आध्याम: Navaratri Maa Bhagvati Stuti:नवरात्रि देवी दुर्गा की आराधना का पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस पवित्र अवसर पर देवी भगवती की स्तुति विशेष फलदायी मानी जाती है। मां भगवती देवी स्तुति नवरात्रि के दौरान पढ़ी जाने वाली एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तुति है, जो देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है।
Navaratri Maa Bhagvati Stuti: मां भगवती देवी की स्तुति का नवरात्रि में महत्त्व
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति, साहस, धैर्य और सुरक्षा का प्रतीक हैं। इन नौ दिनों में “मां भगवती देवी की स्तुति” का पाठ देवी की शक्ति को जागृत करने और उनके आशीर्वाद से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति पाने का उत्तम साधन है।
स्तुति के माध्यम से भक्त देवी भगवती से शक्ति, साहस, और सफलता प्राप्त करने की कामना करते हैं। यह स्तुति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और उसके मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को समृद्ध बनाती है। नवरात्रि के दौरान इस स्तुति का नियमित पाठ विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इस समय देवी शक्ति अपने चरम पर होती हैं और भक्तों की प्रार्थनाओं का त्वरित फल मिलता है।
Navaratri Maa Bhagvati Stuti: नवरात्रि में भगवती स्तुति पढ़ने के लाभ
- संकटों से मुक्ति: नवरात्रि में इस स्तुति का पाठ करने से जीवन में आने वाले सभी संकटों का नाश होता है। देवी भगवती भक्तों की सभी परेशानियों और कष्टों को हर लेती हैं।
- शत्रुओं पर विजय: यह स्तुति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होती है। नवरात्रि के दौरान इसका पाठ शत्रुओं द्वारा उत्पन्न समस्याओं को समाप्त करने और शांति प्राप्त करने का माध्यम है।
- सुख-समृद्धि: नवरात्रि के नौ दिनों में इस स्तुति का पाठ करने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। देवी भगवती अपने भक्तों को धन, संपत्ति, और सुख-शांति प्रदान करती हैं।
- आध्यात्मिक जागरण: यह स्तुति आध्यात्मिक जागरण और मानसिक शांति प्राप्त करने का माध्यम है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की शक्ति का अनुभव भक्त को आत्मबल और आत्मविश्वास प्रदान करती है।
- कर्मों का शुद्धिकरण: नवरात्रि के दिनों में इस स्तुति का पाठ भक्त के पापों का नाश करता है और उसे शुद्धता की ओर ले जाता है। यह देवी के आशीर्वाद से कर्मों को शुद्ध करने का अवसर प्रदान करती है।
- कष्टों का निवारण: नवरात्रि के दौरान इस स्तुति का नियमित पाठ करने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
- संतान प्राप्ति और परिवार की उन्नति: जिन भक्तों को संतान सुख की प्राप्ति की इच्छा हो, उनके लिए इस स्तुति का पाठ नवरात्रि के दौरान अत्यंत लाभकारी माना गया है। परिवार की उन्नति और सफलता के लिए भी इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी है।
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Navaratri Maa Bhagvati Stuti: भगवती स्तुति पाठ की विधि
- स्थान: नवरात्रि के दौरान शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- पूजा सामग्री: दीप, धूप, पुष्प, और नैवेद्य अर्पित करें। देवी का ध्यान करके उनकी कृपा प्राप्त करने की भावना से स्तुति का पाठ करें।
- समय: नवरात्रि के प्रत्येक दिन प्रातःकाल या संध्या के समय इस स्तुति का पाठ करें। विशेष रूप से अष्टमी और नवमी के दिन इसका पाठ करना अत्यंत शुभ होता है।
- श्रद्धा और भक्ति: नवरात्रि के दौरान मन को एकाग्र करके और पूरे श्रद्धा भाव से स्तुति का पाठ करें। मन, वचन और कर्म से देवी भगवती की शरण में जाएं।
- सप्तमी, अष्टमी, और नवमी पर: इन विशेष दिनों पर यदि संभव हो, तो इस स्तुति का पाठ 11 बार करें, जिससे देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
जय भगवती देवि नमो वरदे,
जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भ-निशुम्भ-कपालधरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकर नेत्रधरे,
जय पावकभूषणि हेमशरे।
जय तुङ्ग-हिमाचल-कुशलवरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥2॥
जय शरण्य-मुनीन्द्र-ऋषि-समुते,
जय लम्बोदरप्रिय वामहते।
जय विघ्नविनाशिनि वारिजपते,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥3॥
जय देवि समस्त-शरीरधरे,
जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्षकरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥4॥
जय मांससमुद्भवकायधरे,
जय रूपमनोहरि सत्यवरे।
जय संसारकारणकारणते,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥5॥
जय प्राणसुप्रीत भुक्तिपरे,
जय दुर्जनमोक्षि सुधारसरे।
जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥6॥
जय काञ्चनपङ्कजपदधरं,
जय पापविदारिणि सत्यकरे।
जय विघ्नविनाशिनि वांछितदायिनि,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥7॥
भगवती मां की स्तुति नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की अपार शक्ति और कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावशाली माध्यम है। इसका नियमित पाठ भक्त के जीवन को संकटों से मुक्त कर, उसे सुख, शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में इस स्तुति का पाठ देवी दुर्गा की विशेष कृपा को आकर्षित करता है, जिससे भक्त को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।