प्रशांत किशोर ‘जन सुराज’ के लिए काम करेंगे, चंपारण से 3000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू करेंगे, अभी नहीं बनाएंगे पार्टी

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Patan.

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को घोषणा की कि देश के कद्दावर राजनेताओं के लिए पर्दे के पीछे से काम करने के बाद अब वह अपने गृह राज्य बिहार में विकल्प और बदलाव की सोच वाले लोगों के साथ ‘जन सुराज’ के लिए काम करेंगे। किशोर (Prashant Kishor) ने उन अटकलों कि वह तुरंत कोई नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे हैं, को खारिज करते हुए कहा कि इसके बजाय वह बिहार के विकास के लिए काम करेंगे। उन्होंने बाद के चरण में ‘जन सुराज’ के एक राजनीतिक दल में रूपांतरित होने की संभावना जताई।

प्रशांत किशोर ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को पश्चिमी चंपारण में गांधी आश्रम से 3000 किलोमीटर की पदयात्रा (Prashant Kishor Padyatra) शुरू करने से पहले वह लगभग 18000 लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलने की कोशिश करेंगे और उनके साथ अपने ‘जन सुराज’ के दृष्टिकोण को साझा करेंगे। किशोर ने अपने भविष्य के राजनीतिक कदमों के बारे में पूछे गए सवालों को टालते हुए कहा, ‘अगर हम पार्टी बनाने की ओर बढते भी हैं, तो प्रशांत किशोर की पार्टी नहीं होगी बल्कि उसमें जो लोग साथ मिलकर पार्टी बना रहे होंगे एक ईंट उनकी होगी और एक ईंट मेरी भी होगी।’

प्रशांत किशोर ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह सकता वह मेरी पार्टी है और मैं उसका चेहरा, अध्यक्ष होउंगा और उसका सर्वे सर्वा हो जाउंगा।’ उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जिन करीब 18000 लोगों को मुलाकात के लिए चिह्नित किया गया है, अगर उनमें से लोग हमारी ‘जन सुराज’ की परिकल्पना से जुड़ते हैं, उनकी सोच को हम श्रेणीबद्ध कर पाए और वे तय करते हैं कि हम सभी को पार्टी बनाकर या किसी तरह का संगठन या मंच बनाने की जरूरत है तो उस पर विचार किया जाएगा।

किशोर ने अपनी राजनीतिक परामर्श कंपनी IPAC के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद दोनों के साथ काम किया है। इन दोनों नेताओं के पिछले 3 दशक के कार्यकाल के बारे में किशोर ने कहा कि दोनों नेताओं के प्रदेश में लंबे समय तक शासन में रहने के बावजूद यह निर्विवाद है कि बिहार सभी विकास सूचकांकों के मामले में सबसे नीचे है। उन्होंने कहा कि राज्य को एक नए राजनीतिक विकल्प की जरूरत है। किशोर ने जोर देकर कहा कि वह अब वह अपनी सारी शक्तियों के साथ अपने उद्देश्य को लेकर आगे बढेंगे।

प्रशांत किशोर ने साफ किया कि उनका पिछला अभियान ‘बात बिहार की’ जो ‘जन सुराज’ के समान दिखाई पड़ता है, वैश्विक कोरोना महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। पार्टी बनाने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा और ब्राह्मण समुदाय के होने की वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रभुत्व वाले बिहार में नुकसान होने के सवाल का सीधा जवाब देने के बजाय उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ धारणा है कि बिहार में आपकी वोट हासिल करने की क्षमता आपकी जाति की आबादी पर निर्भर करती है। आज बिहार में सबसे अधिक वोट हासिल करने वाले निस्संदेह नरेंद्र मोदी हैं। राज्य में कितने लोग हैं जो उनकी जाति के हैं।’

प्रशांत किशोर ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के सफल अभियान को संभालने का श्रेय मिलने के बाद प्रसिद्धि हासिल की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से व्यक्तिगत रिश्तों को लेकर प्रशांत किशोर ने यह अवश्य कहा कि उनके नीतीश से निजी रिश्ते हैं और इसे कबूल करने में उन्हें कोई हिचक नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में उनसे मुलाकात होती रहती है और साथ में उनके साथ खाना-पीना भी हुआ है। उन्होंने इस बात को भी खारिज कर दिया कि वह नीतीश की पार्टी JDU में फिर से शामिल होने वाले हैं।

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