जीव भगवान को नहीं देखता लेकिन भगवान हमें हमेशा देखते हैं – गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी

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कथा व्यास परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी

रायपुर  | आनंद नगर के दुर्गा मंदिर में में चल रही श्री राम कथा के चौथे दिन शुक्रवार को कथा व्यास प्रयागराज वाले माँ कामाख्या के उपासक दस महाविद्याओं के साधक, युग प्रवर्तक सद्गृहस्थ संत, कथा वाचक श्री संकर्षण शरण जी (Sankarshanji ) (Guruji) @SANKARSHANSHARAN (गुरु जी) ने श्रोताओं को कथा का सार बताने के साथ ही भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए यह बताएं कि जहां माता पिता गुरु जनों का सम्मान होता है वही सब प्रकार का सुख होता है । सीता राम विवाह,परशुराम सवांद का सुंदर वर्णन सुनाये। सीता राम विवाह कथा को सुनकर भक्त भाव विभोर हुए । आज भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

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प्रात काल उठ के रघुनाथा.

भगवान राम प्रातः काल उठकर सबसे पहले अपने माता पिता और गुरु को प्रणाम करके उनसे आशीर्वाद लेते है,उसके बाद दैनिक कार्य किया करते थे, कथा यह संकेत देती हैं कि हमें सनातन संस्कृति को अपनाना चाहिए भगवान भी आरंभिक काल से यही करते आ रहे हैं, जो अपने माता पिता गुरु का सम्मान करते हैं, संसार में उनका भी सम्मान होता है।

भक्तों के प्रेम में इतनी शक्ति होती है कि पत्थर की मूर्ति भी मुस्कुरा देती है……

परम् पूज्य गुरुदेव ने भगवान राम सीता के विवाह की कथा बताए ,माता सीता जब गौरी पूजन में जाती है और प्रार्थना करते हैं उस प्रार्थना से मूर्ति मुस्कुरा देती है और आशीर्वाद देती है सुनु सिय सत्य आशीष हमारी पूजहि मन कामना तुम्हारी… माता सीता की प्रार्थना में इतनी शक्ति है कि पत्थर की मूर्ति भी बोल पड़ती है माला सीता माता के गले में गिर जाती हैं , इस तरह से आशीर्वाद मिलता है । जब भगवान राम गुरुदेव विश्वामित्र जी के पास जाते हैं फूल देकर प्रणाम करते है तो गुरु जी भी आशीर्वाद देते हैं सुफल मनोरथ होई तुम्हारे….. गुरु की आशीर्वाद से भगवान राम और माता सीता का विवाह सम्पन्न होता है।

परशुराम जी क्रोध का सार्थक सदुपयोग बताये 

आगे गुरुजी ने धनुष यज्ञ की कथा में यह बताएं कि हम सबके पास काम , क्रोध , लोभ ,मद ,मोह सब गुण विद्यमान होता है लेकिन परशुराम जी उस क्रोध का सदुपयोग करते हैं और क्रोध करके यह दिखाते हैं कि क्रोध से भी कैसे सार्थक कार्य किया जा सकता है। भगवान के कार्य में साधक बन जाते हैं माता सीता का विवाह होने जा रहा है प्रेम और आनंद का भक्ति और आनंद का मिलन होने जा रहा है उस समय दुष्ट राजा लोग युद्ध करने के लिए सोच रहे थे ,रक्तपान होने से बचा दिए जब परशुराम जी को क्रोधित होते हुए देखे तो सभी राजा अपने आप शांत होकर वहां से चले गए इस तरह उनका क्रोध भी सार्थक हो जाता है हम सब क्रोध करते हैं तो हमेशा कुछ ना कुछ नुकसान कर डालते हैं लेकिन परशुराम जी बताएं कि क्रोध का भी उपयोग होता है और भक्ति का मिलन करा दिया तो क्रोध का उपयोग भी अच्छी जगह करना चाहिए सदुपयोग करना चाहिए परशुराम जी शिक्षा देते हैं ।

जीव भगवान को नहीं देखता लेकिन भगवान हमें हमेशा देखते रहते हैं

पुष्प वाटिका में भगवान राम जब जाते हैं उसी समय माता सीता भी आती है और भगवान राम सबसे पहले माता सीता का चरण देखते है, माता सीता जी गरम की ओर नहीं देख पा रही हैं, भगवान राम उसी तरह स्वयंवर के समय सबसे ऊपर आसन पर बैठे थे भगवान देख रहे थे माता सीता नीचे इधर-उधर देख रही थी , कथा का संकेत है हमेशा भगवान हम सब को देखते हैं लेकिन हम उसको नहीं देख पाते ,भगवान संसार में सब तरफ है लेकिन हम नहीं देख पाते, भगवान का वर्णन हम शब्दों में नही कर सकते हैं अनुभूति कर सकते हैं जब अनुभूति हो जाए, अनुभूति में उतर जाए तब हम महसूस करने लग जाते हैं, ब्रम्ह मंत्र में आ जाती है शब्दों में नहीं ,शब्द भी असमर्थ है भगवान का वर्णन करने के लिए सिर्फ अनुभूति की जा सकती है और जो नयन हरि का दर्शन करता है वो पवित्र हो जाता है।

 

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