आदिवासी पारम्परिक लोकनृत्य महोत्सव…कलाकारों ने बांधा शमा

बालोद
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय परिसर डौण्डी में आयोजित जिला स्तरीय आदिवासी पारम्परिक लोकनृत्य महोत्सव में पहुॅचे आदिवासी कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट प्रस्तुति से बेहतरीन शमा बांधा। इस अवसर पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए आदिवासी लोकनृत्य दलों ने अपने नयनाभिराम प्रस्तुति से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संसदीय सचिव व गुण्डरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद उपस्थित थे। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष सोनादेवी देशलहरा, जिला पंचायत उपाध्यक्ष मिथिलेश निरोटी, कलेक्टर डाॅ. गौरव कुमार सिंह, जनपद पंचायत डौण्डी के उपाध्यक्ष पूनीत राम सेन, गणमान्य नागरिक पीयूष सोनी सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने कहा कि आदिवासी संस्कृति की वैभवशाली इतिहास व विरासत रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा निरंतर उनका संरक्षण एवं संवर्द्धन के अलावा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल पर उसकी महत्ता को पहचान दिलाने का कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने आदिवासी संस्कृति पर आधारित लोकगीत की सुमधुर प्रस्तुति कर छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों के आदिवासी संस्कृति के विशेषताओं को रेखंाकित करने का प्रयास किया। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से छत्तीसगढ़ की बोली, भाषा, संस्कृति, रीति रिवाज एवं परम्परा को व्यवहार में लाकर इसके संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु निरंतर कार्य करने की अपील भी की। जिला पंचायत अध्यक्ष सोनादेवी देशलहरा ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा, कला, संस्कृति, परम्परा को निरंतर सहेजने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों को बच्चों के भविष्य के निर्माण हेतु निष्ठापूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन करने तथा बच्चों को शिक्षा के साथ अनिवार्य रूप से संस्कार भी देने को कहा।
इस अवसर पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष मिथिलेश निरोटी ने छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा आदिवासियों के साथ-साथ समुचे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक वैभव एवं विशेषताओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन तथा उसे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने हेतु किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी दी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर डाॅ. गौरव कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशेषताओं को पुर्नस्थापित करने तथा उसे विशिष्ट पहचान दिलाने हेतु निरंतर कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों को सीख देते हुए कहा कि हम जीवन में उपलब्धियों के शिखर को स्पर्श करें, किन्तु जमीन से जुड़ाव सदैव रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में वृक्षों के बचाव हेतु सर्वप्रथम आंदोलन आदिवासी समाज के द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज शुरू से प्रकृति प्रेमी व प्रकृति पूजक रहा है। इस समाज के द्वारा अनादि काल से प्रकृति एवं पर्यावरण को बचाने का कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित कलाकारों को बधाई एवं शुभकामनाए देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
जिला स्तरीय आदिवासी पारम्परिक लोकनृत्य महोत्सव में जिले के 11 नृत्य दलों ने अपनी प्रस्तुति दी। जिसमें रिलो नृत्य, रेला, रेलापाटा, करमा, गौरा-गौरी, हुल्की, डंडा, मांदरी, करमा नृत्य शामिल है। प्रतियोगिता में ग्राम तुमड़ीसुर के जय बुढ़ादेव आदिवासी लोकनृत्य को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इसी प्रकार ग्राम हितापठार के आदिवासी रिलो मादरी नवयुवक नृत्य दल को द्वितीय स्थान और ग्राम लिमोरा के आदिवासी रिलो नृत्य को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर एस.डी.एम. मनोज कुमार मरकार, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अविनाश ठाकुर सहित अन्य जनप्रतिनिधि, सामाजिक प्रमुख और बड़ी संख्या में विद्यार्थी, कलाकार एवं शिक्षक, शिक्षिका उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here