टीबी को मात देने को टीबी चैंपियन मैदान में, सर्वे कर लोगों को कर रहे जागरूक

रायपुर,

टीबी को मात दे चुके लोग अब टीबी चैंपियन के रूप में जिला में विभाग के साथ साथ सहयोग कर रहे है । जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग टीबी चैंपियन के सहयोग से सर्वे एवं जागरूकता में सहयोग लिया जा रहा हैं। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो शरीर के हर अंग को प्रभावित करती है। खासतौर पर यह फेफड़ों को सबसे अधिक क्षति पहुंचाती है। टीबी को मात दे चुके लोग टीबी चैंपियन के रूप में टीबी से पीड़ित मरीजों को जागरूक कर रहे है। टीबी से पूरी तरह ठीक हो चुके ऐसे लोग टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के साथ मरीजों को भावनात्मक एवं सामाजिक सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं।

क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश चतुर्वेदी ने बताया: “नियमित रूप से टीबी रोग की पहचान के लिए डोर-टू-डोर कैंपेन चलाये जा रहे है। जिले में 30 जून तक 1,470 टीबी से संक्रमित केस सक्रिय हैं। जिनका नियमित इलाज जारी है । टीबी रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है। यह रोग संचारी रोग है । बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह उन व्यक्तियों को अपनी चपेट में जल्दी ले लेता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। समय पर इसके लक्षणों की पहचान और उपचार कराकर इस रोग से बचा जा सकता है।“

“टीबी का इलाज कम से कम छह महीने तक चलता है। कुछ विशेष परिस्थिति में डॉक्टर की सलाह पर टीबी का इलाज छह महीने से अधिक तक चल सकता है। टीबी के उपचार के दौरान कई मरीज कुछ स्वस्थ होने के बाद दवाई का सेवन बंद कर देते हैं, जिससे यह रोग और विकराल रूप ले सकता है। टीबी चैंपियन जब सर्वे के दौरान किसी टीबी संक्रमित को चिन्हांकित करते हैं तो उसको नियमित इलाज के लिए भी समझाते हैं । ताकि बीच में वह रोगी दवाई नया छोड़े और यह भी बताते हैं कि उन्होंने नियमित दवा सेवन से टीबी को कैसे मात दी ।“

जिले के सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी के इलाज के लिए दवाइयां उपलब्ध है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच, इलाज और दवाई दी जाती है। टीबी के सभी पंजीकृत मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण आहार के लिए प्रति माह 500 रुपए की राशि दी जाती है। डॉट सेंटर्स या डॉट प्रोवाइडर्स के माध्यम से टीबी से पीड़ित मरीजों को घर के पास या घर पर ही दवाई उपलब्ध कराई जाती है।

टीबी मुक्त रायपुर फाउंडेशन के अध्यक्ष नोहोरी साहू कहते है: ‘’ जिले में टीबी मुक्त रायपुर फाउंडेशन से 70 टीबी चैंपियन जुड़े हुए है । टीबी चैंपियन जागरूकता और सर्वे के माध्यम से टीबी के मरीज की पहचान करते है । उन्हे शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों से जोड़ कर उनका इलाज सुनिश्चित करवाते है ।“
टीबी के मुख्य लक्षण
टीबी के प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी का होना, खांसी के साथ बलगम आना, कभी−कभी थूक में खून आना, वजन का कम होना, भूख में कमी होना, सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत, शाम या रात के समय बुखार आना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
कैसे फैलता है टीबी
टीबी के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकते,थूकते समय बलगम या थूक की छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैलना उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रहते हैं। जो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस के माध्यम से प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं। एक मरीज 15-20 स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है।
टीबी से बचाव
टीबी की दवाई को बिना डॉक्टरी सलाह के बंद नहीं करना । टीबी से बचाव के लिए जन्म के एक वर्ष के भीतर शिशु को बीसीजी का टीका लगवाना चाहिए। खांसते, छींकते समय मुंह को ढक कर रखें। आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

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