नयी दिल्ली,(भाषा) जैन संत लोकेश मुनि समेत कुछ अन्य धर्मगुरुओं की मौजूदगी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ‘ओम’ और ‘अल्लाह’ तथा मनु और पैगंबर आदम को एक बताते हुए रविवार को दावा किया कि बहुसंख्यक समाज के ‘पूर्वज हिंदू नहीं थे बल्कि मनु थे जो एक ओम यानी अल्लाह की इबादत करने वाले थे।’ उनके इस बयान पर असहमति जताते हुए आचार्य लोकेश मुनि समेत कुछ अन्य धर्मों के धर्म गुरु नाराज़ हो गए और कार्यक्रम बीच में छोड़कर चले गए।.
मौलाना मदनी ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के उस कथित बयान पर की जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमान चाहें तो अपने धर्म पर रहें या अपने पूर्वजों की तरफ लौट आएं।
मगर अरशद मदनी के बयान से लोकेश मुनि खफा हो गए और उन्होंने मंच से ही इस पर आपत्ति जताते कहा, ‘‘ आपने जो बात कही है, मैं उससे सहमत नहीं हूं और मेरे साथ सर्वधर्म के संत भी सहमत नहीं हैं। हम केवल सहमत हैं कि हम मिलजुलकर रहें, प्यार से रहें, मोहब्बत से रहें।’’ इसके बाद वे कुछ अन्य धर्मगुरुओं के साथ कार्यक्रम से चले गए।
मौलाना अरशद मदनी ने जमीयत के महमूद मदनी समूह के तीन दिवसीय 34वें अधिवेशन के अंतिम दिन यहां रामलीला मैदान में कहा ‘‘मैंने बड़े बड़े धर्मगुरुओं से पूछा कि जब कोई नहीं था, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे, न शिव थे, जब कोई नहीं था, तब सवाल पैदा होता है कि मनु पूजते किसे थे?”
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उन्होंने कहा, ‘‘कोई कहता है कि शिव को पूजते थे, लेकिन उनके पास इल्म नहीं है। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि जब कुछ नहीं था दुनिया में तो मनु ओम को पूजते थे।’’
मदनी के मुताबिक, ‘‘तब मैंने पूछा कि ओम कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि ये हवा है, जिसका कोई रूप नहीं है, कोई रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह है, हवा हर जगह है। उन्होंने आसमान बनाया, उन्होंने ज़मीन बनाई।’’
मदनी ने कहा, ‘‘ मैंने कहा कि अरे बाबा, इन्हीं को तो हम ‘अल्लाह’ कहते हैं। इन्हीं को तो तुम ‘ईश्वर’ कहते हो। फारसी बोलने वाले ‘खुदा’ कहते हैं। अंग्रेज़ी बोलने वाले ‘गॉड’ कहते हैं। इसका मतलब ये है कि मनु यानी आदम, ओम यानी अल्लाह को पूजते थे। ये हमारे मुल्क की ताकत है।”
उन्होंने दावा किया कि इसलिए इस्लाम भारत के लिए नया मज़हब नहीं है और ‘अल्लाह’ यानी ‘ओम’ ने मनु यानी आदम को यहीं उतारा और उन्होंने एक “अल्लाह’ यानी एक ‘ओम’ की इबादत करने को कहा और इसके बाद के आए पैगंबरों ने भी यही संदेश दिया।
अरशद मदनी ने कहा, ‘‘ जिस तरह आज दुनिया भटकी हुई है। हम भी भटके हुए थे। हमने 365 देवी देवता बना रखे थे। सुबह उठकर हम भी उनकी इबादत करते थे। हम मनु के बताए हुए रास्ते से भटके हुए थे। ’
उन्होंने कहा, ‘‘फिर अल्लाह ने अरब में आखिरी नबी मोहम्मद साहब को भेजा और उन्होंने अरब की धरती पर वही संदेश दिया जो भारत की धरती से दिया गया था और यह कोई नया संदेश नहीं है यानी एक ‘ओम’, एक ‘अल्लाह’ की इबादत होगी और उसके सिवा किसी की इबादत नहीं होगी। यह हमारा विश्वास है।’’
मदनी ने कहा ’ ’ इसके बाद हमने अपने पहले के धर्म को छोड़कर उनके बताए कदमों के ऊपर सिर रख दिया। हम जानते हैं कि यह धर्म नया धर्म नहीं है।’’
