काशी की अद्भुत और अलौकिक देव दीपावली….21 लाख दीपों से काशी के घाटों रोशन

वाराणसी

कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दर्शी तिथि और सोमवार का दिन है। दरअसल, कार्तिक महीने की पूर्णिमा, इस बार 2 दिनों की पड़ रही है और आप लोगों को पता ही है कि जब पूर्णिमा 2 दिनों की होती है तब पहले दिन व्रतादि की पूर्णिमा और दूसरे दिन स्नान-दान की पूर्णिमा मनायी जाती है।  देव दीपावली, दीवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है। कहा जाता है कि देव दीपावली के दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके स्वागत में धरती पर दीप जलाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन शाम के समय शिव-मन्दिर में भी दीप जलाए जाते हैं। शिव मन्दिर के अलावा अन्य मंदिरों में, चौराहे पर और पीपल के पेड़ व तुलसी के पौधे के नीचे भी दीए जलाए जाते हैं। दीपक जलाने के साथ ही इस दिन भगवान शिव के दर्शन करने और उनका अभिषेक करने की भी परंपरा है। ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु में बढ़ोतरी होती है।

21 लाख दीपों से जगमगाएंगे घाट

देव दीपावली के मौके पर भव्य तैयारी की गई है. करीब 21 लाख दीपों से काशी के घाटों को रोशन किया जाएगा. अलग-अलग घाटों पर विशेष आयोजन होने वाला है.

अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम की शुरुआत

काशी के प्रमुख घाटों में से एक दशाश्वमेध घाट पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई. देव दीपावली का मुख्य कार्यक्रम राजघाट पर हो रहा है.

कुंड व तालाबों की भी की गई है सजावट

गंगा घाट के अलावा वरुण नदी और सभी धार्मिक कुंड, तालाब और मंदिरों में दीपों से सजावट की गई है.

काशी के महान विभूतियों को किया जाएगा याद

देव दीपावली के मौके पर घाट समितियों ने फैसला लिया है कि काशी से जुड़े सभी महान सपूतों को पहला दीप अर्पित करेंगे. अस्सी घाट पर महामना मदन मोहन मालवीय, तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास, हरिश्चंद्र घाट पर डोम राजा, सिंधिया घाट पर तैलंग स्वामी और स्वामी विवेकानंद जैसी विभूतियों के चित्र लगाए जाएंगे. संगीतकार भारत रत्न पं रविशंकर, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, पद्मविभूषण पं किशन महाराज, पद्मविभूषण गिरिजा देवी, पद्मभूषण पं राजन मिश्रा, साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद के भी चित्र लगेंगे.

शहर के 6 प्रमुख स्थानों पर लगाई गई है LED

देव दीपावली पर विश्व प्रसिद्ध काशी के घाट की आरती और सजावट शहर के कई जगहों से देख सकेंगे. सरकार ने इसके लिए 6 बड़े प्रमुख स्थानों पर बड़ी एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की है. अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, राजघाट, गोदौलिया मल्टी लेवल पार्किंग व वाराणसी कैंट स्टेशन पर एलईडी लगाई गई है.

चेत सिंह घाट पर लेजर शो दिखाया गया

बीते रविवार के वाराणसी से चेत सिंह घाट पर मंत्रमुग्ध कर देने वाला लेजर शो दिखाया गया. इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.

वाराणसी की देव दीपावली 

काशी में देव दीपावली मनाने का कारण भगवान से जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं को परेशान करने के लिए त्रिपुरासुर ने स्वर्ग लोक पर भी अपना कब्जा जमा लिया था। माना जाता है कि त्रिपुरासुर ने प्रयाग में ही काफी दिनों तक तप किया था और उसके इस तप के कारण तीनों लोक जलने लगे। इसके बाद ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिया और वरदान मांगने के लिए कहा, उसने कहा कि उसे कोई देवता, पुरुष, स्त्री, जीव, जंतु, पक्षी, निशाचर ना मार पाए। इस वरदान को पाने के बाद त्रिपुरासुर अमर हो गया। कोई भी देव उसे नहीं मार सकता था, इसलिए विष्णु ने भी उसका वध करने से मना कर दिया, लेकिन विष्णु ने सभी देवों को शिव के पास जाने के लिए कहा।

ब्रह्मा जी और सभी देव भगवान शिव के पास पहुंचे और त्रिपुरा के वध के लिए उनसे प्रार्थना की। महादेव तीनों लोकों में त्रिपुरासुर को ढूंढने के लिए निकल पड़े। इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोषकाल के समय अर्धनारीश्वर के रुप में त्रिपुरासुर का वध कर दिया। इसके बाद से काशी में सभी देवताओं ने भगवान शिव की विजय की खुशी में दीप जलाएं। जोकि देव दीपावली के नाम से जानी जाती है। यहां पर पहली बार 1915 में हजारों की संख्या में दीप जलाकर देव दीपावली मनाई गई थी।

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