रायपुर;1 अगस्त । Raksha Bandhan Now : हर साल आने वाला रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और मिठास को दर्शाता है। यह सिर्फ एक धागे का बंधन नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और सम्मान का एक अटूट प्रतीक है। यह पर्व भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सदियों से भाई-बहनों को एक दूसरे के बंधन में बांध कर रखता रहा है। भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
रक्षा बंधन आपसी सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक
Raksha Bandhan Now : रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ है ‘सुरक्षा का बंधन’ (संस्कृत, शाब्दिक रूप से ” सुरक्षा, दायित्व या देखभाल का बंधन “) । इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बाँधती है, जो भाई के लिए उसके प्रति प्रेम, सम्मान और कल्याण की प्रार्थना का प्रतीक है। इसके बदले में भाई अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा करने और उसका साथ देने का वचन देता है।
यह पर्व इस बात का संदेश देता है कि भाई-बहन का रिश्ता सिर्फ खून का नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और सुरक्षा का भी होता है।
आधुनिक युग में भी रक्षा बंधन का महत्व जस का तस
Raksha Bandhan Now : आधुनिक युग में भी, रक्षा बंधन का महत्व जस का तस बना हुआ है। अब यह केवल भाई की बहन की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग, समर्थन और दोस्ती का भी प्रतीक बन गया है। आज बहनें भी अपने भाइयों की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं और मुश्किल समय में एक-दूसरे का सहारा बनती हैं।
रक्षा बंधन का यह पर्व परिवार को एक साथ लाता है और भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि परिवार के रिश्ते अनमोल होते हैं और उन्हें हमेशा संजोकर रखना चाहिए।
रक्षा बंधन का असली संदेश क्या है?
Raksha Bandhan Now : भाई-बहन किताबों और खिलौनों से लेकर सुख-दुख तक, हर चीज़ एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जब भाई-बहन एक-दूसरे को सच्चा प्यार और कृतज्ञता दे सकते हैं। यह भाई-बहनों के लिए एक ऐसा दिन है जब वे हमेशा एक-दूसरे के साथ रहने का संकल्प लेते हैं।
Raksha Bandhan Now : रक्षा बंधन की उत्पत्ति कैसे हुई?
Raksha Bandhan Now : रक्षा बंधन का श्री कृष्ण और द्रौपदी से गहरा संबंध
रक्षा बंधन का पर्व केवल भाई-बहन के प्रेम का उत्सव नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी पौराणिक कहानी भी छिपी है, जिसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी से है। यह कहानी हमें बताती है कि कैसे एक धागे का बंधन भाई-बहन के रिश्ते को एक दिव्य और अटूट रूप देता है।
Raksha Bandhan Now : कथा के अनुसार जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई और भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने से रक्त बहने लगा था। यह देखकर द्रौपदी ने बिना कुछ सोचे अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ में बाँध दिया, ताकि रक्त बहना रुक जाए। यह घटना श्रावण पूर्णिमा के दिन हुई थी। द्रौपदी के इस निःस्वार्थ और प्रेमपूर्ण कार्य से भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने द्रौपदी को हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन दिया।
श्रीकृष्ण ने पवित्र बंधन का मान रखा और द्रौपदी की लाज बचाई
Raksha Bandhan Now : यही वह वचन था जिसे श्रीकृष्ण ने उस समय पूरा किया जब दुशासन ने भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण करने का प्रयास किया था। उस विकट परिस्थिति में जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को पुकारा तो उन्होंने अपने इस पवित्र बंधन का मान रखा और द्रौपदी की लाज बचाई।
इसी घटना के सम्मान में, रक्षा बंधन का पर्व आज भी श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की रक्षा करने के वादे का प्रतीक बन गया है। यह पौराणिक कथा हमें सिखाती है कि रक्षा का बंधन केवल एक धागे का नहीं, बल्कि हृदय से जुड़ा एक ऐसा रिश्ता है, जो हर परिस्थिति में साथ खड़ा रहता है।