राजिम कुंभ में पंचकोशी यात्रा की झांकी श्रद्धालुओं को कर रही आकर्षित

Rajim Kumbha Kalpa
Rajim Kumbha Kalpa

राजिम: Rajim Kumbha Kalpa: राजिम कुंभ कल्प मेला में इस बार पहले से अधिक भव्य और आकर्षक रूप में आयोजित किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की आस्था, भक्ति और संस्कृति का संगम इस मेले में देखने को मिल रहा है। मेले में दिनभर भजन-कीर्तन की गूंज के साथ देशभर के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी जा रही हैं। इस बार पंचकोशी यात्रा की थीम पर बनी झांकी मेलार्थियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जो आस्था और संस्कृति की झलक प्रस्तुत कर रही है।

Rajim Kumbha Kalpa: चौबेबांधा के नए मेला मैदान में पंचकोशी यात्रा की झांकी बनाई गई है, जो मेलार्थियों को विशेष रूप से आकर्षित कर रही है। श्रद्धालु इस झांकी के समक्ष श्रद्धाभाव से शीश झुकाकर पुण्य लाभ ले रहे हैं। इस झांकी के माध्यम से पंचकोशी यात्रा के पांचों महादेव मंदिरों, यात्रा मार्ग और उनकी दूरी की जानकारी दी जा रही है।

छत्तीसगढ़ में राजिम मेला से एक माह पूर्व पंचकोशी यात्रा निकाली जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु क्षेत्र के प्रमुख शिव मंदिरों की पदयात्रा कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। यह यात्रा राजिम त्रिवेणी संगम में स्थित श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर से आरंभ होती है और वहीं समाप्त होती है।

Rajim Kumbha Kalpa: छत्तीसगढ़ में राजिम मेला से एक माह पूर्व पंचकोशी यात्रा निकाली जाती है

श्रद्धालु पाँच प्रमुख शिवलिंगों के दर्शन करते हुए यह यात्रा पूर्ण करते हैं। यात्रा के मुख्य पड़ाव इस प्रकार हैं। पटेश्वर महादेव मंदिर (पटेवा), राजिम से 5 किमी दूर, यहाँ भगवान शिव अन्नब्रह्मा के रूप में पूजे जाते हैं। चंपेश्वर महादेव (चंपारण) मंदिर राजिम से 14 किमी उत्तर स्थित है, जहाँ स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। ब्रम्हनेश्वर महादेव (बम्हनी, महासमुंद) चंपेश्वर से 9 किमी दूर, यहाँ भगवान शिव का अघोर रूप उकेरा गया है।

Rajim Kumbha Kalpa:  फणीकेश्वर महादेव (फिंगेश्वर, गरियाबंद) यहाँ शिवलिंग की ईशान रूप में पूजा की जाती है, और माता अंबिका इनकी अर्धांगिनी हैं। कोपेश्वर महादेव (कोपरा, गरियाबंद) यहाँ भगवान शिव वामदेव रूप में पूजे जाते हैं, और माता भवानी आनंद का प्रतीक मानी जाती हैं। यात्रा के समापन पर श्रद्धालु त्रिवेणी संगम स्थित श्री कुलेश्वर महादेव के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

Rajim Kumbha Kalpa: श्रद्धालु अपने सिर पर रोजमर्रा के सामान लादकर ’महादेव’ और ’राम सिया राम’ का जाप करते हुए यात्रा करते हैं। यह यात्रा अध्यात्मिक शांति, पुण्य अर्जन और काम, क्रोध, मोह, लोभ और मद जैसे विकारों से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी जाती है। हथखोज स्थित शक्ति लहरी माता के दरबार में श्रद्धालु परसा पान, नारियल, अगरबत्ती और धूप समर्पित करते हैं। मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालु नदी में सूखा लहर लेते हैं। इससे पहले रेत से शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

राजिम कुंभ केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। यहाँ श्रद्धालुओं को पंचकोशी यात्रा का आध्यात्मिक लाभ एक ही स्थान पर मिल रहा है। इस मेले में मनोरंजन, आध्यात्म और श्रद्धा का अद्भुत समन्वय देखने को मिल रहा है।


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