Save Birds: कटोरे में दाना शकोरे में पानी रखते हैं….’रौशन कुमार’

साहित्य,

वो रंग बिरंगे चिड़ीयों की टोली
मधुर-मधुर सी उनकी बोली
बड़े अच्छे से लगते थे…
इनकी आवाज से हम जगते थे…

चुं चुं कर फुरगुद्दी नाचती
कोयल, मैना गाते थे
मेरे आँगन में एक मेहंदी का पेड़ था
सब डेरा वहाँ जामाते थे
हम दौर के जाते तो वो भगते थे…
बड़े अच्छे से लगते थे…
इनकी आवाज से हम जगते थे…

पर ये सब पुरानी बातें हैं
अब कहाँ ये दिख पाते हैं
चलो फिर से पहल करे
इन्हे अपने छत पे बुलाते हैं
कटोरे में दाना शकोरे में पानी रखते हैं…
अपने बच्चो के लिए बचा के
अपने बचपन की कहाँनी रखते हैं…

-: रौशन कुमार

 

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