Tax on PF Contributions: पीएफ में जमा होने वाले पैसों पर ऐसे होगा टैक्स कैलकुलेशन

Taxation on PF Contributions: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने 31 अगस्त को प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) कंट्रीब्यूशन को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके तहत 1 अप्रैल 2022 से एक सीमा से अधिक कंट्रीब्यूशन और उस पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स के दायरे में लाया गया है. टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट से पीएफ को टैक्सेबल बनाए जाने पर अब प्राइवेट सेक्टर के सामने उलझन की स्थिति बन गई है. आरएसएम इंडिया के फाउंडर डॉ सुरेश सुराना के मुताबिक वित्त अधिनियम 2021 के चलते एंप्लाई प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) सब्सक्राइबर्स के सामने दुविधा की स्थिति बनी है.

वित्त एक्ट 2021 के तहत अगर कोई एंप्लाई पीएफ में 2.5 लाख रुपये से अधिक का योगदान करता है तो इस सीमा से अधिक के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देनदारी बनती है. हालांकि अगर प्रॉविडेंट फंड में सिर्फ सिर्फ एंप्लाई का ही योगदान है तो यह सीमा 2.5 लाख रुपये की बजाय 5 लाख रुपये है. ऐसे में पीएफ खाते के भीतर दो खाते, टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल कंपोनेंट बनाए जाने की स्थिति बनेगी और इसके चलते ही एंप्लाई को दुविधा हो रही है.

ईपीएफओ और एंप्लॉयर्स पर बढ़ी जिम्मेदारी

इस संशोधन के अलावा सीबीडीटी ने एक नियम 9डी को अधिसूचित किया है जिसके तहत पीएफ खाते में सीमा के अधिक पैसे जमा किए जाने की हालत में ब्याज पर टैक्स कैलकुलेट करने का तरीका बताया गया है. इस नियम के तहत पीएफ खाते के भीतर दो अलग-अलग खाते मेंटेन करने हैं. यह नियम वित्त वर्ष 2021-22 से प्रभावी हो गया है. हालांकि इससे ईपीएफओ और एंप्लॉयर्स के ऊपर अलग-अलग खातों के मेंटेनेंस को लेकर कंप्लॉयंस बर्डेन में बढ़ोतरी होगी.

Tax on Provident Fund Know how PF contributions interest will be taxed

इस तरह ईपीएफ पर टैक्स का होगा कैलकुलेशन

किसी कर्मचारी के ईपीएफ खाते में 10 लाख रुपये हैं और उसने ईपीएफ खाते में 4 लाख रुपये का योगदान किया और इतना ही योगदान उसकी कंपनी ने भी किया तो नियम 9डी के तहत 1.5 लाख रुपये (4 लाख-2.5 लाख रुपये) और उस पर अर्जित ब्याज टैक्सेबल होगा. इसके अलावा 12.5 लाख रुपये (10 लाख + 2.5 लाख रुपये) की रकम और उस पर अर्जित ब्याज को नॉन-टैक्सेबल माना जाएगा.

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टैक्स बचत कैसे करें

जो ईपीएफ सब्सक्राइबर्स थ्रेशहोल्ड से ज्यादा पैसे जमा कर रहे हैं, उन्हें अपनी निवेश योजना का मूल्यांकन करना चाहिए. टैक्सेशन के नए नियमों को देखते हुए सब्सक्राइबर्स को वैकल्पिक निवेश विकल्पों पर विचार करना चाहिए ताकि टैक्स बचाया जा

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