नई दिल्ली: Veer Bal Diwas: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (26 दिसंबर) को दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित Veer Bal Diwas के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस अवसर पर बच्चों को सम्मानित किया जाएगा और youth empowerment के उद्देश्य से पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
साथ ही, पीएम मोदी Suposhit Panchayat Campaign की शुरुआत करेंगे। वीर बाल दिवस हर वर्ष श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है, जो गुरु गोबिंद सिंह जी के शौर्य और उनके पुत्रों की बलिदानी गाथा को याद करता है।
Veer Bal Diwas: वीर बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?
वीर बाल दिवस गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्रों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की अद्वितीय शहादत की याद में मनाया जाता है। सन् 1705 में, मुगल शासक वज़ीर खान ने उन्हें इस्लाम कबूल करने का आदेश दिया। उनकी निडरता और धर्म के प्रति उनकी अडिग आस्था ने उन्हें झुकने नहीं दिया।
नतीजतन, वज़ीर खान ने दोनों बालकों को दीवार में जिंदा चिनवा दिया। उनके इस सर्वोच्च बलिदान ने सिख समुदाय और समस्त मानवता के लिए courage and sacrifice का प्रतीक स्थापित किया।
Veer Bal Diwas: नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत
वीर बाल दिवस के माध्यम से बच्चों और युवाओं को उनके बलिदान से प्रेरणा दी जाती है। इस वर्ष, करीब 1.70 लाख छात्रों को drug-free life का संकल्प दिलाया जाएगा। सरकारी विद्यालयों में प्रार्थना के बाद छात्रों को नशामुक्ति का संदेश दिया जाएगा। यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर anti-drug awareness बढ़ाने का काम करेगी।
Veer Bal Diwas:2022 से शुरू हुई परंपरा
वीर बाल दिवस को 2022 में आधिकारिक मान्यता दी गई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मानित करने के लिए घोषित किया। खासतौर पर 26 दिसंबर को यह दिवस इसलिए चुना गया, क्योंकि इसी दिन बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने शहादत दी थी। यह दिन commemoration of bravery और उनके बलिदान की गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम है।
Veer Bal Diwas:विशेष आयोजन और प्रतियोगिताएं
देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में इस अवसर पर educational competitions और प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विद्यार्थियों को गुरु गोबिंद सिंह और उनके साहिबजादों की जीवनी के माध्यम से शांति, धर्म और बलिदान का महत्व सिखाया जाता है।
वीर बाल दिवस सिर्फ एक यादगार दिन नहीं, बल्कि सिख धर्म की महान परंपरा और spiritual strength का उत्सव है। यह नई पीढ़ी को धर्म और नैतिकता के प्रति सशक्त बनने का संदेश देता है।