2030 तक एचआईवी-एड्स महामारी को समाप्त करना: भारत का अगला बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसर: सुश्री वी हेकाली झीमोमी

World AIDS Day
World AIDS Day

लेख: सुश्री वी हेकाली झीमोमी : World AIDS Day 2025:  भारत एचआईवी/एड्स के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। पहली घटना की रिपोर्ट होने के चार दशकों बाद, देश ने राष्ट्रीय एचआईवी रोकथाम और उपचार कार्यक्रम का निर्माण किया है, जो दुनिया के सबसे व्यापक और मजबूत उपचार कार्यक्रमों में से एक है।

राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) ने निर्विवाद उपलब्धियाँ हासिल की हैं। नई संक्रमण दर 2010 की तुलना में लगभग आधी रह गई है, एड्स से संबंधित मृत्यु दर में 80% की कमी दर्ज की गयी है .

World AIDS Day 2025: उपचार पर रहने वाले लोगों में वायरस नियंत्रण अब 97% से अधिक है

उपचार पर रहने वाले लोगों में वायरस नियंत्रण अब 97% से अधिक है और भारत ने पूरी तरह से डोल्यूटेग्राविर-आधारित उपचार योजनाओं को अपनाने के साथ बड़ा बदलाव किया है—जिससे यह उपचार प्रभावकारिता में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।

हालांकि, आत्मसंतुष्टि की कोई जगह नहीं हो सकती। देश 2026–31 के लिए एनएसीपी चरण-VI (एनएसीपी VI) में प्रवेश कर रहा है, लेकिन इसके साथ ही यह सच्चाई भी स्वीकार करनी होगी कि भारत में महामारी अभी भी विकसित हो रही है और कुछ जगहों पर यह तेजी से बढ़ रही है।

महामारी की मौजूदगी का राष्ट्रीय औसत केवल 0.20% है

World AIDS Day 2025: महामारी की मौजूदगी का राष्ट्रीय औसत केवल 0.20% है, लेकिन यह उभरते हुए हॉटस्पॉट और नई कमजोर स्थितियों को छिपाता है। असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और पंजाब जैसे राज्यों में मुख्य रूप से सुई से नशीली दवाओं के सेवन के कारण घटनाओं के बढ़ने की रिपोर्ट मिली है।

World AIDS Day
World AIDS Day

सुई से नशीली दवा लेने वाले लोगों में, एचआईवी होने की दर राष्ट्रीय औसत से चालीस गुना अधिक है और कुछ ख़ास स्थानों में इसमें गुणात्मक वृद्धि देखी जा रही है।

एक ही सुई साझा करने की घटना से संक्रमण का अनुमानित 1-में-160 मौका होने के कारण, सुई से नशीली दवाओं के सेवन से जुड़ी  एचआईवी महामारी तेजी से फैल सकती है, यदि इसके खिलाफ प्रभावी ढंग से जवाबी कारवाई नहीं की जाती है।

इसके अलावा, नए संक्रमणों का बढ़ता हुआ हिस्सा अब उन व्यक्तियों में देखने को मिल रहा है जो अपने आकस्मिक या नियमित साथियों से एचआईवी प्राप्त कर रहे हैं—जो पारंपरिक ‘मुख्य जनसंख्या’ से परे बदलाव का संकेत देता है।

भारत ने ऊर्ध्वाधर मातृ-शिशु संचरण को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है

World AIDS Day 2025: भारत की युवा जनसांख्यिकी – हर साल 15–25 आयु वर्ग में 2.25 करोड़ किशोर प्रवेश कर रहे हैं – संवेदनशील बनी हुई है, क्योंकि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तक आसान पहुँच जोखिम से भरे यौन व्यवहार और मादक पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देती है।

