पढ़िए देश के हाल का वर्णन करते हुए ये “छ्न्द”

पढ़िए देश की हाल का वर्णन करते हुए यह “छ्न्द”

1.
सहतें रहें है छल,जाफर व कासिमो के
सदियों से भारत की ,है यही व्यथा रही |

प्रेम और मान दे दुलारतें रहें हैं जिन्हें
उनकी सदैव डसने की ही प्रथा रही |

भाई कह हृदय लगाके छुरी खाते रहें
भाईचारे वाली बात उनकी वृथा रही |

कमलेश रणजीत,गगन,अंकित,रिंकू
मासूमों के हत्याओं की सैकड़ों कथा रही ||

2.
देश है विशेष, स्नेह इससे करें अशेष
वन्दे मातरम वाली,गीति होनी चाहिए |

माता भारती के स्नेह से करे गद्दारी कोई
उनसे न कभी कोई प्रीति होनी चाहिए |

आसुरी प्रवृत्तियों की वृत्तियों के नाश हेतु
गांधी नही भगत की नीति होनी चाहिए |

कोई गाल झापड़ जो मारे तो उखाड़ो हाथ
शठे शाठयम वाली रीति होनी चाहिए ||

सुनिल शर्मा
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

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