भुवनेश्वर
महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी का बुधवार से अणवसर शुरू हो गया है। अब बुधवार से लेकर 45 दिन तक महाप्रभु श्री जगन्नाथ बुखार से पीड़ित होकर शयनकक्ष में रहेंगे और वहीं पर उनकी सेवा की जाएगी।
भक्तों को श्रीमंदिर में महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी का दर्शन नहीं मिलेगा। इन 45 दिन तक भक्तों को अलारनाथ मंदिर में श्री अलारनाथ का दर्शन मिलेगा। मान्यता है कि इन भगवान श्री जगन्नाथ जब तक बुखार से पीड़ित होकर अणवसर में रहते हैं, तब तक अलारनाथ का दर्शन करने से महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के दर्शन करने जितना ही पुण्य मिलता है। मंगलवार स्नान पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद प्रभु श्री जगन्नाथ बीमार पड़ जाने से वे अणवसर गृह में चले गए हैं, जहां पर उनका इलाज चल रहा है। इससे भक्त बुधवार से ब्रगिरी में मौजूद श्री अलारनाथ देव का दर्शन करेंगे। इस साल श्री विग्रहों का नवकेलवर होने से अणवसर की अवधि बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार श्री बलभद्र को पहले 33 घड़ा जल से स्नान कराया गया इसके बाद देवी सुभद्रा को 22 घड़ा तथा प्रभु श्री जगन्नाथ को 35 घड़ा जल से स्नान कराया गया। इसके बाद अंत में श्री सुदर्शन को 18 घड़ा जल से स्नान कराया गया। स्नान वेदी में पूजा पाने वाले श्री विग्रहों का यह अंतिम स्नान अत्यंत ही मनोरम था। स्नानयात्र के बाद हाती वेश में श्री विग्रहों को सजाया गया। हातीवेश खत्म होने के बाद भक्तों ने सहाणमेला दर्शन किए।
जिसके बाद महाप्रभु बीमार पड़ गए हैं और 9 जुलाई तक विभिन्न जड़ी बूटियों व दिव्य औषधियों का भोग लगाया जायेगा।
महाप्रभु गर्भगृह से निकाल कर मंदिर के भीतर अस्थायी रूप से बनाये गये देव स्नान मंडप पर लाए गए और महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी, बड़े भाई बलभद्र देव तथा बहन माता सुभद्रा को सुगंधित जल से स्नान कराया गया। इस अवधि में महाप्रभु को विभिन्न जड़ी बूटियों व दिव्य औषधियों का भोग लगाया जायेगा। 9 जुलाई को नेत्र उत्सव का आयोजन किया जायेगा। तत्पश्चात महाप्रभु के मंदिर का पट दर्शन हेतु खोले जायेंगे। इसके पष्चात् कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए 12 जुलाई को रथयात्रा की रष्म अदायगी की जायेगी।