भारत ने ऊर्ध्वाधर मातृ-शिशु संचरण को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। गर्भवती माताओं के लिए एचआईवी और सिफ़लिस की सार्वभौमिक जांच और उपचार, शिशु का प्रारंभिक निदान और बालरोग निवारक उपायों ने माताओं से बच्चों में संचरण को 2020 के 25% से अधिक से कम करके 2024 में 10% तक कर दिया है। फिर भी, यह उन्मूलन की पांच प्रतिशत सीमा से ऊपर है।

सीधे तौर पर कहें तो, वायरस ने खुद को अनुकूलित कर लिया है। यह युवाओं को प्रभावित करता है, अधिक फैलाव वाला है और नई कमजोरियों का फायदा उठा रहा है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एक नई रणनीति की आवश्यकता है।

एनएसीपी-VI की परिकल्पना भारत की सबसे साहसी और सबसे भविष्य-अनुकूल

World AIDS Day 2025: एनएसीपी-VI की परिकल्पना भारत की सबसे साहसी और सबसे भविष्य-अनुकूल एचआईवी रणनीति के रूप में की गयी है। यह 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य (एस डी जी 3.3) के अनुरूप है—और यह चार बड़े बदलावों में निहित है।

सबसे पहले, भारत की विविध संवेदनशीलता प्रोफ़ाइल यह मांग करती है कि रोकथाम को श्रेणियों के बजाय लोगों के अनुसार बदला जाए।

पारंपरिक ‘उच्च-जोखिम समूहों’ से अलग, कार्यक्रम को सामाजिक और संरचनात्मक कारकों द्वारा पैदा होने वाली तथा एक-दूसरे से जुड़ी कमजोरियों को संबोधित करना होगा। संपूर्ण सुरक्षा रूपरेखा के तहत, सार्वभौमिक रोकथाम यह सुनिश्चित करेगी कि हस्तक्षेप, समूहों के बजाय जोखिम वाले व्यक्तियों तक पहुंचे।

World AIDS Day 2025: एआई-संचालित स्वयं जोखिम आकलन, वर्चुअल पहुंच, नए दवा उपकरण और हॉटस्पॉट या सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने वाले संभावित लोगों (सुपर-स्प्रेडर) का पता लगाने के लिए रोग निगरानी प्लेटफ़ॉर्म, रोकथाम और सेवाओं को आपस में जोड़ने के अगली पीढ़ी के प्रयासों को सशक्त करेंगे।

छह नशीली दवाओं के उपयोग से उत्पन्न महामारियों पर लक्षित रणनीतियाँ, एनएसीपी-VI के तहत महामारी को तेजी से कम करने के लिए केंद्रीय होंगी।

एनएसीपी-VI को जल्दी पहचान, प्रभावी इलाज, जीवन भर बनाए रखने के दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए

World AIDS Day 2025: दूसरा, एनएसीपी-VI को जल्दी पहचान, प्रभावी इलाज, जीवन भर बनाए रखने के दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए। उच्च गुणवत्ता वाले, मुफ्त एंटीरिट्रोवायरल उपचार और वायरल-कमी (वायरल सप्रेशन) को बढ़ाने में भारत की सफलता अभूतपूर्व है।

फिर भी, उपचार का पालन करने और प्रारंभिक निदान के लिए रोगियों को बनाए रखने का काम अभी भी जारी है। आभा, टेलीमेडिसिन और एआरटी वितरण के लिए डिजिटल फॉलो-अप का उपयोग करते हुए आपस में जुड़े तरीके सेवा अदायगी बाधाओं को दूर करने में मदद करेंगे।

आभा और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के साथ एनएसीपी-VI का एकीकरण, एचआईवी देखभाल को व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकोसिस्टम की मुख्य-धारा में लाने का मौका देता है।

एचआईवी और सिफ़लिस के ऊर्ध्वाधर संचरण को समाप्त करना एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनिवार्यता है

