ईश्वर है सर्वोपरि, पर जगत से है परे। इस जग में जिसने राह दिखाई,वह है गुरु मेरे…..

शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर हम अपने गुरु चरणों मे को कोटि-कोटि नमन करते हैं

 

||तस्मै श्री गुरवे नमः||
गुरु ब्रह्मा ,विष्णु,और महेश है,गुरु को पारब्रम्ह कहा गया है, परम् पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी के सान्निध्य में आने के बाद हम सब के जीवन मे एक बहुत बड़ा परिवर्तन आया,जीवन का वास्तविक मूल्य का ज्ञान गुरु चरणों मे आने से मिला।
हमारा वास्तविक जन्म तब होता है, जब हम गुरु चरणों में आते हैं, शिष्य बनते हैं |
सिर्फ मनुष्य ही नहीं आदिकाल से परमात्मा को भी गुरु चरणों की सानिध्य में आना पड़ा
जब हम धरती पर मनुष्य रूप में रहते हैं तो परमात्मा गुरु रूप में हम सब के साथ होते हैं हर गुरु में ही वह शक्ति होती है जो हमें निर्मल कर देती है अपने ज्ञान के द्वारा हमारे सारे विकार को गुरु ही दूर करते हैं और हमें जीने योग्य बनाते हैं अन्यथा पूरा जीवन भटकाव में ही बीत जाता है।
अर्जुन जब अपने जीवन के महाभारत से थक चुका था तब भगवान कृष्ण ने ही उसे गीता के माध्यम से दिशा निर्देश दिए वह सिर्फ अर्जुन के लिए ही नहीं था पूरे समस्त संसार के लिए दिशा निर्देश था
गुरु की आवश्यकता मनुष्य को ही नही अपितु भगवान को भी गुरु की आवश्यकता पड़ गई, राम को भी विश्वामित्र जी सही दिशा निर्देश दिए , अर्जुन ने भी श्रीकृष्ण जी दिशा निर्देश दिए, हम सबके जीवन में परिवर्तन और वास्तविकता का परिचय गुरु ही कराते हैं शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर हम अपने गुरु चरणों मे को कोटि-कोटि नमन करते हैं वंदन करते हैं । संसार की सभी रत्न से गुरु बहुमूल्य होते है।
ईश्वर है सर्वोपरि, पर जगत से है परे।
इस जग में जिसने राह दिखाई,वह गुरु मेरे।।
परमात्मा है यह सबको पता है लेकिन ईश्वर के बारे में बताने वाला गुरु ही है, गुरु में ही भगवान हैं, गुरु परमात्मा का स्वरूप है, वह परमात्मा में भी पूज्य है। माता-पिता हमे जन्म देते है लेकिन जीवन को सही ढंग से जीना गुरू सिखाते है। संसार के सभी रिश्तों से गुरु और शिष्य का रिश्ता बहुमूल्य होता है।
गुरु सिर्फ हमें ज्ञान ही नहीं देते अपितु हमें जीवन का वास्तविक मूल्य बताते हैं , दर्पण की तरह हमें स्वयं का परिचय करा देते हैं जीवन में सब कुछ होते हुए भी हम दुखी होते हैं इसका मुख्य कारण हमारी अज्ञानता होता है लेकिन जब हम शिष्य बनते हैं गुरु चरणों में आते हैं ,हम उस ज्ञान में प्रवेश करते हैं , जहाँ हनुमान जी बाल्यावस्था में ही प्रवेश कर लिए थे, एक उन्नत समाज,राष्ट्र के निर्माण में गुरु की भूमिका महत्वपूर्ण होता है,गुरु के बिना सब कुछ अधूरा होता है, गुरु चरणों मे आकर हमारा जीवन सार्थक बन जाता है,

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