सिद्धू और कैप्टन के झगड़े में केजरीवाल को फायदा, पंजाब चुनाव में AAP की होगी बल्ले-बल्ले: सर्वे

वार्ता,नई दिल्ली.

देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में अगले छह महीने के दौरान होने वाले चुनावों को लेकर आए ताजा सर्वे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इसके मुताबिक, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 40.4 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ पहली पसंद हैं तो दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब में 21.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ पहले नंबर पर हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस के महासचिव हरिश रावत 30.6 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे हैं। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत गोवा में 33.2 फीसदी वोट शेयर के साथ पहले स्थान पर हैं।

एबीपी न्यूज और सी वोटर के सर्वे के मुताबिक, यूपी में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ की अगुआई में बीजेपी की सरकार बन सकती है। बीजेपी देश के सबसे बड़े सूबे में 41.8 फीसदी वोट शेयर (259 से 267 सीटों) के साथ आगे चल रही है, जबकि समाजवादी पार्टी 30.2 प्रतिशत वोट शेयर (109 से 117 सीटों) के साथ दूसरे स्थान पर है। बहुजन समाज पार्टी महज 15.7 फीसदी वोट शेयर (12 से 16 सीटों) के साथ तीसरे स्थान पर है।

पंजाब में, आम आदमी पार्टी 35.1 फसदी वोट शेयर (51 से 57 सीटों) के साथ आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 28.8 प्रतिशत वोट शेयर (38 से 46 सीटों) के साथ दूसरे स्थान पर रह सकती है। शिरोमणि अकाली दल को 21.8 प्रतिशत वोट शेयर और 16 से 24 सीटें मिल सकती हैं। पंजाब में हुए सर्वे में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के वोटर सत्ताधारी कांग्रेस से नाराज हैं। सर्वे के मुताबिक, अभी अगर चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को सिर्फ 46 सीटों पर जीत मिल सकती है। वहीं आम आदमी पार्टी 56 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है।

सर्वे में यह बात सामने आई है कि अगर आज चुनाव होते हैं तो इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। पार्टी को31 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 77 सीटें पाने वाली कांग्रेस सिर्फ 46 सीटों पर सिमट सकती है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 34 सीटों के फायदे के साथ 54 सीटें पा सकती है। बीते चुनाव में उसे सिर्फ 20 सीटें मिल सकती हैं। यह आंकड़ा बताता है कि प्रदेश में झाड़ू की लोकप्रियता किस कदर बढ़ रही है।

भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल की बात करें तो बीते विधानसभा चुनाव में दोनों ने एक साथ चुनाव लड़ा था। उन्हें सिर्फ 18 सीटें मिली थीं और वह आप से भी एक स्थान नीचे रहे। इस बार दोनों पार्टियों में कृषि कानूनों को लेकर मतभेद हुए। अकाली दल की केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया और बाद में अकाली गठबंधन से भी अलग हो गई। सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक, कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन से अकाली दल को नुकसान होता नहीं दिख रहा है लेकिन फायदा भी होने की संभावना नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here