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मुस्लिम धर्म गुरु ने कहा, “आज हमको कहते हो कि घर वापसी करो। मैं कहता हूं कि यह बात कहने वाले जाहिल हैं। अपने मुल्क के इतिहास, धर्मों के इतिहास को नहीं जानते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मुझे बड़ी हैरत है, एक पढ़ा लिखा आदमी, आरएसएस जैसी पार्टी के सर संघचालक यह कहते हैं कि मुसलमान चाहें तो अपने धर्म पर रहें या अपने पूर्वजों की तरफ लौट जाएं यानी हिंदू बन जाएं। ’ ’
मदनी के मुताबिक, ‘‘ अरे बाबा ! हमारा सबसे पहला पूर्वज मनु यानी आदम है और हम उनके चरणों पर अपना सिर रखे हुए हैं और दुनिया को कहते हैं कि मनु यानी आदम के चरणों पर अपना सिर रखो। हमारा यह इतिहास और हमारे देश का इतिहास है। हम अपने धर्म पर हैं।’’
उन्होंने कहा, “आप लोग नहीं जानते कि इस मुल्क का इतिहास क्या है। इस मुल्क का इतिहास यह है कि अल्लाह ने इसी धरती पर मनु को उतारा है यानी आदम को उतारा है, उनकी बीवी जिन्हें हम हव्वा कहते हैं, वो (हिंदू) हमवती कहते हैं, उसे उतारा है। वही हमारे पूर्वज हैं। सबके पूर्वज हैं। नबियों, रसूलों, हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और सारी दुनिया के पूर्वज हैं।’
अरशद मदनी ने कहा, “आपके पूर्वज हिंदू नहीं थे। आपके पूर्वज मनु थे जो एक अल्लाह की, एक ओम की इबादत करने वाले थे। सबसे पहले नबी को अल्लाह यानी ओम ने इसी भारत में पैदा किया है। सारी नस्लें यहीं से चली हैं।’’
वह अपना बयान खत्म करने के बाद माइक से हटे ही थे कि जैन धर्म गुरू आचार्य लोकेश मुनि माइक पर आए और अरशद मदनी के बयान से असहमति जताते हुए कहा, ‘‘आपने जो बात कही है, मैं उससे सहमत नहीं हूं और मेरे साथ सर्वधर्म के संत भी सहमत नहीं हैं। हम केवल सहमत हैं कि हम मिलजुलकर रहें, प्यार से रहें, मोहब्बत से रहें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर हुए, उससे पहले 23वें भगवान पार्श्वनाथ थे। नेमिनाथ योगीराज कृष्ण के चचेरे भाई थे, किंतु याद रखिए इससे पहले भगवान ऋषभदेव पहले तीर्थंकर थे, जिनके पुत्र भरत के नाम पर इस भारत देश का नाम पड़ा है।’’
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जैन ने मदनी को शास्त्रार्थ के लिए आमंत्रित किया और कार्यक्रम से चले गए।
जैन मुनि ने कार्यक्रम से जाते हुए पत्रकारों से कहा, “हमारे मां-बाप ने हमें पैदा किया है। हमको भगवान महावीर या अल्लाह ने पैदा नहीं किया है। हम उन्हें उनसे ऊपर मानते हैं। हम मानते हैं कि अच्छे कर्मों से सदभाग्य का निर्माण होता है। खराब कर्मों से दुर्भाग्य का निर्माण होता है। हम इस दर्शन को मानते हैं।’ ’
उन्होंने आरोप लगाया कि मौलाना अरशद मदनी ने आदम, अल्लाह को लाकर और मनु को लाकर विभाजन किया और “हम भारतीय सर्वधर्म संसद के लोग सर्वसम्मनित से इसका विरोध करते हैं।’’
हालांकि मंच से जैन मुनि और कुछ अन्य धर्म के धर्म गुरुओं के जाने पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा, “वे हमारे मेहमान हैं और उन्होंने अपनी राय रखी है और हम उसका भी एहतराम (आदर) करते हैं।”
जमीयत उलेमा-ए-हिंद दो समूहों में बंटी हुई है। एक समूह की अगुवाई राज्यसभा के पूर्व सदस्य महमूद मदनी करते हैं, जबकि दूसरे समूह का नेतृत्व मौलाना अरशद मदनी के हाथ में है। अरशद मदनी, महमूद मदनी के चाचा हैं। जब 2006 में महमूद के पिता और जमीयत प्रमुख असद अहमद मदनी का इंतकाल हुआ, तो उनके और उनके चाचा के बीच संगठन के नेतृत्व को लेकर विवाद पैदा हो गया, जिससे विभाजन हो गया और संगठन गुटों में बंट गया।
भाषा नोमान
धीरज नरेश
(यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए हिन्द मित्र जिम्मेदार नहीं है. )