नई दिल्ली
महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की ओर से टीके की किल्लत की शिकायत को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने गैर-जिम्मेदाराना बताया है। उन्होंने कहा कि यह बयान लोगों का ध्यान बांटने और उनमें दहशत फैलाने के लिए दिया गया है। डॉ. हर्षवर्द्धन ने महाराष्ट्र पर इस महामारी को लेकर उसकी विफलताएं ढंकने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया। कड़े शब्दों में जारी किए गए बयान में मंत्री ने टीके की कमी के महाराष्ट्र सरकार के दावे को बकवास बताया और कहा कि राज्य के 'लापरहवाहीपूर्ण रवैये ने इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में पूरे देश के प्रयास को कमतर किया है। उन्होंने कहा, 'जिम्मेदाराना तरीके से काम करने की महाराष्ट्र की असमर्थता समझ से परे है। लोगों में दहशत फैलाना स्थिति को और बिगाड़ना है। टीके की आपूर्ति मांग के हिसाब से निश्चित समयसीमा में की जा रही है और राज्य सरकार को नियमित रूप से इस बात की सूचना दी जा रही है। टीके की कमी के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं।'
क्या कहना है महाराष्ट्र का?
इससे पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा था कि महाराष्ट्र में कई टीकाकरण केंद्र कोरोना वायरस टीकों की कमी की वजह से बंद किए जा रहे हैं और फिलहाल राज्य में 14 लाख खुराक ही हैं जो तीन दिनों में खत्म हो जाएंगी।
अठारह साल से उपर के सभी लोगों के लिए टीकाकरण खोल देने की नेताओं की मांग पर केंद्रीय मंत्री कहा कि टीकाकरण का प्राथमिक लक्ष्य सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों में मृत्यु का अनुपात घटाना और समाज को इस महामारी को हराने के लायक बनाना है। उन्होंने कहा, 'जबतक टीके की आपूर्ति सीमित है तब तक प्राथमिकीकरण के सिवा कोई और विकल्प नहीं है। बता दें कि महाराष्ट्र और दिल्ली टीकाकरण के लिए उम्र सीमा हटाने की मांग कर रहे हैं । हर्षवर्धन ने छत्तीसगढ़ के बारे में कहा कि निरंतर ऐसे बयान दिये जा रहे हैं जिनकी मंशा टीकाकरण के बारे में दुष्प्रचार और घबराहट फैलाना है। उन्होंने कहा कि पंजाब में मृत्यु दर को घटाने के लिए ऐसे मरीजों की जल्द पहचान किए जाने की आवश्यकता है जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराये जाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में राज्यों में मास्क पहनने और दूरी कायम करने के नियम पालन में शिथिलता हो रही है।