स्टील उद्योग चलाना हो रहा है मुश्किल, पांच अगस्त से तालाबंदी संभव

रायपुर
लौह अयस्क की बढ़ती कीमतें और बिजली की मार के कारण स्टील उद्योग चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो उद्योगों में ताला लगाना ही पड़ेगा। उद्योगपतियों ने निर्णय लिया है कि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो पांच अगस्त के बाद से उद्योगों की तालाबंदी शुरू हो जाएगी। उद्योगपतियों का कहना है कि आयरन ओर, पैलेट और स्पंज आयरन की एक्सपोर्ट पर बैन लगाया जाए।

अगर निर्यात करना हो तो 30 फीसद एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई जाए। साथ ही स्क्रैप पर रिवर्स चार्ज मैकेनिजम लागू किया जाए। छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि लौह अयस्क की ऊंची कीमतों व बिजली की मार के कारण उद्योग चला पाना मुश्किल हो गया है। इसके लिए राज्य शासन के साथ ही एनएमडीसी को भी कई बार बताया जा जा चुका है।प्रदेश के उद्योगपतियों ने पहले ही लौह अयस्क की बढ़ती कीमत व बिजली की मार को देखते हुए जुलाई माह में उत्पादन आधा कर दिया है। इनका कहना है कि लौह अयस्क की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें काफी नुकसान हो रहा है।

उद्योगपतियों द्वारा दबाव डालने के बाद एनएमडीसी ने लौह अयस्क की कीमतों में 200 रुपये प्रति टन की कमी की है। बताया जा रहा है कि कीमतों में इस गिरावट के बाद अब लौह अयस्क के दाम 11 हजार 800 रुपये प्रति टन हो गए है। उद्योगपतियों का कहना है कि महाराष्ट्र सहित कई प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में उद्योगों को महंगी बिजली मिल रही है। प्रदेश में 6.50 रुपये प्रति यूनिट बिजली की दर है,जबकि महाराष्ट्र में बिजली की दर 4.75 रुपये प्रति यूनिट है। इस प्रकार महंगी बिजली से उद्योगों को और नुकसान हो रहा है।

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