बोर्ड हल के साथ 301 रुपये आएगी. अगर हम डीजल ट्रैक्टर की लागत की बात करें तो रोटावेटर के साथ 447 और मोल्ड बोर्ड हल के साथ संचालन की प्रति घंटा लागत 353 रुपये आएगी. यानी, इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर के संचालन की लागत डीजल ट्रैक्टर के मुकाबले में 15 से 25 फीसदी सस्ता है. सभी लागत की गणना घरेलू बिजली दर के आधार पर की गई है, अन्यथा, संचालन की लागत और भी कम होगी.

कितनी आएगी लागत

यूनिवर्सिटी के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रोटोटाइप मॉडल होने के कारण बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर की कीमत लगभग 6.5 लाख रुपये आएगी. समान हार्स पावर वाले डीजल ट्रैक्टर की कीमत 4.50 लाख रुपये है. यदि बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है तो इस ट्रैक्टर की कीमत भी डीजल ट्रैक्टर के बराबर होगी.

वैज्ञानिकों ने रिसर्च को सहारा

यूनिवर्सिटी कैंपस में इस ट्रैक्टर को चलाकर देखा गया. इस मौके पर कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान, बुदनी, मध्य प्रदेश के पूर्व निदेशक एमएल मेहता, बैटरी चालित ट्रैक्टर के निर्माता विकास गोयल एवं एचएयू के रिसर्च डायरेक्टर डॉ. एसके सहरावत ने बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर के विकास की सराहना की.

भारत में कितने ट्रैक्टर

भारत में लगभग 80 लाख ट्रैक्टर हैं, जिनमें 4 लाख की हिस्सेदारी हरियाणा की है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इन ट्रैक्टरों से काफी प्रदूषण होता है. अगर हम डीजल ट्रैक्टर को बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टरों से बदल दें तो इसमें कमी आ जाएगी.

भारत में औसत फार्म पार की उपलब्धता 2.0 किलोवाट प्रति हेक्टेयर है, जबकि विकसित देशों में यह लगभग 15 किलोवाट प्रति हेक्टेयर है. भारी अंतर के कारण, मशीनीकरण की बहुत गुंजाइश है, और इसलिए, बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर के विकास से मशीनीकरण के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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