Traditional Clay Art : संकट में मिट्टी के करवे और दीयों की पारंपरिक कला

आईएएनएस

Traditional Clay Art
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इटावा, 16 अक्टूबर । Traditional Clay Art : यूपी इटावा जिले में एक परिवार पिछले छह पीढ़ियों से करवा चौथ और दीपावली के लिए मिट्टी से बने करवे और दीये बनाने का कार्य कर रहा है। मकसूदपुरा के कुम्हार विजय कुमार की कारीगरी न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी पहचान बना चुकी है। लेकिन, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बदलती प्राथमिकताओं के कारण यह पारंपरिक व्यवसाय संकट में है।

इटावा में मिट्टी के करवे और दीयों की मांग हर साल बढ़ जाती

Traditional Clay Art : इटावा में मिट्टी के करवे और दीयों की मांग हर साल दीपावली के मद्देनजर बढ़ जाती है। इस दौरान व्यापारी इटावा से मिट्टी के करवे और दीये खरीदकर विभिन्न क्षेत्रों में बेचना शुरू कर देते हैं। मैनपुरी जिले के कुसमरा के व्यापारी विकास शाक्य ने बताया कि वह करवा चौथ के लिए खासतौर पर यहां आए हैं। उनका कहना है कि इटावा में मिट्टी से बने करवे और दीये की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है, इसलिए हम इन्हें खरीदकर अपने क्षेत्र में बेचते हैं।

 यह काम पिछली 6 पीढ़ियों से कर रहे हैं

Traditional Clay Art : विजय कुमार ने चिंता जताते हुए कहा कि उनके परिवार के लोग यह काम पिछली 6 पीढ़ियों से कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले जहां इसके खरीदार बहुत अधिक हुआ करते थे। लेकिन, अब यह संख्या लगातार कम होती चली जा रही है, इससे बड़ा नुकसान हो रहा है। पहले इस कारोबार से बहुत अधिक फायदा हुआ करता था।

Traditional Clay Art : बच्चे चाक पर काम नहीं सीखना चाहते

लेकिन अब पहले के मुकाबले फायदा नहीं हो रहा है। उल्टे नुकसान ही होता है। वैसे भी धीरे धीरे इस काम से युवा पीढ़ी दूर हो रही हैं। बच्चे चाक पर काम नहीं सीखना चाहते। बस बेचने खरीदने का काम कर रहे है। इसके पीछे यही वजह है कि मिट्टी से बनी सामग्री से लोग दूरी बना रहे हैं।

Traditional Clay Art : दीपावली पर्व से पहले सभी सदस्य दीये और करवे बनाने में जुट जाते

विजय कुमार की पुत्रवधु श्रीमती उर्मिला देवी बताती हैं कि, दीपावली पर्व से पहले परिवार के सभी सदस्य एकजुट होकर दीये और करवे बनाने में जुट जाते हैं। जिसके जरिए परिवार को अच्छी खासी आमदनी भी होती है। इस काम को करने के लिए परिवार के सभी सदस्य करीब 3 महीने पहले से ही व्यापक रूप से तैयारी शुरू कर देते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पहले की तुलना में इस काम में बहुत असर पड़ा हैं।

Traditional Clay Art : घर में त्योहारों पर मिट्टी से निर्मित दीये और करवे का इस्तेमाल

पहले हर घर में त्योहारों पर मिट्टी से निर्मित दीये और करवे का इस्तेमाल होता था। लेकिन अब यह चलन साल दर साल कम होता चला रहा हैं। इसीलिए पहले करवे और दीये जिस मूल रूप में तैयार होते थे वैसे ही बिकते थे। लेकिन अब फैंसी रंगीन करवे, दीये की डिमांड होती है जिस वजह से अब उनको रंग और अन्य सामग्री का इस्तेमाल करके भी तैयार किया जाता हैं।


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