अध्यात्म: Suvichar: केवल गुरु मंत्र का जप करने से कुछ नहीं होता। भक्ति राम की और कार्य रावण का करोगे तो कल्याण नहीं होगा। जिसका मंत्र जप रहे हो, जिसकी भक्ति क़र रहे हो उसी के अनुसार हो जाओ, उसी का कार्य करो, उसी का अनुसरण करो, उसके विचारों को अपनाओ, रिश्ते, नाते मत देखो। कौन क्या कहेगा, क्या सोचेगा, क्या समझेगा ये सब देखना तुम्हारा काम नहीं है।
मीठे बनने की कोशिश मत करो, सबको खुश करने की कोशिश मत करो। बस एक उस ईश्वर/गुरु को खुश कर लो जिसका मंत्र लिये हो सब खुश हो जायेंगे और तुम आनंद मे रहोगे। जो आवश्यक निर्देश दिया गया है उसे अपना परम कर्तव्य समझकर पूर्ण करो। यही बातें श्री हनुमान जी नें सिखायी विभीषण जी को। विभीषण जी का कल्याण हुआ, भगवान का शरण मिला और सब दुःख कट गये। विभीषण राजा बन गये।
Suvichar: शिक्षा :-
भगवान की लीलाओं को समझो और अपनाओ शास्त्र केवल पढ़नें और याद करने की वस्तु नहीं है, अपितु जीवन मे अपनाने से जीवन धन्य होता है। Suvichar
जय माँ
– संकर्षण जी महाराज(गुरु जी ),प्रयागराज