संपादकीय; कुलदीप शुक्ला । Promising students now : भारत जैसे विकासशील देश में जहां स्वास्थ्य सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है, भारत में चिकित्सा शिक्षा का सपना लाखों विद्यार्थियों की आंखों में पलता है, लेकिन आज यह सपना बढ़ती फ़ीस और आर्थिक असमानता के कारण टूटता जा रहा है। विशेष रूप से निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस इतनी अधिक है कि सामान्य मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के होनहार छात्र डॉक्टर बनने के अवसर से वंचित हो रहे हैं।
Promising students now : वहीं मेडिकल शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र बनता जा रहा है जहाँ प्रतिभा की जगह पैसा निर्णायक भूमिका निभाने लगा है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीमित सीटें और निजी संस्थानों की आसमान छूती फीस ने हजारों होनहार छात्रों के डॉक्टर बनने के सपनों को अधूरा छोड़ दिया है।
टैलेंटेड लेकिन असहाय छात्र
Promising students now : ग्रामीण, निम्न-मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले कई मेधावी छात्र परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद पैसे की कमी के कारण एडमिशन नहीं ले पाते। छात्रवृत्ति या शिक्षा ऋण सभी को आसानी से उपलब्ध नहीं होता खासकर जब गारंटी या कोलैटरल न हो।
मेडिकल शिक्षा की बढ़ती लागत
Promising students now : सरकारी कॉलेजों में सीटें सीमित हैं और हर साल लाखों छात्र NEET जैसी कठिन प्रवेश परीक्षा में बैठते हैं। परंतु निजी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की फीस अक्सर 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक पहुँच जाती है। इसमें ट्यूशन फीस, हॉस्टल, किताबें, क्लिनिकल ट्रेनिंग, और डोनेशन जैसी छिपी हुई लागतें शामिल होती हैं।
Promising students now : स्वास्थ्य क्षेत्र पर प्रभाव
समाज में अच्छे डॉक्टरों की संख्या घटा रही है, क्योंकि पैसे के बल पर पढ़ाई करने वाले हर छात्र में वह जज्बा, समर्पण और संवेदनशीलता नहीं होती जो एक चिकित्सक में होनी चाहिए। यह चिकित्सा क्षेत्र को धीरे-धीरे एक व्यावसायिक व्यवसाय बना रही है, जहाँ सेवा की भावना कम होती जा रही है।
मेडिकल शिक्षा का उद्देश्य समाज के लिए संवेदनशील, योग्य और समर्पित डॉक्टर तैयार करना है। यदि शिक्षा केवल अमीरों तक सीमित हो जाएगी, तो यह समाज के साथ अन्याय होगा। प्रतिभा को अवसर मिले, न कि धन की दीवार से रोका जाए। आज ज़रूरत है कि हम शिक्षा को अधिकार और अवसर दोनों मानें, न कि महंगी वस्तु जो केवल कुछ को ही उपलब्ध हो।
Promising students now : सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी
इस गंभीर स्थिति में सवाल उठता है सरकार की क्या भूमिका है ? क्या वह इस संकट को सुलझाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है ? सरकार की जिम्मेदारी केवल संस्थान खोलने तक सीमित नहीं हो सकती। समान अवसरों के सिद्धांत के अनुसार, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर योग्य छात्र को शिक्षा पाने का अधिकार मिले, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
Promising students now : सरकारी पहलें
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नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना
सरकार ने हाल के वर्षों में कई नए कॉलेज खोले हैं, जिससे MBBS सीटों की संख्या बढ़ी है।
लेकिन यह वृद्धि अब भी लाखों छात्रों के अनुपात में नाकाफ़ी है। -
NEET की अनिवार्यता
निजी और सरकारी दोनों कॉलेजों में एक ही परीक्षा से प्रवेश सुनिश्चित कर समानता का प्रयास हुआ है,
लेकिन प्रवेश मिलने के बाद फीस संरचना में असमानता बनी हुई है। -
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजनाएं
– कुछ स्कॉलरशिप योजनाएं हैं, लेकिन वे सीमित हैं और सभी ज़रूरतमंदों तक नहीं पहुंचतीं। -
शिक्षा ऋण योजना
सरकार बैंकों के माध्यम से एजुकेशन लोन प्रदान करती है, परंतु इसमें गारंटी, ब्याज दर, और पुनर्भुगतान की कठिन शर्तें हैं, जो कई छात्रों के लिए बाधा बनती हैं।
Promising students now : क्या और होना चाहिए ?
निजी कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण
सरकार को मेडिकल काउंसिल और UGC के माध्यम से निजी कॉलेजों के फीस ढांचे को नियंत्रित करने के लिए कड़े दिशा-निर्देश और निगरानी तंत्र विकसित करना चाहिए।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित सीटें और सब्सिडी:
EWS (Economically Weaker Section) के छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा में विशेष सब्सिडी या सीट आरक्षण बढ़ाया जाना चाहिए।
Promising students now : छात्रवृत्ति और फेलोशिप का विस्तार
राज्य और केंद्र सरकारों को मेडिकल शिक्षा के लिए विशेष छात्रवृत्तियाँ चालू करनी चाहिए जो मेधा आधारित हों, न कि केवल जाति आधारित।
ब्याज मुक्त या आसान शर्तों वाले शिक्षा ऋण:
सरकारी गारंटी वाले ब्याज मुक्त लोन मेडिकल छात्रों के लिए बड़ी राहत हो सकते हैं।
Promising students now : विशेषज्ञों की चेतावनी : महंगी शिक्षा, महंगी चिकित्सा
विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल फीस में हो रही लगातार वृद्धि का असर केवल छात्रों पर नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर पड़ेगा। प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. महेश्वरी ने चेतावनी दी है कि अगर सामान्य परिवारों के होनहार बच्चे मेडिकल शिक्षा से वंचित होते रहे, तो भविष्य में समाज को अच्छे डॉक्टरों की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।
उनके अनुसार, इससे चिकित्सा सेवा एक ऐसी दिशा में बढ़ेगी जहाँ सामान्य व्यक्ति के लिए इलाज कराना भी कठिन हो जाएगा, क्योंकि महंगी शिक्षा का बोझ डॉक्टरों पर भी वित्तीय दबाव के रूप में आएगा, जो अंततः उपचार लागत में वृद्धि का कारण बन सकता है।