चलने के बाद पैरों में दर्द बड़ेे खतरे की निशानी

आजकल जैसे-जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं, टांगों में उभरने वाली नीले रंग की मकड़ीनुमा नसों को लेकर चिंता बढ़ रही है। जिस रफ्तार से हम लोग आरामतलब व विलासितापूर्ण जीवन शैली को अपना रहे हैं, उसी रफ्तार से हमारी टांगें वेरीकोस वेन्स की शिकार हो रही हैं। शुरूआती दिनों में हम लोग स्वभावत इनकी उपेक्षा करते हैं, पर जब तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है, तो इधर-उधर बगैर सोचे-समझे परामर्श लेना शुरू कर देते हैं। इस तरह के अधकचरे इलाज का परिणाम टांगों में कालिमा या लाइलाज घाव के रूप में निकलता है। सबसे ज्यादा इसके शिकार दुकानदार व महिलाएं होती हैं। नियमित चलने की आदत को जिसने अलविदा कहा और ज्यादा देर तक लगातार बैठने की आदत को जाने-अनजाने या मजबूरी में गले लगाया, उसकी टांगों में वेरीकोस वेन्स का देर-सवेर प्रकट होना नित है।

कैसे पहचानें?
अपनी टांगों व पैर का ध्यानपूर्वक अवलोकन कीजिए। अगर आपको केंचुआनुमा या मकड़ीनुमा उभरी हुई नीले रंग की नसें टांगों की त्वचा पर दिख रही हैं या काले रंग के निशान व काले रंग के चकत्ते या बिंदियां दिखाई पड़ रही हैं, तो आप यकीनन  वेरिकोस वेन्स से ग्रसित हो चुके हैं। अगर थोड़ा चलने के बाद आपके पैरों में सूजन या थकान या हल्का दर्द महसूस होने लगे तो आप समझ जाइए कि आप वेरीकोस वेन्स के शिकार होने जा रहे हैं। अगर चलने के बाद टांगों में थोड़ी लाली व उभरी हुई नीले रंग की नसें दिखने लगें तो यकीन वेरीकोस वेन्स से आपका नाता जुड़ चुका है।

कारण
अगर आप आरामतलब व बैठे रहना पसंद करने वाले व्यक्ति हैं तो आपकी टांगें वेरीकोस वेन्स से दूर नहीं हैं। आप कुछ इस तरह समझ लें कि अगर आप गुसलखाने में स्नान करने जाएं जहंा शुद्ध जल सप्लाई करने वाला पानी का नल व स्नानघर से निकलने वाली नाली दोनों सुचारू रूप से काम कर रहे हैं तो नहाने वाले को कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि नल से निकलने वाले शुद्ध पानी से जब आप स्नान करेंगे तो गंदा पानी नाली द्वारा बाहर निकलता रहेगा। अगर कहीं नाली संकरी हो जाए या ठीक से अपना काम न करे या किसी वजह से उसमें रुकावट आ जाए, तो जाहिर है कि वह साबुन मिश्रित गंदा पानी आपके नहाने के बाद बाथरूम में इकट्ठा होता रहेगा और निकलने का दूसरा रास्ता ढूंढने लगेगा जैसे बाथरूम की दीवारों से रिसना या दरवाजे की दरार से निकलना या ऊपर तक भर जाने पर खिड़की से रिसना। ठीक उसी तरह से  बाथरूम की जगह आप अपनी टांग को समझ लीजिए, जिसमें धमनियों यानी पैरों की आर्टरी से शुद्ध रक्त निरंतर प्रवाहित हो रहा है, जिसकी वजह से चलने के लिए जरूरी आक्सीजन की हमेशा आवश्यकता रहती है, टांगों की मांसपेशियों को आक्सीजन सप्लाई करने के बाद, रक्त आक्सीजन रहित व गंदा हो जाता है। यह रक्त अब तभी लाभदायक और फिर से इस्तेमाल यानी पैरों को दोबारा से सप्लाई करने लायक बनेगा जब दोबारा इसमें आक्सीजन डाली जाए। इसके लिए यह जरूरी है कि पैर में इक_ा हुआ यह गंदा रक्त ऊपर चढ़ कर दिल के जरिए फेफड़े तक पहुंचे। फेफड़े में फिर से आक्सीजन प्राप्त करके दोबारा  फिर सर्कुलेशन में आए और आर्टरी के जरिए फिर से पैरों को शुद्ध रक्त पहुंचे। अगर किसी भी कारण से अशुद्ध रक्त ऊपर नहीं चढ़ेगा तो उसके पैर व टांगों में इक_ा होने की क्रिया बढ़ती जाएगी और टांगों में सामान्यत सोई हुई वेन्स गंदे रक्त से भरने लगेंगी और फूलने के कारण खाल के नीचे उभरी हुई मकड़ी के जाले की तरह दिखने लगेंगी। यहीं से वेरीकोस वेन्स की शुरूआत हो जाती है।

इलाज
अगर आपको लगता है आपकी टांगों में वेरीकोस वेन्स की शुरूआत हो चुकी है तो हाथ पर हाथ धर कर मत बैठिए, तुरंत किसी वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श लें। वेरीकोस वेन्स की शुरूआत होने पर, तुरंत सर्जरी या लेजर की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि अपनी आरामपसंद दिनचर्या में फेरबदल करना पड़ता है। रोज सुबह व शाम को एक-एक घंटे यानी कुल दो घंटे पार्क में टहलना पड़ता है। पैरों को कुर्सी से एक घंटे से ज्यादा लटका कर नहीं बैठना होता है और न ही एक घंटे से ज्यादा लगातार खड़े रहना होता है। अपने बढ़े हुए वजन को घटाना पड़ता है। दिन में चलते वक्त एक विशेष किस्म की जुराबों को टांगों पर पहनना पड़ता है। इसके साथ-साथ हर दो महीने में वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श करते रहना पड़ता है। अगर वेरीकोस वेन्स पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं या पैरों पर काले निशान व चकत्ते उभर आते हैं या सूजन व लाली बनी रहती है या फिर घाव उभरने लगे हों, तो ऐसी परिस्थितियों में सर्जरी या लेजर या आर.एफ.ए. तकनीक का सहारा लेना पड़ता है। इसके लिए किसी ऐसे अस्पताल में जाएं जहां वैस्क्युलर सर्जरी का महकमा हो और इन सब इलाजों की सुविधा हो।

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