उज्जैन | Ujjain: एकादशी के दिन बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया था। भस्मारती में उनके मस्तक पर सूर्य, चंद्र और त्रिपुंड लगाकर उन्हें सजाया गया था। यह एक अद्भुत दृश्य था जो भक्तों के लिए अविस्मरणीय रहा होगा।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर शुक्रवार तड़के भस्म आरती के दौरान चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत से कर पूजन अर्चन किया गया।
प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को चांदी का मुकुट और रुद्राक्ष व पुष्पों की माला धारण करवाई गई।
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भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।
श्रृंगार क्यों किया गया ?
Ujjain:एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र दिन है। इस दिन, भक्त व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। बाबा महाकाल भगवान शिव का एक रूप हैं, लेकिन वे भगवान विष्णु का भी सम्मान करते हैं। इसलिए, एकादशी के दिन, उन्हें विशेष रूप से भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सजाया गया था।
Ujjain: श्रृंगार का विवरण
बाबा महाकाल को सफेद वस्त्र पहनाए गए थे। उनके मस्तक पर सूर्य, चंद्र और त्रिपुंड लगाया गया था। उनके चेहरे पर चंदन और अन्य सुगंधित सामग्री लगाई गई थी। उन्हें फूलों की माला और आभूषण पहनाए गए थे।
Ujjain: भस्मारती
भस्मारती एक विशेष पूजा है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस पूजा में, भक्त भगवान शिव को भस्म अर्पित करते हैं। भस्मारती के दौरान, बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार और भी भव्य लग रहा था।
भक्तों की प्रतिक्रिया
Ujjain: भक्त बाबा महाकाल के इस विशेष श्रृंगार को देखकर बहुत खुश थे। उन्होंने कहा कि यह एक अद्भुत दृश्य था जो उन्हें कभी नहीं भूलेगा। घटना मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में महाकालेश्वर मंदिर में हुई थी।
Ujjain: यह घटना क्यों महत्वपूर्ण है?
यह घटना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भक्तों के लिए भगवान शिव और भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने का एक अवसर था। यह घटना भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था।
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