World AIDS Day 2025: तीसरा, एचआईवी और सिफ़लिस के ऊर्ध्वाधर संचरण को समाप्त करना एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनिवार्यता है। आरएमएनसीएच+ए के साथ तालमेल बढ़ाकर, निजी क्षेत्र से डेटा-प्रवाह और जांच किट्स के लिए विकेंद्रीकृत आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से, भारत 2030 तक उन्मूलन का लक्ष्य हासिल कर सकता है।

हालांकि, इसके लिए हर गर्भवती महिला तक—स्थान, जाति, आय या वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना—पहुंचना आवश्यक है। चौथी बात, कार्यक्रम को कलंक समाप्त करने पर अपने जोर को फिर से शुरू करना चाहिए। कलंक अदृश्यता, देरी से निदान और गैर-उपचार संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है।

एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017; एचआईवी और एड्स से संक्रमित और प्रभावित लोगों के लिए अधिकार-आधारित कानून है।

यह अधिनियम कलंक और भेदभाव से मुक्त वातावरण में सेवा प्राप्त करने को प्रोत्साहित करता है। फिर भी यह कलंक घरों, अस्पतालों, कार्यस्थलों और यहां तक कि नीतियों में भी मौजूद है और इससे निपटने के लिए मजबूत और लगातार प्रयास करने की आवश्यकता है।

एचआईवी रोकथाम में भारत की यात्रा कई साहसिक उपलब्धियों से परिपूर्ण रही है    

World AIDS Day 2025: एचआईवी रोकथाम में भारत की यात्रा कई साहसिक उपलब्धियों से परिपूर्ण रही है। एचआईवी नियंत्रण और रोकथाम में शुरूआती निवेश ने महामारी की दिशा को पलटने में मदद की, जिससे एक पूरी पीढ़ी को पीड़ा और रुग्णता से बचाया गया। इसके परिणामस्वरूप एक स्वस्थ जनसांख्यिकीय लाभ हुआ, जो आर्थिक विकास में योगदान देता है।

बड़े पैमाने पर सेवा वितरण में स्पष्ट उपलब्धियों का एनएसीपी का ट्रैक रिकॉर्ड अंतिम प्रयास के लिए आधार मजबूत करता है। अब विज्ञान, पहले से कहीं अधिक भारत के एचआईवी/एड्स उन्मूलन विज़न के पक्ष में है।

World AIDS Day 2025: हमारी जैव प्रौद्योगिकी और दवा उद्योग की क्षमता दवाओं, वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स का तेजी से विकास कर सकती है और पैमाने का तेज विस्तार कर सकती है, जिससे उन्मूलन प्रयासों के लिए सहायता मिलती है।

फिर भी, हजार मील की यात्रा में, आखिरी मील हमेशा सबसे कठिन होता है। एचआईवी/एड्स को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने की आखिरी कोशिश केवल जैव-चिकित्सीय नहीं है—यह सामाजिक, डिजिटल, व्यवहारिक और संरचनात्मक भी है।

World AIDS Day 2025: एनएसीपी-VI एक आगामी रोडमैप प्रदान करता है, जो तकनीकी रूप से आधुनिक, महामारी विज्ञान के दृष्टिकोण से सटीक और सामाजिक रूप से जमीन से जुड़ा है।

अडिग सरकारी प्रतिबद्धता और एक सुदृढ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के समर्थन के साथ, भारत इस अवसर का साहसपूर्वक लाभ उठाएगा—दुनिया को यह दिखाने के लिए कि जब विज्ञान, समुदाय और नीति मिलकर कार्य करते हैं, तो एक महामारी को समाप्त करना संभव है।

  • लेख: सुश्री वी हेकाली झीमोमी

( लेखिका, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) की महानिदेशक हैं। )

Read More : भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 17 रनों से हराया, विराट ने खेली 135 रनों की तूफानी पारी


#छत्तीसगढ,#मध्यप्रदेश#महाराष्ट्र,#उत्तर प्रदेश,#बिहार