रायपुर,
संसद भवन परिसर में धरना प्रदर्शन पर प्रतिबंध केंद्र सरकार का अलोकतांत्रिक कृत्य है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि विरोध और असहमति की आवाज को दबाकर मोदी सरकार देश को तानाशाही शासन की ओर ले जाना चाहती है। संसद भवन लोकतंत्र का वह पावन मंदिर है जहां पर देश के आम आदमी की आवाज उसके चुने हुये प्रतिनिधि उठाते है। केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियां और सरकार के असहमति के स्वर भी संसद में गूंजते है। देश भर के राजनैतिक और सामाजिक संगठन के लोग अपनी विभिन्न मांगों को लेकर संसद भवन के परिसर के आसपास प्रदर्शन कर सरकार और देश का ध्यान आकर्षित करते है। धरना प्रदर्शन लोकतांत्रिक प्रणाली में जनता को मिला हुआ संवैधानिक अधिकार है। मोदी सरकार भारत के नागरिकों को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रही है। खुद को देश का सबसे लोकप्रिय राजनेता बताने वाले नरेन्द्र मोदी देश की जनता की आवाज को सुनने से डर क्यों रहे है?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि संसद के मानसून सत्र के पहले विरोध और व्यंग की शब्दावली के सामान्य शब्दों को मोदी सरकार ने असंसदीय घोषित करवा कर संसद में बोलने पर प्रतिबंध लगवा दिया क्योंकि पिछले 8 सालों में देश की जनता के द्वारा मोदी जी के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ शब्द मोदी और उनकी सरकार को चुभने लगे है। फेकू, जुमलाजीवी, तानाशाह, शकुनी, जयचंद विनाश पुरूष, खून से खेती जैसे शब्दों के मायने कब से फूहड़ और गाली तथा अभद्रता की श्रेणी में आने लगे जो मोदी सरकार ने इनको असंसदीय घोषित कर प्रतिबंध लगवा दिया। केंद्र संसद में असंसदीय घोषित किये गये सारे शब्दों को मोदी जी के लिये पर्यायवाची के रूप में देश की जनता उपयोग में लाती है। जनता का यह प्यार अब मोदी को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है।