छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक 2022 को अपास्त करने राज्यपाल को ज्ञापन –  भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ

Raipur

छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी( संशोधन )विधेयक 2022 को अपास्त करने भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी के नेतृत्व में  4 अगस्त 2022 को  राज्यपाल महोदया को तथा जिलाधीश के माध्यम से  रायपुर में ज्ञापन सौंपा गया। प्रदेश संयोजक  द्विवेदी ने बताया कि
हाल ही में  विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा सहकारिता की मूल भावना से खिलवाड़ करते हुए छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम में ऐसे संशोधन किए गए हैं जिससे सरकार के इशारे पर  कांग्रेस के लोगों को उपकृत करने के लिए रजिस्ट्रार द्वारा सालों साल तक  मनोनीत बोर्ड बनाया जा सकता है । द्विवेदी ने बताया कि पूर्व में किन्हीं विशेष परिस्थिति के कारण यदि सोसाइटी का चुनाव नहीं हो पाता था तो रजिस्ट्रार के  लिखित आदेश से मात्र 06 माह के लिए प्रशासक की नियुक्ति किए जाने का प्रावधान था और   बैंक के मामले में 01 वर्ष के अंतर्गत निर्वाचन कराए जाने की  अनिवार्यता थी। किंतु उक्त संशोधन विधेयक के माध्यम से उक्त धारा को  प्रतिस्थापित करते हुए सरकार की मंशा अनुरूप  रजिस्ट्रार जब तक चाहे प्रशासक का कार्यकाल बढ़ा सकता है। अर्थात नामांकित बोर्ड सालों  साल तक कार्य कर सकता है।एवं दूसरे संशोधन विधेयक में निचले स्तर की तीन चौथाई सोसायटियों  के निर्वाचन कराए जाने के बाद ही उससे संबद्ध उच्च स्तर की सोसायटियों का निर्वाचन कराए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।जो न्याय संगत नहीं है।

भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश  संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने बताया कि उक्त विधेयक के  विरोध में सभी जिला मुख्यालयों में जिलाधीश के माध्यम से  भारतीय जनता पार्टी  सहकारिता प्रकोष्ठ के नेतृत्व में  भाजपा के कार्यकर्ताओं, किसानों तथा सोसाइटी के सदस्यों के  साथ   राज्यपाल महोदया के नाम ज्ञापन सौंपा गया है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित उक्त संशोधन विधेयक को महामहिम राज्यपाल महोदया के समक्ष मंजूरी के लिए भेजा गया है। द्विवेदी ने बताया कि उक्त संशोधन विधेयक किसानों एवं सदस्यों के हित में नहीं होने के कारण तथा सहकारिता की मूल भावना के विपरीत होने के कारण  निरस्त किए जाने  योग्य है ।साथ ही  सहकारिता की राजनीति करने वाले किसान नेताओं को सरकार ने उक्त संशोधन विधेयक लाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब गांव में सहकारिता के माध्यम से राजनीति करने वाले नेताओं को अपेक्स बैंक,मार्कफेड , जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और लैंप्स  तथा पैक्स सोसायटियों के बोर्ड में निर्वाचित होकर राजनीति करना  सपना हो जाएगा। श्री द्विवेदी ने  भूपेश सरकार से प्रतिप्रश्न किया कि कौन सी ऐसी परिस्थिति निर्मित हो गई थी कि सरकार प्रदेश की  २०५८ प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का निर्वाचन
ना कराकर  उक्त संशोधन विधेयक के माध्यम से नामांकित बोर्ड नियुक्ति करने का प्रयास कर रही है। एक तरफ इनके नेता राहुल गांधी जी बोलते हैं कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है तो मैं पूछना चाहता हूं कि  छत्तीसगढ़ में सहकारी सोसायटियों का चुनाव ना कराकर क्या  लोकतंत्र को मजबूत किया जा रहा है ?क्या यह लोकतंत्र की हत्या नहीं  है? सरकार सोसाइटियों का निर्वाचन कराने से इसलिए घबरा रही है कि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ेगा ।
अतः माननीय राज्यपाल महोदया से ज्ञापन के द्वारा अनुरोध किया गया है कि  इस काले कानून को अस्वीकार कर अपास्त किया जाए।

ज्ञापन देने हेतु  भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक  शशिकांत द्विवेदी, मीडिया प्रभारी सोमेश चंद्र पांडेय, सह मीडिया प्रभारी अमरजीत बक्शी, अभिषेक तिवारी, विकास अग्रवाल, रायपुर ग्रामीण जिला संयोजक शिरीष तिवारी, रायपुर शहर सह संयोजक गीता ठाकुर, विक्रम ठाकुर, आशीष पांडेय, अनामिका शर्मा, अश्वनी वर्मा, माला उपाध्याय एवं रायपुर शहर एवं ग्रामीण के पदाधिकारी  तथा किसान नेता मौजूद थे ।

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