Nicolas-Jacques Conté : पेंसिल का आविष्कार 1795 में आविष्कार का पेटेंट निकोलस-जाक कोंटे को मिला .

प्राचीन काल में पक्षी के पंख या किसी पौधे के पतली डंढल के एक छोर को बारीक़ बर्श का आकर देकर का लेखनी बनाया जाता था .आज हम लिखने के लिए पेन का इस्तेमाल करते हैं. जब लिखने की शुरूवात में कोयले,या स्याह रंग का उपयोग किया गया बाद में धीरे धीरे पेंसिल का आविस्कार हुआ.

पहले के जमाने के में या बहुत समय पहले जानवरों के पूंछ के बाल के ब्रश बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे .लगभग 1564 में इंग्लैंड में एक बहुत बड़ा और भयानक तूफान आया था जिसके कारण वहां पर बहुत से पेड़ उखड़ गए और उसके में बहुत बड़ा पेड़ भी गिर गया था और वहां पर जब तूफान के बाद बकरियों के चरवाहे आए तो उस चरवाहे ने देखा कि इस पेड़ की जड़ों को बहुत सारा काला पदार्थ लगा हुआ है. सबसे पहले तो उसने उस  काले पदार्थ को कोयला सोचा था.

फिर उसने उस काले पदार्थ को जलाने की सोची तब उसने उसका काले पदार्थ को जलाया तो वह कोयले की भांति चल नहीं रहा था उस समय उसने उसे सिर्फ काले पदार्थ का नाम ही दिया था और बाद में उसका नाम ग्रेफाइट रखा गया और इस ग्रेफाइट को बकरियों के ऊपर निशान लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था और इंग्लैंड के बाजार में ग्रेफाइट को कागज में रखकर भेजा जाता था 16वीं शताब्दी के अंत में लोगों ने इस ग्रेफाइट से लिखना शुरु कर दिया.लेकिन ग्रेफाइट इतना ज्यादा नरम और नाजुक था कि इसे लिखने में बहुत ज्यादा परेशानी होती थी इसलिए फिर उस ग्रेफाइट को एक धागे के अंदर बांधकर लिखना शुरू कर दिया गया 1560 में सबसे पहले इटालियन लोगों ने पेंसिल बनाने के लिए  Juniper नाम के एक पेड़ का इस्तेमाल किया गया उन्होंने इस पेड़ की लकड़ी को काटकर उसके टुकड़े के अंदर छेद करके ग्रेफाइट को इसके अंदर भर दिया और इसके अंदर ग्रेफाइट को चिपका दिया जाता था फिर लगभग 1660 में जर्मनी में लकड़ी के टुकड़ों को लेकर पेंसिल को बनाना शुरू किया गया था और वे लकड़ी के टुकड़ों को तराशकर और इनके बीच ग्रेफाइट को रखकर चिपका दिया जाता था.

साइंटिस्ट  निकोलस-जाक कोंटे  को इसका कोई सुझाव ढूंढने को कहा कुछ दिनों की खोज और छानबीन के बाद निकोलस ने 1 दिन पानी के अंदर चिकनी मिट्टी और ग्रेफाइट को मिलाया और उसका एक मिश्रण बनाया और उस मिश्रण को सूखने के लिए धूप के अंदर रख दिया अगर यह मिश्रण सूख जाता तो इसको फिर भठ्टी के अंदर जलाते इसी समय पर निकोलस ने एक और यह चीज देखी चिकनी मिट्टी को कम ज्यादा करने पर पेंसिल से लिखने में कुछ फर्क आ रहा है. और वहां से H और HB जैसे पेंसिल को बनाने की शुरुआत की गई और वहां से पेंसिल शुरू हुआ.1795 में इस आविष्कार का पेटेंट निकोलस-जाक कोंटे को मिला.

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