US, Australia : अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने परमाणु संचालित पनडुब्बी समझौते की घोषणा की

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US, Australia and UK announce nuclear powered submarine deal

वाशिंगटन, (भाषा) US, Australia :  अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने परमाणु संचालित पनडुब्बी समझौते की घोषणा की है, जिसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये का मुकाबला करना है।.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने सोमवार को अमेरिका के सैन डिएगो में एक शिखर सम्मेलन के बाद यह घोषणा की।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ‘‘स्वतंत्र व मुक्त’’ रखने के लिए उठाया गया है।

अल्बनीज और सुनक के साथ सैन डिएगो में बाइडन ने कहा, ‘‘2030 के दशक की शुरुआत में कांग्रेस के समर्थन और अनुमोदन के साथ अमेरिका तीन वर्जीनिया-श्रेणी की पनडुब्बियों को ऑस्ट्रेलिया को बेचेगा, अगर जरूरत हुई तो दो और पनडुब्बियां बेचेगा…।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह अत्याधुनिक पारंपरिक रूप से सशस्त्र परमाणु-संचालित पनडुब्बी… ब्रिटेन की पनडुब्बी प्रौद्योगिकी व डिजाइन को अमेरिकी प्रौद्योगिकी से जोड़ती है।’’

बाइडन ने कहा कि ‘एसएसएन-एयूकेयूएस’ एक अत्याधुनिक मंच होगा, जिसे तीन देशों से पनडुब्बी प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम लाभ उठाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

‘एसएसएन-एयूकेयूएस’ ब्रिटेन की अगली पीढ़ी के एसएसएन डिजाइन पर आधारित होगा, जिसमें अत्याधुनिक अमेरिकी पनडुब्बी प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है और इसे ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन दोनों द्वारा बनाया और तैनात किया जाएगा।

एसएसएन से तात्पर्य परमाणु संचालित पनडुब्बी है और एयूकेयूएस (ऑकस) ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच हिंद प्रशांत के लिए किए सुरक्षा समझौते को कहा जाता है।

अल्बनीज ने तीन देशों के बीच संबंधों में इसे एक नया अध्याय बताते हुए कहा कि यह एक ऐसी दोस्ती है जो उनके साझा मूल्यों, लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता तथा शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य के समान दृष्टिकोण पर आधारित है।

वहीं सुनक ने समझौते पर कहा, ‘‘60 साल पहले, यहां सैन डिएगो में राष्ट्रपति केनेडी ने एक उच्च उद्देश्य ‘स्वतंत्रता, शांति और सुरक्षा का संरक्षण’ की बात की। आज हम फिर उसी मकसद के लिए एकसाथ खड़े हैं। यह स्वीकार करते हुए कि इसे पूरा करने के लिए, हमें नयी तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए तरह के रिश्ते बनाने होंगे जैसा कि हम हमेशा से करते आए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 18 महीने में हमारे समक्ष पेश होने वाली चुनौतियां बढ़ गई हैं। रूस का यूक्रेन में अवैध आक्रमण, चीन की बढ़ती उग्रता, उत्तर कोरिया और ईरान का अस्थिर व्यवहार… यह सभी खतरे दुनिया के अव्यवस्थित व विभाजित बनने को लेकर आगाह करते हैं।’

सुनक ने कहा, ‘‘इन चुनौतियों का सामना करते हुए यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हम अपने देशों के लचीलेपन को मजबूत करें।’’

भाषा निहारिका सुरभि

सुरभि

(यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए  हिन्द मित्र जिम्मेदार नहीं है. )

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