रासलीला काम की नहीं, काम मर्दन की लीला है : डॉ. स्वामी इन्दुभवानन्द महाराज

Vyakhyan on ShrimadBhagwat Katha
रायपुर: Vyakhyan on ShrimadBhagwat Katha: शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला में चल रहे चातुर्मास प्रवचन मालाक्रम के अंतर्गत मंगलवार को आश्रम के प्रभारी डॉ. स्वामी इन्दुभवानन्द तीर्थ महाराज ने श्रीमद्भागवत के रास रहस्य पर व्याख्यान दिया।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला साधारण काम की नहीं, बल्कि “काम मर्दन की लीला” है। कामदेव के अहंकार को दूर करने के लिए भगवान ने यह आयोजन किया था। महापुरुष, सिद्धात्मा, भगवान शिव एवं सुखदेव जी महाराज तक इस रास लीला के सहचर माने जाते हैं।

Vyakhyan on ShrimadBhagwat Katha: संयोग और वियोग दोनों ही ईश्वरीय अनुभव का अंग हैं

स्वामी जी ने बताया कि नित्य सिद्ध, साधन सिद्ध, अनुग्रह सिद्ध, श्रुति रूपा, ऋषि रूपा एवं साधारण गोपियां—सभी को भगवान की प्राप्ति विभिन्न रूपों में होती है। किसी को शरीर से, तो किसी को मन से भगवान का अनुभव होता है।
Vyakhyan on ShrimadBhagwat Katha
उन्होंने कहा कि संयोग और वियोग दोनों ही ईश्वरीय अनुभव का अंग हैं। वियोग से हृदय की कठोरता पिघल जाती है और तभी संयोग का वास्तविक सुख प्राप्त होता है। संयोग-वियोग की यह स्थिति ही परम रस की पूर्णता है, जिसे रास कहा जाता है।
Vyakhyan on ShrimadBhagwat Katha: कथा से पूर्व आश्रम के वैदिक विद्वानों ने यजमान भारत भूषण शर्मा एवं उनके परिवार से भागवत पोथी का पूजन कराकर आरती संपन्न कराई।