नई दिल्ली
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। इस व्रत को करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं, प्रदोष व्रत डेट, पूजा- विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट..
प्रदोष व्रत डेट
7 जुलाई, 2021, बुधवार।
प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।
बुध प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है।
त्रयोदशी तिथि मुहूर्त
प्रारम्भ – 01:02 ए एम, जुलाई 07
समाप्त – 03:20 ए एम, जुलाई 08
प्रदोष काल- शाम 07:12 बजे से 9:20 बजे तक, जुलाई 7
प्रदोष काल में की जाती है पूजा
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है।
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
पंचांग-पुराण से और
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सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
प्रदोष व्रत पूजा- सामग्री
अबीर
गुलाल
चंदन
अक्षत
फूल
धतूरा
बिल्वपत्र
जनेऊ
कलावा
दीपक
कपूर
अगरबत्ती
फल