Ram Navami 2022: चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि के पुनर्वसु नक्षत्र में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म हुआ था, देखें पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

अध्यात्म,

राम नवमी चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल आधा) के नौवें दिन आती है। यह भगवान राम के जन्म का प्रतीक है, जिन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के अंतिम दिन शुभ दिन आता है। चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि के पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में मर्यादा पुरुषोत्तम सियापति राम का जन्म हुआ था। इस मौके पर लोग व्रत रखते हैं जबकि भगवान राम की नगरी अयोध्या झिलमिल सितारों से रोशन दिखता है।

हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक रामनवमी भी है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के घर हुआ था। रामनवमी के दिन लोग व्रत रखते हैं, कई जगह हवन और कन्या पूजन का भी विधान है। साथ ही, इस विशेष मौके पर लोग एक-दूसरे को भक्ति भाव से भरपूर संदेश भी भेजते हैं।

भक्तों द्वारा उपवास रखते हुए मनाया जाता है, बच्चे भगवान राम के रूप में तैयार होते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म मध्याह्न काल या दिन के मध्य में हुआ था। राम नवमी पूजा अनुष्ठान करने के लिए यह सबसे शुभ समय है। कल पूरे देश में रामनवमी मनाई जा रही है। इस अवसर पर अपने परिवार और दोस्तों को इन हार्दिक शुभकामनाओं को भेजकर खुशियां फैलाएं।

रामनवमी पर इस विधि से करें हवन

राम नवमी के दिन सुबह जल्‍दी स्‍नान करके साफ कपड़े पहन लें. बेहतर होगा कि लाल, पीले या नारंगी रंग के कपड़े पहनें. इसके बाद किसी उपयुक्‍त जगह को गंगाजल से शुद्ध करके हवन कुंड बनाएं. आम के पेड़ की  लकड़ी और कपूर की मदद से कुंड में अग्नि प्रज्जवलित करें. पूरे मंत्रोच्‍चार के साथ सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति दें और हवन संपूर्ण करें. हवन के आखिर में आरती करें और भगवान को भोग लगाएं. इस दिन कन्या पूजन जरूर करें. ऐसा करने से मां दुर्गा का भरपूर आशीर्वाद मिलता है.

हवन सामग्री

चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन यानी कि रामनवमी के हवन में कुछ चीजों का उपयोग जरूर करें. इसमें आम की लकड़ी, नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, गोला, जौ, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, आदि शामिल हैं.

राम नवमी 2022 शुभ मुहूर्त (Ram Navmi Shubh Muhurat 2022) 

नवमी तिथि का प्रारंभ: 10 अप्रैल,रविवार,01:22 AM पर
नवमी तिथि का समापन: 11 अप्रैल,सोमवार,03:16 AM पर

राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त:  दिन में 11:06 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त:  दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक

शुभ योग में रामनवमी
धार्मिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान राम का जन्म विष्णु के सातवें अवतार के रूप में त्रेतायुग में अयोध्या में राजा दशरथ के घर हुआ था। भगवान राम के जन्म के समय चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, कर्क लग्न ,पुनर्वसु नक्षत्र और मंगल, सूर्य,शनि और गुरु के उच्च भाव में रहते हुआ हुआ। इस वर्ष नवमी तिथि पर भगवान राम के जन्मोत्सव का पर्व बहुत ही शुभ योग में है। दरअसल रामनवमी के दिन पुष्ययोग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग के संयोग है।

नवमी तिथि चैत्र नवरात्रि की आखिरी तिथि होती है। इस बार रामनवमी के मौके पर रवि-पुष्य योग बनेगा। ज्योतिषीय गणना के आधार पर इससे पहले इस तरह का शुभ संयोग साल 2012 को बना था। जब रवि पुष्य योग पर चैत्र नवरात्रि खत्म हुए थे। राम नवमी पर यानी 10 अप्रैल,रविवार को सूर्योदय के साथ पुष्य नक्षत्र शुरू होगा, जो अगले दिन सूर्योदय तक रहेगा। ऐसे में इस दिन शुभ खरीदारी का अबूझ मुहूर्त बन रहा है। अबूझ मुहूर्त में शुभ कार्य करने और खरीदारी करने के बहुत ही अच्छा माना जाता है।

श्रीरामजी की आरती :

आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।

सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भागवैदेहीराजैं ।।

कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।

शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।

नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं

भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।

सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।

खेल खेल महु सिंधु बधाये। लोक सकल अनुपम यश छाये ।।

दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।
देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।

कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।

देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।

आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।

कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।

धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।

राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।

ॐ श्री रामाय नमः॥

श्री राम जय राम जय जय राम॥

ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि,तन्नो राम प्रचोदयात्॥

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