रायपुर: 31 जुलाई । Munsi Premchand Ji Birth Anniversary: जन संस्कृति मंच रायपुर और शिवम् एजुकेशन एकेडमी के संयुक्त तत्वावधान में 31 जुलाई को कथा और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई.
Munsi Premchand Ji Birth Anniversary: 11 स्कूलों के 180 बच्चों ने ईदगाह, बूढ़ी काकी और पंच परमेश्वर को कैनवास पर उतारा
इस मौके पर एक्टिव किड्स एकेडमी भाटागांव, देहली पब्लिक स्कूल, मदर्स प्राइड हायर सेकेंडरी स्कूल खमरिया, शारदा हायर सेकेंडरी स्कूल,शिवांश इंटरनेशनल स्कूल, छत्रपति शिवाजी इंग्लिश मीडियम स्कूल, कैनवास स्टूडियो,महाराणा प्रताप स्कूल केशरी बगीचा, लायंस क्लब विद्या मंदिर और शिवम एजुकेशनल एकेडमी के भाटागांव, रायपुरा और इंद्रप्रस्थ स्थित स्कूलों के कुल 180 बच्चों ने मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी ईदगाह, बूढ़ी काकी और पंच परमेश्वर को कैनवास पर उतारा.आयोजन में शामिल सभी बच्चों को जन संस्कृति मंच रायपुर और शिवम एजुकेशन एकेडमी की तरफ से सहभागिता प्रमाण पत्र का वितरण भी किया गया.
इस मौके पर प्रसिद्ध आलोचक सियाराम शर्मा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने जो कुछ भी लिखा वह आज भी प्रासंगिक हैं. प्रेमचंद की प्रत्येक रचना में दया, करूणा और न्याय का भाव निहित है इसलिए उनकी प्रत्येक रचना एक मनुष्य को और अधिक बेहतर बनने के लिए प्रेरित करती है.

नामचीन लेखिका जया जादवानी ने जन संस्कृति मंच और शिवम् एजुकेशन एकेडमी के आयोजन को एक जरूरी पहल बताया. उन्होंने कहा कि आज की कहानी कई तरह की जटिलताओं से गुज़रती हैं, लेकिन प्रेमचंद मानवीय मूल्यों को जीवित रखने वाले रचनाकार थे, इसलिए आज भी सबसे ज्यादा पढ़े जाते हैं.
नफ़रत के इस भयावह दौर में बच्चों को जिम्मेदार नागरिक और बेहतर मनुष्य बनाने के लिए साहित्य से जोड़ना जरूरी
Munsi Premchand Ji Birth Anniversary: युवा लेखिका डॉ.संजू पूनम ने कहा कि अगर भारत की ग्रामीण पृष्ठभूमि को सही ढंग से जानना-समझना है तो हमें प्रेमचंद के साहित्य से गुज़रना ही होगा. प्रेमचंद का साहित्य भारत का यथार्थ है, जिसमें हमारी अच्छाइयां और बुराइयां दोनों निहित हैं. लेखक एवं पत्रकार समीर दीवान ने सुंदर चित्र बनाने के लिए सभी बच्चों को बधाई दी.उन्होंने आयोजन स्थल में मौजूद सभी बच्चों से कहा कि कहानियों को पढ़ने के बाद उसे जीवन में उतारना जरूरी है.
प्रेम, दया, करूणा के साथ न्याय का रास्ता अख़्तियार करते हुए ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है. उन्होंने बच्चों से इस बात का वादा भी लिया कि वे मोबाइल और सोशल मीडिया के कचरा प्रचार से खुद को दूर रखेंगे और अच्छी किताबों को पढ़कर बेहतर से बेहतर मनुष्य बनने की दिशा में लगातार प्रयासरत रहेंगे.
शिवम् एजुकेशन एकेडमी की निदेशिका सुहानी शर्मा का कहना था कि आज उर्दू को हिंदी से अलग करने की कवायद चल रही है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाएगा क्योंकि प्रेमचंद के साहित्य ने हमें समझाया है कि हिंदी और उर्दू दोनों सगी बहनें हैं. बहनों को कोई जुदा नहीं कर सकता. उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि प्रेमचंद की कई कहानियों में बुजुर्गों की दशा-दिशा का वर्णन मिलता है.
Munsi Premchand Ji Birth Anniversary: इसके साथ ही बुजुर्गों के साथ बच्चों का प्रेम भी दिखाई देता है. आज हमें अपने बुजुर्गों का भी ख्याल रखने की सख्त आवश्यकता है. शिवम एजुकेशन एकेडमी की संरक्षिका नीलिमा मिश्रा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद हर रचना सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देती है. मुंशी प्रेमचंद हर युग में प्रासंगिक रहने वाले हैं.
पूरे आयोजन की सबसे अच्छी बात यह थीं कि कुछ बच्चों ने मौजूद अतिथियों और श्रोताओं को यह भी बताया कि उन्हें पंच परमेश्वर, बूढ़ी काकी और ईदगाह कहानी क्यों अच्छी लगी. कुछ स्कूली बच्चों ने चित्र निर्माण के दौरान मुंशी प्रेमचंद का रेखांकन भी किया. इस मौके पर अंचल के ख्यातिलब्ध चित्रकार सर्वज्ञ नायर ने मुंशी प्रेमचंद का एक चित्र बनाया और उसे शिवम एजुकेशन एकेडमी की निदेशिका को सौंपा. कार्यक्रम का संचालन जसम के राष्ट्रीय सचिव पत्रकार राजकुमार सोनी किया.
Munsi Premchand Ji Birth Anniversary: इस मौके पर लेखिका रूपेंद्र तिवारी, सनियारा खान, गायिका वर्षा बोपचे, डॉ. रामेश्वरी दास, जसम रायपुर के सचिव इंद्रकुमार राठौर, शायर अलीम नकवी और स्कूल की प्राचार्य पूनम मिश्रा सहित बड़ी संख्या में बच्चों के अभिभावक मौजूद थे.
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