उज्जैन 30 सितंबर । ujjain chaubis khamba mata : शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर मंगलवार सुबह उज्जैन में पारंपरिक रूप से शासकीय नगर पूजा आयोजित की गई। कलेक्टर रौशन सिंह और उनके प्रतिनिधियों ने चौबीस खंबा माता मंदिर में महामाया और महालया माता को मदिरा का भोग लगाकर पूजन किया।
40 मंदिरों में पूजन-अर्चन करेंगे
ujjain chaubis khamba mata : पूजन के बाद कलेक्टर की अगुवाई में एक दर्जन से अधिक पटवारी, कोटवार सहित कई अधिकारी-कर्मचारी और श्रद्धालु सड़क पर मदिरा की धार लगाते हुए लगभग 27 किलोमीटर तक पैदल चलकर करीब 40 मंदिरों में पूजन-अर्चन करेंगे।
नगर पूजा की परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही
ujjain chaubis khamba mata : मान्यता है कि नगर पूजा की यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। इसे नगरवासियों और शहर को आपदाओं और विपदाओं से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। यह पूजा तांत्रिक स्वरूप में होती है। इसमें एक व्यक्ति शराब से भरी मटकी लेकर पूरे शहर में घूमता है और मटकी से लगातार शराब की धार गिरती रहती है।
इस दौरान लगभग 40 अलग-अलग मंदिरों में शराब का भोग अर्पित किया जाता है, साथ ही अन्य पूजा सामग्री भी मंदिरों में रखी जाती है। यह अनोखी परंपरा धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मानी जाती है और उज्जैन की पहचान में शामिल है।
इसके लिए आबकारी विभाग शराब की 31 बोतलें नि:शुल्क राजस्व विभाग को उपलब्ध कराता है ।
ujjain chaubis khamba mata : चौबीस खंबा मंदिर में नगर पूजा की शुरुआत
सुबह 8 बजे चौबीस खंबा मंदिर में नगर पूजा की शुरुआत हुई, जो रात करीब 8 बजे हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर समाप्त होगी। इस दौरान नगर के देवी, भैरव और हनुमान मंदिरों में पूजन-अर्चन होगी। नगर पूजा में माता से नगर की सुख-समृद्धि और प्राकृतिक प्रकोप से रक्षा की कामना की जाती है।
महाअष्टमी पर घरों में भी कुल देवी का पूजन किया जाता है। ढोल-नगाड़ों के साथ कलेक्टर माता को मदिरा अर्पित करेंगे। इस दौरान माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री, चुनरी और बड़बाखल का भोग भी लगाया जाएगा। नगर पूजा के दौरान सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में शामिल होंगे।
इसी दिन दोपहर 12 बजे हरसिद्धि मंदिर के गर्भगृह में भी माता को श्रृंगार सामग्री अर्पित कर शासकीय पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां को मदिरा का भोग लगाने से शहर में सुख-समृद्धि आती है।
ujjain chaubis khamba mata : 27 किलोमीटर की यात्रा में 40 मंदिरों में पूजा
चौबीस खंबा मंदिर में माता महामाया और महालया की पूजा के बाद शासकीय दल नगर पूजा के लिए निकलता है। कोटवार मदिरा से भरी हांडी लेकर चलते हैं, इसकी धार नगर के रास्तों पर बहती है। ढोल के साथ निकले शासकीय दल के सदस्य 12 घंटे तक 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी, भैरव और हनुमान मंदिरों में पूजा करते हैं।
देवी और भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है। हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है। करीब 8 बजे गढ़ कालिका माता मंदिर में पूजन के बाद हांडी फोड़ भैरव मंदिर में पूजा समाप्त होती है।
ujjain chaubis khamba mata : काले चने-गेहूं को उबालकर बनाते हैं बलबाकल का भोग
पूजन के लिए करीब 45 तरह का सामान दो दिन पहले लेकर रख लिया जाता है। एक दिन पहले चौबीस खंबा माता मंदिर के पास काले चने और गेहूं को उबालकर करीब 35 किलो बलबाकल तैयार करते हैं। इसके साथ ही माता को भोग के लिए पूरी-भजिया भी बनाए जाते हैं। अष्टमी के दिन सुबह 6 बजे पूरा सामान तैयार करके रख लिया जाता है।
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