नई दिल्ली, 28 अगस्त । mohan bhagwat english novel premchand : विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की व्याख्यान माला “100 वर्ष की संघ यात्रा : नए क्षितिज” का गुरुवार को समापन हुआ। कार्यक्रम के अंतिम दिन संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने नई शिक्षा नीति की आवश्यकता और उसकी प्रासंगिकता पर विस्तार से अपने विचार रखे।
भारत में शिक्षा का उद्देश्य समाज कल्याण होना चाहिए
mohan bhagwat english novel premchand : मोहन भागवत ने कहा कि नई शिक्षा नीति इसलिए जरूरी है क्योंकि अतीत में विदेशी आक्रमणकारियों ने यहां शासन किया और उनका उद्देश्य भारत का विकास करना नहीं, बल्कि प्रभुत्व जमाना था। उस समय बनी व्यवस्थाएं नियंत्रण के लिए थीं, लेकिन स्वतंत्र भारत में शिक्षा का उद्देश्य शासन नहीं बल्कि सेवा और समाज कल्याण होना चाहिए।
mohan bhagwat english novel premchand : उन्होंने स्पष्ट किया कि तकनीक और आधुनिकता का कोई विरोध नहीं है। नई तकनीकें मानव हित में आती हैं, उनका उपयोग कैसे किया जाए यह हम पर निर्भर है। यदि कोई तकनीक हानिकारक प्रभाव डालती है तो उससे बचना और रोकना जरूरी है।
वैदिक काल के 64 प्रासंगिक पहलुओं को पढ़ाया जाना चाहिए
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में वैदिक काल के 64 प्रासंगिक पहलुओं को पढ़ाया जाना चाहिए। गुरुकुल मॉडल को मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए, न कि प्रतिस्थापित किया जाए। उन्होंने फिनलैंड के शिक्षा मॉडल का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए अलग विश्वविद्यालय है और आठवीं तक की शिक्षा मातृभाषा में दी जाती है।
संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर
संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को समझने और अपनी परंपराओं को जानने के लिए संस्कृत आवश्यक है। अनुवादों पर निर्भरता सही नहीं है क्योंकि उनमें त्रुटियां हो सकती हैं।
mohan bhagwat english novel premchand : प्रेमचंद जैसे भारतीय कहानीकारों पढ़े
मोहन भागवत ने कहा, हम अंग्रेज नहीं हैं और हमें अंग्रेज बनने की जरूरत नहीं है, लेकिन अंग्रेजी एक भाषा है और भाषा सीखने में क्या बुराई है? जब मैं आठवीं कक्षा में था, तब मेरे पिता ने मुझे ओलिवर ट्विस्ट और द प्रिजनर ऑफ जेंडा पढ़ने को कहा था। मैंने कई अंग्रेजी उपन्यास पढ़े हैं, फिर भी इससे हिंदुत्व के प्रति मेरे प्रेम पर जरा भी असर नहीं पड़ा। इंग्लिश नॉवेल पढ़ें और प्रेमचंद जैसे भारतीय कहानीकारों को छोड़ दें, ये ठीक नहीं है।
mohan bhagwat english novel premchand : संगठनों और समाज के समन्वय की जरूरत
उन्होंने संगठनों और समाज के समन्वय की जरूरत पर भी जोर दिया। श्रमिक संगठन, लघु उद्योग संगठन, सरकार और राजनीतिक दलों को मिलकर काम करना चाहिए। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन झगड़े की स्थिति नहीं आनी चाहिए।
शिक्षा केवल धार्मिक न होकर सामाजिक मूल्यों पर आधारित हो
mohan bhagwat english novel premchand : भागवत ने कहा कि शिक्षा केवल धार्मिक न होकर सामाजिक मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा हर जगह हमें अपनी परंपराओं, अपने मूल्यों और अपने मूल्य-आधारित आचरण की शिक्षा देनी चाहिए, जरूरी नहीं कि धार्मिक शिक्षा ही हो। यह सामाजिक है।
हमारे धर्म अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन समाज के सदस्य के रूप में हम एक हैं। समझें कि ये सामान्य सिद्धांत हैं, माता-पिता का सम्मान करना, बड़ों के सामने विनम्रता दिखाना, अहंकार से नियंत्रित न होना आदि। ये हमारी संस्कृति के विशेष और विशिष्ट पहलू हैं।