भुवनेश्वर: Big Potato Crises: ओडिशा में आलू की भारी कमी से आम जनता परेशान है। इस बीच, राज्य के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री के. सी. पात्रा ने इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने दावा किया कि यह संकट जानबूझकर पैदा किया गया है ताकि ओडिशा सरकार की छवि को नुकसान पहुंचे।
Big Potato Crises: पश्चिम बंगाल पर लगाए आरोप
मंत्री पात्रा ने कहा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने हाल ही में ओडिशा में आलू की आपूर्ति रोक दी थी। यह एक साजिश है ताकि राज्य में कृत्रिम कमी उत्पन्न हो और जनता को तकलीफ हो। हालांकि बाद में वह आपूर्ति बहाल करने पर सहमत हुईं, लेकिन इससे पहले ही बाजार में आलू की कीमतें बेतहाशा बढ़ गईं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बाजार में कम आपूर्ति के कारण कीमतों में इजाफा होना स्वाभाविक है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि आलू का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है और जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।
Big Potato Crises: आलोचना और विपक्ष का हमला
विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक गौतम बुद्ध ने पात्रा के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “मंत्री इस संकट के लिए जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं। जनता की जरूरतें पूरी करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है।”
गौतम बुद्ध ने यह भी कहा कि इस तरह के बयान केवल जनता का ध्यान भटकाने के लिए दिए जा रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि लोग बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
Big Potato Crises: आलू संकट की पृष्ठभूमि
पश्चिम बंगाल सरकार ने 28 नवंबर को आलू के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके परिणामस्वरूप, ओडिशा जाने वाले सैकड़ों ट्रक सीमा से ही वापस लौट गए, जिससे राज्य में आलू की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई। स्थानीय बाजारों में आलू की कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं।
Big Potato Crises: सरकार का समाधान
मंत्री पात्रा ने भरोसा दिलाया कि यदि पश्चिम बंगाल से आपूर्ति फिर से बाधित होती है, तो ओडिशा सरकार उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों से आलू आयात करेगी। उन्होंने कहा, “ओडिशा आलू के लिए अपने पड़ोसी राज्य पर काफी निर्भर है, लेकिन हम अन्य स्रोतों से भी आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे।”
Big Potato Crises: जनता की उम्मीदें
राज्य में आलू की किल्लत से न केवल आम लोगों की रसोई प्रभावित हुई है, बल्कि छोटे व्यापारियों पर भी इसका गंभीर असर पड़ा है। जनता को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस संकट का स्थायी समाधान निकालेगी ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
यह स्थिति इस बात को रेखांकित करती है कि राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी किस प्रकार जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। अब देखना यह है कि ओडिशा सरकार अपने वादों पर कितना खरा उतरती है।